49 मिनट पहलेदिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विशेष अधिकारियों में हुई हाथापाई, अंजनेय का गंभीर आरोप
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कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान अब और तेज़ हो गई है। अब यह विवाद राज्य की सीमाओं को पार कर दिल्ली तक पहुंच गया है।
नई दिल्ली: कर्नाटक की राजनीति की गरमाहट अब राज्य की सीमाओं से बाहर निकलकर देश की राजधानी दिल्ली तक पहुँच गई है। दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विशेष ड्यूटी अधिकारियों (SDO) के बीच जमकर विवाद हो गया। यह मामला इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने मारपीट और अपमान के गंभीर आरोप लगाते हुए विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की मांग कर दी है।
यह विवाद उस समय भड़क उठा जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के SDO सी. मोहन कुमार और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के SDO एच. अंजनेय के बीच तीखी बहस छिड़ गई। मामला जुबानी जंग से शुरू होकर शारीरिक झड़प तक पहुँच गया, जिसके बाद पूरे घटनाक्रम को लेकर दिल्ली पुलिस और कर्नाटक प्रशासन को सूचित किया गया है।
मामले की जड़: महिला कर्मचारी से अभद्रता के आरोप
सूत्रों के मुताबिक, विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक महिला कर्मचारी ने उपमुख्यमंत्री के SDO एच. अंजनेय पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया। इस मामले में मुख्यमंत्री के SDO मोहन कुमार ने हस्तक्षेप करते हुए अंजनेय से इस व्यवहार को लेकर सवाल किए। यहीं से दोनों के बीच बहस छिड़ गई, जो कुछ ही देर में बदतमीजी और हाथापाई में तब्दील हो गई।
'मुझे जूतों से मारा गया', अंजनेय का गंभीर आरोप
उपमुख्यमंत्री के अधिकारी एच. अंजनेय ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा, "कर्नाटक भवन में मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया गया। मुझे जूतों से मारा गया, जिससे मेरी गरिमा को गहरी ठेस पहुंची है। मैं मांग करता हूं कि सी. मोहन कुमार के खिलाफ विभागीय जांच हो और उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। उनका यह आरोप न केवल गंभीर है, बल्कि यह राज्य सरकार के भीतर चल रही आंतरिक खींचतान को भी उजागर करता है।
विवाद में आरोपी बनाए गए मुख्यमंत्री के SDO सी. मोहन कुमार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, कर्नाटक भवन में मौजूद कुछ कर्मचारियों ने माना कि दोनों अधिकारियों के बीच बहस काफी तीखी थी और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी। कर्मचारियों ने बताया कि स्थिति को शांत कराने के लिए सुरक्षा कर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा।
राजनीतिक पृष्ठभूमि में बढ़ती तकरार
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद महज दो अधिकारियों के बीच की झड़प नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच लंबे समय से चल रही राजनीतिक खींचतान की एक कड़ी हो सकती है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही दोनों नेताओं के बीच सत्ता और निर्णय लेने को लेकर मतभेद की खबरें आती रही हैं।
इस घटना ने इन मतभेदों को एक सार्वजनिक और प्रशासनिक विवाद का रूप दे दिया है, जिससे राज्य सरकार की छवि को भी नुकसान पहुँच सकता है। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब सरकारें राज्यों के प्रतिनिधि भवनों को अपनी प्रशासनिक और सांस्कृतिक छवि के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। दिल्ली जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की घटना न केवल कर्नाटक भवन की गरिमा पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि यह एक राज्य की राजनीतिक व्यवस्था पर भी कटाक्ष करती है।
1 घंटा पहलेभारतीय क्रिकेटर वेदा कृष्णमूर्ति ने इंटरनेशनल क्रिकेट को कहा अलविदा, WPL और घरेलू क्रिकेट में सक्रिय भूमिका
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भारतीय महिला क्रिकेट टीम की अनुभवी बल्लेबाज वेदा कृष्णमूर्ति ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। वेदा ने यह फैसला 32 वर्ष की उम्र में लिया है।
स्पोर्ट्स न्यूज़: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की आक्रामक बल्लेबाज वेदा कृष्णमूर्ति ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। 32 वर्षीय वेदा ने अपने करियर में भारत के लिए वनडे और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वह किसी न किसी भूमिका में क्रिकेट से जुड़ी रहेंगी।
करियर की शुरुआत से उपलब्धियों तक
कर्नाटक की रहने वाली वेदा कृष्णमूर्ति ने 2011 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए वनडे डेब्यू किया था। अपने 9 साल लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में वेदा ने कुल 124 इंटरनेशनल मैच खेले, जिनमें उन्होंने 1704 रन बनाए।
- वनडे करियर: 48 मैच, 829 रन, 8 अर्धशतक
- टी20I करियर: 76 मैच, 875 रन, 2 अर्धशतक
वेदा ने मैदान पर अपनी आक्रामक बल्लेबाजी से कई बार टीम को मुश्किल परिस्थितियों से उबारा और मिडिल ऑर्डर की मजबूती साबित की।
