भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है, जो भारत के चंद्रमा पर अनुसंधान और अन्वेषण के प्रयासों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन चंद्रमा की सतह पर और अधिक गहराई से अध्ययन करने का लक्ष्य रखेगा और भारत की चंद्रमा पर मौजूदगी को और मजबूत करेगा।
New Delhi: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नए चंद्र मिशन "चंद्रयान-4" को स्वीकृति प्रदान की है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक तकनीकों का विकास करना है।
क्यों जरूरी है चंद्रयान 4?
मिशन चंद्रयान-4 का मुख्य उद्देश्य भारत को चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने में सहायता करना है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक मूलभूत तकनीकों को विकसित करेगा। इसे लेकर सरकार द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, इस मिशन के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. डॉकिंग/अनडॉकिंग- चंद्रमा पर लैंडर और ऑर्बिटर के बीच संचार और डॉकिंग की तकनीक का परीक्षण किया जाएगा, जो भविष्य के मानवयुक्त मिशनों के लिए आवश्यक है।
2. लैंडिंग- चंद्रमा की सतह पर सटीक और सुरक्षित लैंडिंग की तकनीक को विकसित और परखा जाएगा।
3. पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी- अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा से सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की तकनीकों को परखा जाएगा, जिसमें वायुमंडलीय पुन: प्रवेश और लैंडिंग शामिल हैं।
4. चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण- चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने की तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस मिशन का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों पर ले जाना और चंद्रमा पर मानव अन्वेषण के लिए भारत की क्षमताओं को साबित करना है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिसका लक्ष्य वर्ष 2040 तक पूरा किया जाना प्रस्तावित है।
मिशन चंद्रयान-4 के लिए कुल लगत
मिशन चंद्रयान-4 के लिए कुल लागत 2,104.06 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। इस परियोजना के तहत, सभी प्रमुख तकनीकों को स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा, जिससे भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जाएगा।
इसरो अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी संभालेगा, जबकि उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से मिशन को सफल बनाने के लिए आवश्यक सहयोग प्राप्त होगा।
मिशन चंद्रयान-4 की पूरी योजना को मंजूरी मिलने के 36 महीनों के भीतर पूरा करने की उम्मीद है। इस समय सीमा के भीतर, सभी तकनीकी और मिशन से संबंधित गतिविधियों को पूरा किया जाएगा, जिससे भारत का चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन का सपना साकार हो सके।
क्या है चीन का चंद्रयान मिशन?
चीन के चांग'ई-6 मिशन द्वारा चंद्रमा के सुदूर हिस्से से लाए गए नमूनों पर किए गए शोध से कई महत्वपूर्ण खोजें सामने आई हैं। चीनी वैज्ञानिकों ने इन नमूनों की विश्लेषण के माध्यम से कुछ खास विशेषताएं उजागर की हैं जो अन्य चंद्र नमूनों से अलग हैं:
1. विशिष्ट विशेषताएं- चांग'ई-6 द्वारा लाए गए चंद्र नमूनों में चंद्रमा के अन्य हिस्सों से लाए गए नमूनों की तुलना में कुछ विशिष्ट विशेषताएं पाई गई हैं। इनमें कम घनत्व, अधिक छिद्रपूर्ण और शिथिल संरचना शामिल हैं।
2. प्लेगियोक्लेज़ और ओलिवाइन- चांग'ई-6 नमूनों में प्लेगियोक्लेज़ की मात्रा चांग'ई-5 नमूनों की तुलना में काफी अधिक है, जबकि ओलिवाइन की मात्रा कम है। यह चंद्रमा की सुदूर सतह की अलग-अलग भूगर्भीय प्रक्रियाओं को दर्शा सकता है।
3. लिथिक टुकड़े- चांग'ई-6 नमूनों में लिथिक टुकड़े मुख्य रूप से बेसाल्ट, ब्रेशिया, एग्लूटिनेट, ग्लास और ल्यूकोक्रेट से बने हैं। यह चंद्रमा की सुदूर सतह की भौगोलिक विविधता को दर्शाता है।
4. भू-रासायनिक विश्लेषण- चांग'ई-6 नमूनों में थोरियम, यूरेनियम और पोटेशियम जैसे ट्रेस तत्वों की सांद्रता अपोलो मिशन और चांग'ई-5 मिशन द्वारा प्राप्त नमूनों से काफी अलग है। यह चंद्रमा के सुदूर हिस्से के रसायनिक और भौगोलिक विश्लेषण में नई जानकारियाँ प्रदान करता है।
चांद पर चीन की पहुंच
चीन ने इस साल मई में चंद्रमा के सुदूर भाग से नमूने एकत्र करने के लिए चांग'ई-6 मिशन शुरू किया था, जो कि मानव चंद्र अन्वेषण के इतिहास में अपनी तरह का पहला प्रयास था। यह मिशन 53 दिनों तक चला और इसमें चंद्रमा के ऐसे हिस्सों से नमूने लाए गए जो पहले कम खोजे गए थे।
इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के सुदूर भाग की संरचना और रसायनशास्त्र के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना था। इसके माध्यम से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के उन हिस्सों का अध्ययन करने का मौका मिला जो अन्य चंद्र अभियानों में नहीं शामिल किए गए थे।
चीन के चांग'ई 6 में क्या विशेषताएं हैं?
चांग'ई 6 में चार मुख्य घटक शामिल हैं: एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, एक आरोही, और एक पुनः प्रवेश मॉड्यूल। जून में, चांग'ई-6 ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से से 1,935.3 ग्राम नमूने वापस लाए। यह अध्ययन चीनी विज्ञान अकादमी के राष्ट्रीय खगोलीय वेधशालाओं, चंद्र अन्वेषण और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग केंद्र, और बीजिंग अंतरिक्ष यान प्रणाली इंजीनियरिंग संस्थान के सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।