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इंदौर में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, 'भारत कभी नहीं बंटेगा, जीवन विद्या से आगे बढ़ेगा राष्ट्र'

इंदौर में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, 'भारत कभी नहीं बंटेगा, जीवन विद्या से आगे बढ़ेगा राष्ट्र'

इंदौर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इंग्लैंड बंटने की स्थिति में आ रहा है, लेकिन भारत नहीं बंटेगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास जीवन विद्या है, जो हमें एकजुट रखेगी और आगे बढ़ने की शक्ति देगी।

New Delhi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने मध्य प्रदेश के इंदौर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड बंटने की स्थिति में आ रहा है, लेकिन भारत नहीं बंटेगा। उन्होंने आगे कहा कि कभी हम बंटे भी थे, तो अब फिर से मिल भी जाएंगे।

भागवत का यह बयान केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल की किताब परिक्रमा के विमोचन कार्यक्रम में आया। उनके इस संबोधन ने एक बार फिर राष्ट्रीय एकता, संस्कृति और भारतीय जीवन दृष्टि पर चर्चा को तेज कर दिया।

"हम आगे बढ़ेंगे, नहीं बंटेंगे"

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भविष्यवाणी की थी कि भारत टिकेगा नहीं और स्वतंत्र होने के बाद बंट जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि "हम नहीं बंटेंगे, हम आगे बढ़ेंगे और कभी बंट भी गए थे, तो फिर से मिल जाएंगे।"

दुनिया में झगड़ों की वजह

भागवत ने अपने भाषण में बताया कि दुनिया में संघर्ष का कारण स्वार्थ और अहंकार है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति सिर्फ यही चाहता है कि वह खुद आगे बढ़े और दूसरा पीछे रह जाए। यही सोच टकराव और संघर्ष की जड़ है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले गला काटने का काम दरजी करते थे और जेब काटने का काम चोर। लेकिन आज पूरी दुनिया यही कर रही है। उनका इशारा इस ओर था कि आधुनिक समाज में ईमानदारी और सहयोग की जगह स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा ने ले ली है।

श्रद्धा और विश्वास पर चलता है जीवन

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जीवन श्रद्धा और विश्वास पर चलता है। पहले जिन्हें जड़वादी कहा जाता था, वे भी अब इस बात को मानने लगे हैं। उनका कहना था कि अगर हम यह मान लें कि भगवान है और वही सबकुछ है, तो सारे झगड़े खत्म हो सकते हैं।

भारत का स्वर्णिम अतीत

मोहन भागवत ने भारत के गौरवशाली अतीत की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब भारत सिरमौर देश था, तब 3000 वर्षों तक दुनिया में कोई बड़ा कलह नहीं हुआ। उस समय तकनीकी प्रगति भी उच्च स्तर की थी, लेकिन पर्यावरण नहीं बिगड़ा। समाज सुसंस्कृत था और मनुष्य का जीवन सुखी था।

उन्होंने बताया कि भारत ने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया। जहां भी गया, वहां सभ्यता और ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि हमने किसी को धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर नहीं किया और न ही किसी का व्यापार दबाया।

आधुनिक विकास पर सवाल

भागवत ने आधुनिक समय में हो रहे बदलावों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज विज्ञान और ज्ञान बहुत आगे बढ़ गया है। मनुष्य अब बहुत कुछ प्रत्यक्ष देख और कर सकता है, लेकिन इसके साथ ही विनाश भी बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि आधुनिक विकास ने परिवार और समाज को कमजोर कर दिया है। अब माता-पिता को रास्ते पर छोड़ दिया जाता है। संस्कारों की कमी दिखने लगी है। भौतिक दृष्टि से प्रगति के बावजूद सामाजिक और सांस्कृतिक बंधन टूट रहे हैं।

मोहन भागवत ने इंग्लैंड का उदाहरण देते हुए कहा कि आज वहां बंटने की स्थिति बन रही है। लेकिन भारत में ऐसा कभी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास "जीवन विद्या" है, जिसे हमारे पूर्वजों ने दिया है। इसी ज्ञान के बल पर भारत आगे बढ़ेगा और एकजुट रहेगा।

"हमने विश्व का नेतृत्व किया, पर कब्जा नहीं"

अपने भाषण में उन्होंने दोहराया कि भारत ने हमेशा विश्व का नेतृत्व किया, लेकिन किसी पर कब्जा नहीं जमाया। उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता ने संवाद और सह-अस्तित्व की सीख दी। हर राष्ट्र की अपनी पहचान थी, और भारत ने उस पहचान का सम्मान किया।

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