T20I में कैच का रिकॉर्ड भी नाम
वेदा कृष्णमूर्ति सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, बल्कि फील्डिंग में भी अव्वल रहीं। महिला T20I क्रिकेट में वह किसी गैर-विकेटकीपर द्वारा सबसे ज्यादा कैच लेने वाले खिलाड़ियों में शामिल हैं। उनकी चपलता और ऑन-फील्ड ऊर्जा हमेशा टीम के लिए प्रेरणा रही। संन्यास की घोषणा करते हुए वेदा ने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश साझा किया।
उन्होंने लिखा: एक छोटे शहर की बड़ी सपने देखने वाली लड़की से लेकर भारतीय जर्सी पहनने तक, यह सफर अविस्मरणीय रहा। अब समय है खिलाड़ी के रूप में अलविदा कहने का, लेकिन खेल से नहीं। क्रिकेट ने मुझे आत्म-विश्वास, लड़ने की हिम्मत और पहचान दी है। उन्होंने अपने माता-पिता, भाई-बहनों, कोचों और कप्तानों के साथ-साथ BCCI, KSCA, रेलवे और KIOC को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
WPL और घरेलू क्रिकेट में सक्रिय भूमिका
हाल ही में वेदा कृष्णमूर्ति 2024 में वुमेंस प्रीमियर लीग (WPL) में गुजरात जायंट्स के लिए खेलते हुए नजर आई थीं। उन्होंने कर्नाटक और रेलवे की कप्तानी भी की है। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने युवाओं को प्रेरित करने का कार्य भी किया। संन्यास के बाद वह कमेंट्री और विश्लेषण की दुनिया में भी सक्रिय हो चुकी हैं और संभावना है कि वह जल्द ही कोचिंग या प्रशासनिक भूमिका में दिखाई दें।
वेदा ने हाल ही में कर्नाटक के पूर्व क्रिकेटर अर्जुन होयसला से शादी की है। यह उनके जीवन का एक नया अध्याय है, और अब वह निजी और पेशेवर दोनों मोर्चों पर नए सफर की ओर अग्रसर हैं। वेदा कृष्णमूर्ति का क्रिकेट करियर सिर्फ आंकड़ों से नहीं, बल्कि उनके समर्पण, आत्मबल और संघर्ष की कहानी से भी जाना जाएगा। उन्होंने न केवल टीम इंडिया को मैच जिताए, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के लिए रोल मॉडल बनकर उभरीं।
2 घंटा पहलेराहुल गांधी का गुजरात दौरा: वडोदरा एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत, मिशन 2027 की शुरुआत
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गुजरात विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों को लेकर कांग्रेस ने अब कमर कस ली है। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस नेता और संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शनिवार को गुजरात पहुंचे।
Rahul Gandhi In Gujrat: आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव 2027 को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी ने रणनीतिक तैयारियों की शुरुआत कर दी है। इस क्रम में संसद में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को गुजरात के वडोदरा और आनंद का दौरा किया। यह दौरा न केवल संगठनात्मक मजबूती की दिशा में एक कदम है, बल्कि सहकारी दुग्ध समितियों और किसानों की समस्याओं को केंद्र में रखकर ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
वडोदरा एयरपोर्ट पर हुआ भव्य स्वागत
राहुल गांधी के गुजरात आगमन पर वडोदरा एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उनका यह दौरा विशेष रूप से सहकारी क्षेत्र, किसानों और संगठनात्मक संरचना को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस इसे 'मिशन 2027' की औपचारिक शुरुआत के रूप में देख रही है।
आणंद में कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर में लिया हिस्सा
राहुल गांधी ने आणंद शहर में आयोजित तीन दिवसीय कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। यह शिविर 26 से 28 जुलाई तक चलेगा, जिसमें नवनियुक्त जिला कांग्रेस अध्यक्षों को आगामी चुनावों के मद्देनजर मार्गदर्शन और संगठनात्मक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पार्टी प्रवक्ता मनीष दोषी के अनुसार, राहुल गांधी ने उद्घाटन सत्र में पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं को 2027 के चुनाव के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने संगठन को "जन-आधारित शक्ति" बनाने की दिशा में काम करने पर जोर दिया।
दूध उत्पादक किसानों और सहकारी समितियों से संवाद
राहुल गांधी ने दोपहर 3 बजे के बाद वडोदरा जिले के जितोदिया गांव में सहकारी दुग्ध उत्पादक किसानों और स्थानीय सहकारी समितियों के नेताओं के साथ संवाद किया। यह बातचीत साबर डेयरी के किसानों द्वारा हाल में किए गए दूध खरीद मूल्य विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में विशेष महत्व रखती है। बैठक में किसानों ने दूध उत्पादन की लागत, भुगतान में देरी, और मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
राहुल गांधी ने उन्हें आश्वस्त किया कि कांग्रेस पार्टी इन मुद्दों को अपने चुनावी एजेंडे का हिस्सा बनाएगी और सहकारी ढांचे में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
भाजपा पर सहकारी मॉडल को कमजोर करने का आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने गुजरात के ऐतिहासिक सहकारी मॉडल को भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के जरिए कमजोर किया है। मनीष दोषी ने कहा: गुजरात का सहकारी मॉडल कभी देशभर के लिए मिसाल था। भाजपा के शासन में इसकी नींव हिल गई है। इसे फिर से मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है।
