गूगल के बारे में कई मिथ्स हैं जो इंटरनेट पर वायरल हो जाते हैं, और लोग इन्हें बिना किसी प्रमाण के सच मान लेते हैं। जैसे कि गूगल अर्थ से किसी के घर पर नजर रखना या गूगल मैप्स के जरिए जासूसी करना। ये मिथ्स होते तो नहीं हैं, लेकिन इंटरनेट पर इनका प्रसार काफी तेजी से होता है। यह जानना जरूरी है कि इन मिथ्स की उत्पत्ति कैसे हुई और लोग इन्हें सच क्यों मानते हैं। आइए जानते हैं गूगल से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ्स के बारे में।
गूगल अर्थ को लेकर मिथ
गूगल अर्थ को लेकर एक सामान्य मिथ है कि इसके जरिए किसी के घर पर नजर रखी जा सकती है। दरअसल, जब आप गूगल अर्थ को सर्च करते हैं और खोलते हैं, तो यह आपको जूम करके आपके आसपास के इलाके को दिखाता है, जिससे ऐसा लगता है कि आप किसी के घर तक पहुंच सकते हैं। हालांकि, यह बिल्कुल सच नहीं है। गूगल अर्थ पर जो इमेजेस दिखाई देती हैं, वे लगभग 1 से 4 साल पुरानी होती हैं। ये स्टेटिक इमेजेस होती हैं, और इनमें कोई लाइव डेटा नहीं होता है। गूगल अर्थ का उद्देश्य किसी की जासूसी करना नहीं है, बल्कि यह एक टूल है जिसे आप दुनिया के किसी भी हिस्से को देख सकते हैं।
गूगल आपके बारे में सब जानता है
गूगल को लेकर यह मिथ काफी वायरल है कि गूगल आपके बारे में हर चीज़ जानता है, जैसे आपने क्या खाया, क्या पिया, कहां गए, और इंटरनेट पर क्या सर्च किया। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। दरअसल, गूगल आपके व्यक्तिगत डेटा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता। गूगल आपकी डिवाइस से जुड़ी जानकारी ही ट्रैक करता है, जैसे कि आपके डिवाइस के IP एड्रेस से जुड़ी गतिविधियां। यह गूगल को यह जानने में मदद करता है कि आपकी डिवाइस पर क्या सर्च किया जा रहा है, लेकिन यह व्यक्तिगत यूजर की एक्टिविटी को नहीं ट्रैक करता। इसका मतलब यह है कि गूगल केवल आपके डिवाइस की एक्टिविटी पर नजर रखता है, न कि आपकी निजी जानकारी पर।