छत्तीसगढ़ में कथित 2,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल और दीपेन चावड़ा को गिरफ्तार किया। अदालत ने दोनों को 6 अक्टूबर तक हिरासत में भेजा।
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले ने एक बार फिर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। एसीबी/ईओडब्ल्यू ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल और उनके सहयोगी दीपेन चावड़ा को गिरफ्तार किया। आरोप है कि 2019 से 2022 के बीच हुए इस घोटाले में हजारों करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई और इसका सीधा फायदा कथित तौर पर राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में पहुंचा।
एसीबी/ईओडब्ल्यू की कार्रवाई और अदालत में पेशी
अधिकारियों के मुताबिक, चैतन्य बघेल को विशेष अदालत (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) में पेश किया गया, जहां से उन्हें 6 अक्टूबर तक एसीबी/ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेजा गया। इस दौरान अदालत ने दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ की अनुमति दी है।
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जुलाई में चैतन्य बघेल के भिलाई स्थित आवास पर छापेमारी की थी। तब से वह न्यायिक हिरासत में जेल में थे। अब पेशी वारंट मिलने के बाद एसीबी/ईओडब्ल्यू ने उन्हें औपचारिक रूप से अपनी गिरफ्तारी में लिया।
2,500 करोड़ रुपये का घोटाला
यह शराब घोटाला कथित तौर पर 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार थी। जांच एजेंसियों का अनुमान है कि इस दौरान अवैध वसूली और हेराफेरी के जरिए लगभग 2,500 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।
ईडी का दावा है कि चैतन्य बघेल ने इस पूरे नेटवर्क को नियंत्रित किया और अकेले लगभग 1,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष प्रबंधन किया। आरोप यह भी है कि उन्होंने न केवल रकम इकट्ठा की बल्कि अपराध से हुई आय को छिपाने और विभिन्न चैनलों के जरिए घुमाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
वकील ने गिरफ्तारी को राजनीति बताया
चैतन्य बघेल के वकील फैसल रिजवी ने गिरफ्तारी को पूरी तरह राजनीति से प्रेरित बताया। उनके अनुसार, अब तक दाखिल मुख्य और पूरक चार्जशीट्स में चैतन्य का नाम शामिल नहीं किया गया था। कुल 45 लोगों को इस घोटाले में आरोपी बनाया गया है, लेकिन उनमें से कई अब तक गिरफ्तार नहीं हुए।
वकील ने कहा कि गिरफ्तारी का आधार केवल एक अन्य आरोपी लक्ष्मी नारायण बंसल का बयान है। उनका दावा है कि अदालत में ठोस सबूत पेश नहीं किए गए हैं और केवल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए उनके मुवक्किल को फंसाया जा रहा है।
सिंडिकेट की गहराई से जांच और आगे की कार्यवाही
ईडी और एसीबी/ईओडब्ल्यू का कहना है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा सिंडिकेट बनाया गया था। शराब बनाने वालों से कमीशन और रिश्वत लेकर बाजार हिस्सेदारी पर नियंत्रण किया गया और इससे हुई कमाई का लाभ तत्कालीन नेताओं और अफसरों तक पहुंचाया गया।
अब तक की जांच में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर समेत कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं। अदालत ने मामले की गंभीरता देखते हुए जांच एजेंसियों को 6 अक्टूबर तक गहन पूछताछ की अनुमति दी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।