राहुल गांधी ने भी बैठक के दौरान कहा कि सहकारी आंदोलन को राजनीतिक हस्तक्षेप और नौकरशाही नियंत्रण से मुक्त कर किसानों के हाथों में सौंपा जाना चाहिए।
मिशन 2027: रणनीतिक तैयारी की शुरुआत
कांग्रेस इस दौरे को आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीतिक शुरुआत के रूप में देख रही है। राहुल गांधी का गुजरात दौरा केवल किसानों और सहकारी संस्थाओं से संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संदेश देता है कि पार्टी ग्राम केंद्रित विकास मॉडल, कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था, और जमीनी कार्यकर्ताओं की भागीदारी को चुनावी रणनीति का मुख्य आधार बना रही है।
प्रशिक्षण शिविर में चुनावी बूथ स्तर की रणनीति, सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग, जमीनी मुद्दों की पहचान और मतदाताओं के बीच मजबूत संवाद स्थापित करने जैसे विषयों पर चर्चा हो रही है। राहुल गांधी के इस संवाद दौरे से किसानों में नई उम्मीद जगी है। उन्होंने दुग्ध उत्पादकों को आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता, समय पर भुगतान, और न्यायसंगत सब्सिडी के लिए आगामी सत्रों में नीति प्रस्ताव रखेगी।
2 घंटा पहलेजयपुर बना दुनिया का 5वां सबसे खूबसूरत शहर: Travel + Leisure की ‘World’s Best Cities 2025’ लिस्ट में हुआ शामिल
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भारत में घूमने-फिरने के लिए जगहों की कोई कमी नहीं है, और इनमें से जयपुर का नाम हमेशा शीर्ष पर आता है। अपनी राजस्थानी संस्कृति, शाही खानपान, ऐतिहासिक इमारतों और राजमहलों के लिए प्रसिद्ध जयपुर को "पिंक सिटी" के नाम से भी जाना जाता है।
Must Visit City: जयपुर, जिसे भारत की ‘पिंक सिटी’ के नाम से जाना जाता है, ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का मान बढ़ाया है। प्रतिष्ठित ट्रैवल मैगजीन Travel + Leisure की ‘वर्ल्ड्स बेस्ट सिटीज 2025’ रैंकिंग में जयपुर को 5वां स्थान प्राप्त हुआ है। 91.33 के प्रभावशाली स्कोर के साथ जयपुर ने इटली के फ्लोरेंस (90.08) जैसे विश्वविख्यात शहर को भी पीछे छोड़ दिया है।
यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि जयपुर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आतिथ्य, भोजन और ऐतिहासिक स्थलों के लिए दुनियाभर के यात्रियों की पसंदीदा मंजिल बन चुका है।
- ‘World’s Best Cities 2025’ लिस्ट में टॉप 5 शहर
- San Miguel de Allende, मेक्सिको – स्कोर: 93.44
- Chiang Mai, थाईलैंड – स्कोर: 91.94
- Tokyo, जापान – स्कोर: 91.63
- Bangkok, थाईलैंड – स्कोर: 91.48
- Jaipur, भारत – स्कोर: 91.33
जयपुर को टॉप 5 में क्यों मिला स्थान?
Travel + Leisure हर साल अपने अंतरराष्ट्रीय पाठकों से शहरों को अलग-अलग मानकों पर रेट करने को कहता है। इसमें संस्कृति, पर्यटन स्थल, खानपान, खरीदारी, होटल, लोगों की मेहमाननवाजी और यात्रा का समग्र अनुभव शामिल होता है। 2025 की रैंकिंग में जयपुर को अपने अनूठे अनुभवों और विविधता के चलते उच्च स्कोर प्राप्त हुआ।
जयपुर को केवल एक पर्यटन स्थल कहना इसके महत्व को कम कर देना होगा। यह शहर राजा-महाराजाओं की विरासत, शाही महलों, प्राचीन किलों, और लोक संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। यहां की कुछ प्रमुख विशेषताएं:
- आमेर का किला: राजपूताना शैली का भव्य किला जो अरावली पहाड़ियों में स्थित है।
- हवा महल: गुलाबी बलुआ पत्थर से बना, 953 झरोखों वाला यह महल जयपुर की पहचान है।
- सिटी पैलेस: एक भव्य महल परिसर जो आज भी राजपरिवार का निवास स्थान है।
- जल महल और नाहरगढ़ किला: जलाशय के बीच स्थित यह महल और पहाड़ियों पर बसा किला रोमांचकारी दृश्य प्रदान करते हैं।
'पिंक सिटी' का ऐतिहासिक महत्व
जयपुर को 'पिंक सिटी' क्यों कहा जाता है, इसका इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। 1876 में महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने इंग्लैंड के प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड VII) के स्वागत के लिए पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था। तभी से यह गुलाबी रंग इस शहर की पहचान बन गया है। जयपुर के बाजार देश-दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां की खासियतें:
- जौहरी बाजार: पारंपरिक गहनों और चांदी की वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध।
- बापू बाजार और त्रिपोलिया बाजार: ब्लॉक प्रिंटेड कपड़े, बंदhej साड़ी, जूतियां और राजस्थानी हस्तशिल्प का खजाना।
- नीली पॉटरी: मिट्टी और कांच से बनी यह कला जयपुर की खास पहचान है।
खास है जयपुर का स्वाद
खानपान के शौकीनों के लिए जयपुर किसी स्वर्ग से कम नहीं:
- दाल बाटी चूरमा – पारंपरिक राजस्थानी थाली का मुख्य आकर्षण।
- घेवर और कचौड़ी – मिठास और मसालों का बेहतरीन संगम।
- मिर्ची बड़ा, प्याज की कचौड़ी और लस्सी – लोकल स्ट्रीट फूड का आनंद।
कैसे पहुंचे जयपुर?
