दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया कि भारतीय क्रिकेट टीम को 'टीम इंडिया' कहना पूरी तरह सही और जायज है। मामले में याचिकाकर्ता ने BCCI से मांग की थी कि राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए 'भारतीय क्रिकेट टीम' (Indian Cricket Team) नाम का ही इस्तेमाल किया जाए और 'टीम इंडिया' शब्द का उपयोग रोका जाए।
स्पोर्ट्स न्यूज़: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) का नाम बदलने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय क्रिकेट टीम को ‘टीम इंडिया’ कहना पूरी तरह से सही और जायज है। मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस गेडेला ने याचिकाकर्ता वकील रीपक कंसल को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि यह याचिका समय की बर्बादी है और इस तरह के मामले में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
याचिकाकर्ता की मांग क्या थी?
वकील रीपक कंसल द्वारा दायर PIL में यह तर्क दिया गया था कि BCCI (Board of Control for Cricket in India) एक निजी संस्था है, जो तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत है। याचिकाकर्ता का कहना था कि BCCI संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत कोई सरकारी या संवैधानिक निकाय नहीं है।
इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया कि युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs & Sports) ने कई RTI जवाबों में स्पष्ट किया है कि BCCI को राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) के रूप में मान्यता नहीं मिली है और इसे सरकारी वित्तीय सहायता भी नहीं दी जाती। याचिकाकर्ता का तर्क था कि सरकारी मीडिया प्लेटफॉर्म लगातार BCCI की टीम को ‘टीम इंडिया’ या ‘इंडियन नेशनल टीम’ के रूप में पेश कर रहे हैं और प्रसारण में राष्ट्रीय प्रतीक जैसे तिरंगा इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उनका दावा था कि यह 1950 के Emblems & Names Act और 2002 के Flag Code का उल्लंघन हो सकता है।
कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा: यह टीम हर जगह भारत का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए इसे ‘टीम इंडिया’ कहना सही और न्यायसंगत है। चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा, "क्या आप यह कहना चाहते हैं कि यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती? यह वही टीम है जो हर जगह जाकर भारत का नाम रोशन कर रही है। तो इसे टीम इंडिया क्यों नहीं कह सकते?"
जस्टिस गेडेला ने भी कहा कि यह जनहित याचिका सरासर समय की बर्बादी है। कोर्ट ने आगे उदाहरण देकर समझाया कि अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों में सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी जाती है। उन्होंने IOC (इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी) के नियम और ओलंपिक चार्टर का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक और नाम का उपयोग खेल में मान्य है।
कोर्ट ने कहा: अगर आप अपने घर में झंडा फहराना चाहते हैं, तो क्या आपको रोका जा सकता है? इसके अलावा कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या याचिकाकर्ता खेल के पूरे सिस्टम और नियमों से परिचित हैं, क्योंकि हर खेल में राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व और चयन प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार होती है।
कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि: टीम इंडिया राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का सही प्रतिनिधित्व है। BCCI का संचालन और चयन प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है. सरकारी प्रतीक और झंडे का इस्तेमाल केवल भ्रम पैदा करने वाला नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा है। याचिका संविधान, खेल नियम और कानूनों के दृष्टिकोण से ठोस नहीं थी।