जयपुर भारत के प्रमुख शहरों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है:
- दिल्ली से दूरी: लगभग 280 किमी
- हवाई मार्ग: जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से देश और विदेश के कई शहरों से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: जयपुर जंक्शन प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है।
- सड़क मार्ग: नेशनल हाईवे द्वारा जयपुर का देश के कई हिस्सों से सुगम संपर्क है।
इस रैंकिंग ने एक बार फिर साबित किया है कि भारत का सांस्कृतिक वैभव, परंपरा और आधुनिक पर्यटन का अद्वितीय मेल विश्व मानचित्र पर दमदार उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय कारीगरों, होटल उद्योग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी नया जीवन देगा।
5 घंटा पहलेभारत-चीन वार्ता में Rare-Earth Magnets पर बनी सहमति, मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को मिल सकती है राहत
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भारत और चीन के बीच हाल ही में हुई उच्च स्तरीय बातचीत में Rare-Earth Magnets पर लगी पाबंदियों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया. 14 जून को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई इस अहम बैठक में Rare-Earth Metals के आयात को लेकर सकारात्मक माहौल बना, जिसने भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक नई उम्मीद जगा दी है.
बैठक के बाद सूत्रों के हवाले से खबर है कि दोनों देशों ने व्यापारिक मुद्दों को लेकर रचनात्मक संवाद पर जोर दिया और Rare-Earth Magnets जैसे संवेदनशील विषयों पर सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए. भारतीय इंडस्ट्री को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चीन इन प्रतिबंधों में कुछ नरमी दिखा सकता है, जिससे खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और ग्रीन एनर्जी से जुड़ी कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी.
भारतीय उद्योगों पर असर
चीन की मौजूदा पॉलिसी के चलते Rare-Earth Magnets का आयात करना भारतीय कंपनियों के लिए महंगा और समय लेने वाला साबित हो रहा है. खासतौर पर इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता, रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियां और मेडिकल डिवाइस सेक्टर इस आपूर्ति बाधा से प्रभावित हुए हैं.
उद्योग संगठन फिक्की और सीआईआई जैसी संस्थाओं ने सरकार से लगातार मांग की थी कि चीन के साथ बातचीत में Rare-Earth से जुड़े मसलों को प्राथमिकता दी जाए. अब जब विदेश मंत्री ने खुद इस मुद्दे को चीन के समक्ष रखा है, तो इंडस्ट्री में एक नई ऊर्जा महसूस की जा रही है.
Rare-Earth Magnets की अहमियत क्या है
Rare-Earth Magnets यानी दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक तकनीकी क्षेत्र के कई प्रमुख उपकरणों में इस्तेमाल होते हैं. ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, विंड टर्बाइन्स, मोबाइल डिवाइसेज, मेडिकल स्कैनर्स और रक्षा उपकरणों जैसे उन्नत उत्पादों की आत्मा माने जाते हैं. इनकी ताकत और टिकाऊपन इन्हें खास बनाती है.
भारत अभी तक Rare-Earth Magnets के लिए चीन पर काफी हद तक निर्भर है. दुनियाभर में Rare-Earth तत्वों की सप्लाई चेन का लगभग 60 से 70 फीसदी हिस्सा चीन के नियंत्रण में है. ऐसे में चीन द्वारा इन पर किसी भी प्रकार की एक्सपोर्ट पाबंदी या कंट्रोल भारत जैसे उभरते तकनीकी देशों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है.
चीन ने Rare-Earth पर क्यों लगाई थी पाबंदी
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने Rare-Earth तत्वों के निर्यात पर सख्त पाबंदियां लगाईं थीं. इसका कारण था घरेलू मांग में तेजी और पर्यावरणीय प्रभावों को नियंत्रित करने की कोशिश. इसके अलावा, कुछ अंतरराष्ट्रीय तनावों के चलते चीन ने रणनीतिक दृष्टि से Rare-Earth की सप्लाई को नियंत्रण में लेना शुरू किया.
चीन का तर्क था कि ये संसाधन सीमित हैं और इनका पर्यावरण पर गंभीर असर होता है, इसलिए इनकी खपत और निर्यात दोनों पर सावधानी से काम करना जरूरी है. हालांकि इससे भारत समेत कई विकासशील देशों की इंडस्ट्री पर असर पड़ा.
भारत में Rare-Earth का उत्पादन और विकल्प
भारत में भी Rare-Earth तत्वों के भंडार मौजूद हैं, खासकर ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड और केरल जैसे राज्यों में. लेकिन इनका व्यावसायिक दोहन अभी सीमित है. इसके पीछे तकनीकी चुनौती, निवेश की कमी और पर्यावरणीय मंजूरी जैसी बाधाएं रही हैं.
भारत सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाते हुए निजी कंपनियों को Rare-Earth खनन और प्रोसेसिंग की अनुमति देने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके साथ ही भारतीय कंपनियां जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों के साथ सप्लाई समझौते भी कर रही हैं.
टेक्नोलॉजी सेक्टर में राहत की उम्मीद
टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप सेक्टर से जुड़े उद्यमियों का मानना है कि Rare-Earth Magnets की आसान उपलब्धता भारत को ग्रीन टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर निर्माण और हाई एंड मैकेनिकल उपकरण निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
चीन के साथ सहयोग होने की स्थिति में, न सिर्फ लागत घटेगी बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा भी बेहतर होगी. साथ ही, भारत की पीएलआई स्कीम (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना) के तहत भी कंपनियों को मजबूती मिलेगी.
बातचीत से किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा
अगर चीन Rare-Earth Magnets पर से प्रतिबंधों में कुछ राहत देता है, तो भारत की कई उभरती हुई इंडस्ट्री को सीधा फायदा मिलेगा. खासतौर पर EV स्टार्टअप्स, स्मार्टफोन कंपनियां, रक्षा से जुड़ी पब्लिक सेक्टर यूनिट्स और मेडिकल डिवाइस बनाने वाले प्लेयर काफी लाभान्वित हो सकते हैं.
इसके अलावा, यह कदम भारत-चीन व्यापार संबंधों में विश्वास बहाली का संकेत भी माना जाएगा. पिछले कुछ वर्षों में सीमा विवादों के चलते दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग में ठहराव आ गया था, लेकिन अब तकनीकी और आर्थिक क्षेत्र में नए सिरे से संवाद की शुरुआत हो रही है.
विदेश मंत्रालय की सतर्कता से बढ़ा भरोसा
जानकारों का कहना है कि भारत सरकार की यह पहल दर्शाती है कि अब विदेश नीति का इस्तेमाल सिर्फ कूटनीतिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसके जरिए देश की आर्थिक और औद्योगिक रणनीतियों को भी मजबूती दी जा रही है.
भारत-चीन वार्ता में Rare-Earth जैसे अहम मुद्दे को प्रमुखता देने से यह संकेत गया है कि अब हर वार्ता में इंडस्ट्री के हितों को भी समान महत्व दिया जाएगा. इससे भारतीय व्यापारिक समुदाय और वैश्विक निवेशकों में भारत के प्रति भरोसा और बढ़ सकता है.
5 घंटा पहलेलीबिया में पलटी प्रवासी नौका: मिस्र के 15 लोगों की दर्दनाक मौत; जानें कैसे हुआ दर्दनाक हादसा
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लीबिया के तट के पास एक भयावह हादसा सामने आया है, जहां शुक्रवार को प्रवासियों से भरी एक नौका पलट गई, जिससे कम से कम 15 मिस्र के नागरिकों की मौत हो गई।
त्रिपोली: यूरोप में बेहतर जीवन की तलाश में निकले प्रवासियों के लिए एक बार फिर समुद्र यात्रा घातक साबित हुई। लीबिया के पूर्वी तट पर स्थित तोब्रुक शहर के पास शुक्रवार रात एक प्रवासी नौका के पलट जाने से कम से कम 15 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मारे गए सभी लोग मिस्र के निवासी थे। यह नौका यूरोप की ओर रवाना हुई थी, लेकिन समुद्री हालात के बीच हादसे का शिकार हो गई।
हादसे की पुष्टि तटरक्षक बल ने की
तोब्रुक तटरक्षक बल के सामान्य प्रशासन के मीडिया प्रवक्ता मारवान अल-शाएरी ने इस दुखद घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह नौका शुक्रवार की रात लगभग 2 बजे तोब्रुक के पास समुद्र में पलट गई। नौका में कई प्रवासी सवार थे, जिनमें से अधिकांश मिस्र से थे। हादसे के बाद 15 शवों को बाहर निकाला गया, जबकि कई अन्य अभी भी लापता हैं।
प्रवक्ता अल-शाएरी के अनुसार, नाव पर सवार चालक दल के दो सूडानी सदस्य जीवित बचा लिए गए हैं, जबकि तीसरे की तलाश अब भी जारी है। उन्होंने एपी (एसोसिएटेड प्रेस) को दिए बयान में बताया कि समुद्री परिस्थितियां उस समय नौकायन के लिए उपयुक्त नहीं थीं, लेकिन नाव पलटने की सटीक वजह अभी तक सामने नहीं आई है।
10 लोगों को बचाया गया, कई अब भी लापता
स्थानीय मानवीय सहायता संगठन "अबरीन" ने शुक्रवार दोपहर फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बताया कि इस हादसे में कम से कम 10 लोगों को जिंदा बचा लिया गया है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि नाव पर कुल कितने लोग सवार थे और कितने लापता हैं। लीबिया के तटों से यूरोप की ओर जाने वाले प्रवासी अक्सर खतरनाक समुद्री यात्रा पर निकलते हैं, जिसमें हादसे आम बात हैं।
पिछले महीने भी इसी क्षेत्र में एक और नौका हादसे का शिकार हुई थी, जिसमें 32 प्रवासियों को ले जा रही नाव का इंजन फेल हो गया था। उस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 22 प्रवासी लापता हो गए थे। 9 लोगों को बचा लिया गया था। उस नाव में मिस्र और सीरिया के नागरिक सवार थे।
प्रवासी संकट बना वैश्विक चिंता
मध्य भूमध्य सागर मार्ग को दुनिया का सबसे खतरनाक प्रवासी मार्ग माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के आंकड़ों के अनुसार, 2025 की शुरुआत से अब तक इस मार्ग पर 531 प्रवासियों की मौत हो चुकी है, जबकि 754 लोग लापता हैं।
साल 2024 के आंकड़े और भी भयावह थे। IOM के अनुसार, उस वर्ष लीबियाई तट पर 962 प्रवासियों की मौत हुई थी और 1,563 लापता हुए थे। वर्ष 2023 में लगभग 17,200 प्रवासियों को लीबिया तटरक्षक बल ने रोका था और उन्हें वापस भेज दिया गया था।लीबिया लंबे समय से अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया से यूरोप जाने वाले प्रवासियों के लिए प्रमुख ट्रांजिट देश रहा है। लेकिन 2011 में मोअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से यह देश राजनीतिक अस्थिरता और कानून व्यवस्था की समस्याओं से जूझ रहा है, जिससे मानव तस्करी के नेटवर्क और अधिक सक्रिय हो गए हैं।
प्रवासी अक्सर तस्करों द्वारा उपलब्ध कराए गए अयोग्य और असुरक्षित नौकाओं में सवार होकर यूरोप की ओर निकलते हैं। उन्हें यूरोप में शरण, सुरक्षा और आर्थिक अवसरों की उम्मीद होती है, लेकिन उनकी यात्रा खतरनाक होती है।
6 घंटा पहलेPM मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता: मॉर्निंग कंसल्ट के सर्वे में 75% अप्रूवल रेटिंग, ट्रंप 8वें स्थान पर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वैश्विक स्तर पर उनकी लोकप्रियता कायम है। अमेरिकी बिजनेस इंटेलिजेंस कंपनी Morning Consult द्वारा जुलाई 2025 में कराए गए सर्वे के अनुसार, पीएम मोदी 75 प्रतिशत अप्रूवल रेटिंग के साथ दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं।
PM Modi Top on World Leaders: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर वैश्विक राजनीति में अपनी लोकप्रियता का परचम लहराते हुए दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बन गए हैं। अमेरिका की प्रतिष्ठित बिजनेस इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स फर्म Morning Consult की ओर से जारी जुलाई 2025 की ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग सर्वे में पीएम मोदी को 75% अप्रूवल रेटिंग मिली है, जो कि सभी 20 प्रमुख देशों के नेताओं में सर्वाधिक है।
सर्वे की अवधि और तरीके
यह सर्वेक्षण 4 जुलाई से 10 जुलाई 2025 के बीच 20 देशों में किया गया, जिसमें प्रत्येक देश में हजारों नागरिकों से उनके नेताओं के कार्य प्रदर्शन को लेकर राय मांगी गई। यह सर्वे डिजिटल माध्यमों से किया गया और इसमें जनसंख्या की आयु, लिंग और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को संतुलित किया गया। सर्वे के अनुसार, 75% प्रतिभागियों ने पीएम मोदी के कामकाज पर संतुष्टि जताई है। मात्र 18% लोगों ने असहमति जताई जबकि 7% प्रतिभागी निर्णय नहीं ले सके।
यह बताता है कि नरेंद्र मोदी न केवल भारत के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लोकतांत्रिक नेतृत्व की मिसाल बन चुके हैं। विशेष बात यह है कि पिछले कई महीनों से मोदी इस रैंकिंग में शीर्ष स्थान बनाए हुए हैं। यह लगातार वैश्विक मंचों पर भारत की मजबूत भागीदारी, विदेश नीति की स्पष्टता और आंतरिक विकास योजनाओं का नतीजा है।
डोनाल्ड ट्रंप 8वें स्थान पर
इस वैश्विक लिस्ट में मोदी के बाद दूसरे स्थान पर हैं दक्षिण कोरिया के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ली जे म्युंग, जिन्हें 59% अप्रूवल रेटिंग मिली है। खास बात यह है कि राष्ट्रपति ली ने मात्र एक माह पूर्व ही पदभार संभाला है, और इतने कम समय में यह समर्थन हासिल करना उनकी प्रभावी कार्यशैली को दर्शाता है। तीसरे स्थान पर अर्जेंटीना के दक्षिणपंथी राष्ट्रपति जेवियर माइली रहे, जिन्हें 57% लोगों ने समर्थन दिया। हालांकि 37% लोग उनके खिलाफ भी मत रखते हैं, जो बताता है कि उनकी नीतियों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो इस समय दूसरे कार्यकाल में हैं, को केवल 45% अप्रूवल रेटिंग प्राप्त हुई है, और वह इस सर्वे में 8वें स्थान पर रहे। अमेरिका जैसे महाशक्ति देश के नेता के लिए यह रैंकिंग चिंताजनक हो सकती है, खासकर तब जब आने वाले समय में उन्हें राष्ट्रपति चुनावों का सामना करना है।
सबसे कम लोकप्रिय नेता
इस रैंकिंग में सबसे नीचे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रहे, जिन्हें सिर्फ 18% लोगों ने समर्थन दिया, जबकि 74% नागरिकों ने असंतोष जताया। इसके अलावा चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री पेट्र फिआला भी सबसे कम लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे। वहीं इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी को 10वां स्थान प्राप्त हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि यूरोप में कई नेताओं की लोकप्रियता में गिरावट देखने को मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक लोकप्रियता के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
- मजबूत विदेश नीति: अमेरिका, रूस, यूरोप, खाड़ी देशों और एशियाई देशों से संतुलित संबंध।
- आर्थिक सुधारों पर जोर: भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में योजनाएं।
- डिजिटल और टेक्नोलॉजी इनोवेशन: डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया।
- वैश्विक मंचों पर प्रभावशाली उपस्थिति: G20, ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भारत की भूमिका सशक्त हुई है।
6 घंटा पहलेसरकार का बड़ा एक्शन: तीन महीने में निपटेंगे हजारों टैक्स विवाद, CBDT को मिले सख्त निर्देश
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो करोड़ों टैक्सपेयर्स के लिए राहत की खबर लेकर आया है। 24 जुलाई 2025 को उन्होंने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी को निर्देश दिया कि वह उन सभी टैक्स अपीलों को तीन महीने के भीतर वापस ले, जो अब संशोधित मौद्रिक सीमा के तहत आती हैं। इस कदम से देश में लंबे समय से लटके टैक्स विवादों का समाधान तेजी से हो सकेगा।
बजट में हुआ था ऐलान, अब अमल में लाई जा रही योजना
2024-25 के बजट में सरकार ने डिपार्टमेंटल टैक्स अपील दाखिल करने की मौद्रिक सीमाओं को बढ़ा दिया था। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के लिए यह सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दी गई। हाई कोर्ट के लिए इसे 1 करोड़ से 2 करोड़ और सुप्रीम कोर्ट के लिए 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपये तक किया गया।
इन नई सीमाओं की वजह से अब विभाग छोटी राशि के मामलों को अदालत में नहीं ले जाएगा। इसका सीधा फायदा यह होगा कि अदालतों पर अनावश्यक बोझ कम होगा और बड़े टैक्स विवादों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
2024 में ही दिखने लगे थे असर
बजट के तुरंत बाद ही टैक्स विभाग ने इसके असर को लागू करना शुरू कर दिया था। वर्ष 2024 में विभाग ने 4605 अपीलें वापस ले ली थीं, जबकि 3120 नए मामले दाखिल ही नहीं किए गए, क्योंकि वे नई सीमा के तहत आते थे। इससे साफ है कि विभाग अब विवादों के बजाय समाधान की राह पर तेजी से बढ़ रहा है।
लाखों अपीलें लंबित, अब तेजी से होगा निपटारा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देशभर में अभी भी 5.77 लाख टैक्स अपीलें लंबित हैं। इनमें से 2.25 लाख मामलों को सरकार 2025-26 के कारोबारी साल में निपटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यदि यह लक्ष्य पूरा होता है तो करीब 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के टैक्स विवाद सुलझ सकते हैं।
सीतारमण ने सीबीडीटी को यह भी निर्देश दिया कि वो इन लंबित मामलों की गहराई से समीक्षा करे और यह पता लगाए कि इतनी बड़ी संख्या में मामले लंबित क्यों हैं। साथ ही टैक्सपेयर्स की शिकायतों का स्थायी हल भी खोजा जाए।
रिफंड और विवाद समाधान में तेजी के निर्देश
वित्त मंत्री ने टैक्स विभाग को यह भी कहा कि टैक्स रिफंड की प्रक्रिया को तेज किया जाए और सभी विवादित टैक्स मांगों को समयबद्ध तरीके से निपटाया जाए। इससे ना सिर्फ टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी बल्कि विभाग की छवि भी बेहतर होगी। उन्होंने यह भी कहा कि टैक्स विभाग को क्षेत्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन की लगातार समीक्षा करनी चाहिए ताकि कोई भी क्षेत्र पिछड़ न जाए।
टैक्स व्यवस्था में पारदर्शिता की ओर एक और कदम
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में यह भी बताया कि सीबीडीटी इस समय एक नया इनकम टैक्स बिल तैयार कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस काम में करीब 60 हजार मानव-घंटे लगाए गए हैं। पुराना कानून लगभग पांच लाख शब्दों का था, जिसे अब आधा किया गया है। फिर भी यह सुनिश्चित किया गया है कि कानूनी मजबूती बनी रहे।
यह नया टैक्स बिल टैक्स व्यवस्था को सरल, स्पष्ट और आम आदमी के लिए समझने योग्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
सरकार का फोकस मुकदमेबाजी से समाधान पर
यह साफ दिख रहा है कि सरकार का फोकस अब मुकदमेबाजी से हटकर समाधान और संवाद की ओर बढ़ रहा है। पहले जहां छोटी-छोटी राशि के विवादों के लिए वर्षों तक कोर्ट के दरवाजे खटखटाए जाते थे, अब वही मामले विभाग द्वारा वापस लिए जा रहे हैं।
इससे अदालतों पर भार कम होगा, टैक्सपेयर्स की मानसिक और वित्तीय परेशानी घटेगी और विभाग का समय और संसाधन बड़े और गंभीर मामलों पर केंद्रित हो पाएगा।
सीबीडीटी की भूमिका को सराहा गया
सीतारमण ने सीबीडीटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग ने न केवल तकनीकी रूप से जटिल मसलों को सरल भाषा में पेश करने की कोशिश की है, बल्कि एक आधुनिक टैक्स प्रशासन की नींव भी रखी है। अब टैक्सपेयर्स को हर बात के लिए कोर्ट का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, क्योंकि विभाग खुद छोटे मामलों को खत्म करने की ओर बढ़ रहा है।
बदलती टैक्स संस्कृति की झलक
इस पूरे घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में टैक्स व्यवस्था अब केवल राजस्व संग्रह तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसमें नागरिक सुविधा और पारदर्शिता को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
देश में पहली बार ऐसा हो रहा है जब सरकार खुद यह कह रही है कि वह ऐसे मामलों को अदालतों से वापस लेगी, जो वास्तव में विवाद के लायक नहीं हैं। यह एक नई और सकारात्मक टैक्स संस्कृति की ओर बढ़ता भारत है, जहां भरोसे और सम्मान की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है।
10 घंटा पहलेफ्रांस ने किया फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देने का फैसला, अमेरिका-इज़राइल में विरोध की लहर, जानिए पूरा मामला
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फ्रांस ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देने का फैसला किया है। अमेरिका और इज़राइल ने इस पर नाराज़गी जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
France: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा कर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नया मोड़ ला दिया है। यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब गाजा पट्टी में इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष जारी है और हजारों आम नागरिक मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। मैक्रों के इस फैसले को फिलिस्तीन के पक्ष में एक बड़े समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही अमेरिका और इज़राइल की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
अमेरिका ने फैसले को बताया लापरवाही
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इस घोषणा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र महासभा में राज्य की मान्यता देना हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा देगा। उन्होंने इसे 7 अक्टूबर को मारे गए इज़रायली नागरिकों के प्रति अपमान बताया और कहा कि यह फैसला शांति प्रयासों को कमजोर करेगा। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह कदम मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
नेतन्याहू ने जताई नाराज़गी
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फ्रांस के इस फैसले को एक "गंभीर भूल" करार दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन देशों द्वारा किया जा रहा है जो अपने ही क्षेत्रों में स्वतंत्रता की सीमाओं को स्वीकार नहीं करते। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि मैक्रों हमास जैसे सशस्त्र गुटों की गतिविधियों की अनदेखी कर रहे हैं। इज़राइल का मानना है कि यह फैसला उनके सुरक्षा हितों को कमजोर कर सकता है और क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ावा देगा।
गाजा में बिगड़ते हालात और वार्ता की विफलता
फ्रांस की यह घोषणा ऐसे समय पर सामने आई है जब कतर की राजधानी दोहा में चल रही युद्धविराम वार्ता विफल हो चुकी है। अमेरिका और इज़राइल ने वार्ता से हटने की घोषणा कर दी है। अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने हमास पर सद्भावना की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका अब विकल्पों पर पुनर्विचार करेगा। वार्ता में कोई ठोस समाधान सामने न आने से क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
मैक्रों का मानवीय पहलुओं पर जोर
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट किया कि उनका निर्णय राजनीतिक कम और मानवीय अधिक है। उन्होंने कहा कि गाजा में जारी मानवीय संकट को देखते हुए यह ज़रूरी हो गया है कि फिलिस्तीन को अधिकार और मान्यता दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से पेश किया जाएगा। मैक्रों ने यह भी जोड़ा कि उनका उद्देश्य गाजा में युद्धविराम लाना और आम नागरिकों की जान बचाना है।
11 घंटा पहले'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में विशेष चर्चा: लोकसभा में 28 जुलाई, राज्यसभा में 29 को हो सकता है पीएम मोदी का संबोधन
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संसद के दोनों सदनों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा होने जा रही है। जानकारी के अनुसार, सोमवार यानी 28 जुलाई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत करेंगे। इस अहम विषय पर गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी चर्चा में भाग लेंगे।
नई दिल्ली: भारत की संसद में आगामी 28 और 29 जुलाई को एक अहम और संवेदनशील विषय पर बहस होने जा रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले पर विशेष चर्चा की जाएगी। इस चर्चा की शुरुआत 28 जुलाई (सोमवार) को लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा की जाएगी, जबकि 29 जुलाई को यही चर्चा राज्यसभा में आयोजित की जाएगी। दोनों सदनों में इस चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने की भी संभावना जताई जा रही है।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का व्यापक दायरा
इस विशेष चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर व निशिकांत दुबे भी भाग लेंगे। चर्चा का उद्देश्य देश की सुरक्षा, विदेश नीति, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई, और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर सरकार की नीति को स्पष्ट करना है।
सूत्रों के अनुसार, दोनों सदनों में इस विषय पर लगभग 16 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है। यह चर्चा संसद के मानसून सत्र का अब तक का सबसे बड़ा विमर्श बन सकती है।
विपक्ष की मांग पर सरकार की सहमति
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले पर संसद में चर्चा की मांग की थी। सरकार ने तुरंत इस पर सहमति जताई, लेकिन इसके बावजूद संसद में लगातार हंगामा जारी रहा। रिजिजू ने विपक्ष से संसद की कार्यवाही बाधित न करने की अपील की।
उन्होंने कहा: हमने स्पष्ट किया कि हम 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई, जिसमें 28 जुलाई को लोकसभा और 29 जुलाई को राज्यसभा में इस मुद्दे पर विशेष चर्चा का निर्णय लिया गया।
सभी मुद्दों पर एक साथ चर्चा संभव नहीं: रिजिजू
रिजिजू ने स्पष्ट किया कि संसद में एक साथ सभी मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने बताया कि विपक्ष ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और अन्य कई मुद्दों पर बहस की मांग की थी, लेकिन फिलहाल सरकार का फोकस 'ऑपरेशन सिंदूर' और आतंकवाद पर है। अन्य मुद्दों पर चर्चा बाद में तय की जाएगी।
इस बीच, संसद में एक और बड़ा मुद्दा उठाया जा रहा है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते लोकसभा में हटाने का प्रस्ताव लाया जाएगा। रिजिजू ने बताया कि इसके लिए 150 से अधिक सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। राज्यसभा में इसी तरह के प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिल पाई, जिससे निचले सदन में इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है। उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जल्द ही इस मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति की घोषणा करेंगे।
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के तहत कार्रवाई
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के प्रावधानों के अनुसार, यदि लोकसभा में न्यायाधीश के खिलाफ कार्यवाही शुरू होती है और वह वैध मानी जाती है, तो आगे की प्रक्रिया राज्यसभा में भेजी जाती है। इस अधिनियम के तहत किसी भी न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों की सहमति आवश्यक होती है।
मानसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष द्वारा लगातार विरोध-प्रदर्शन और हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही प्रभावित रही है। रिजिजू ने बताया कि अब तक केवल एक विधेयक ही पारित किया जा सका है। ऐसे में सरकार अब मुद्दों पर केंद्रित बहस और सार्थक कार्यवाही की दिशा में कदम बढ़ा रही है।