दिव्या दत्ता बॉलीवुड में अपनी बेहतरीन अदाकारी और हर किरदार में सहजता से ढल जाने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने मीडिया से खास बातचीत की।
एंटरटेनमेंट: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने आजादी के असल मायनों पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि यह हर नागरिक के लिए एक निरंतर जिम्मेदारी है। दिव्या दत्ता, जिन्हें उनकी बहुमुखी अभिनय प्रतिभा और हर किरदार में ढल जाने की क्षमता के लिए जाना जाता है, कई ऐसी फिल्मों का हिस्सा रही हैं जो भारत की स्वतंत्रता की कहानियों को बड़े पर्दे पर लेकर आईं। इस खास दिन पर उन्होंने न केवल अपनी फिल्मों के अनुभव साझा किए, बल्कि यह भी बताया कि उनके लिए असल आजादी का मतलब क्या है।
फिल्मों से सीखा आजादी का जज्बा
दिव्या दत्ता ने याद किया,
'मैंने बहुत सी ऐसी फिल्मों में काम किया है जो भारत की आजादी से जुड़ी हैं। इनमें आजादी का जज्बा और त्याग साफ झलकता है। खास तौर पर मैं ‘भगत सिंह’ का जिक्र करूंगी, जिसमें मैंने दुर्गा भाभी का किरदार निभाया था। दूसरी फिल्म ‘सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो’ थी, जिसे श्याम बेनेगल जी ने निर्देशित किया था, और उसमें मैंने बोस की भांजी इलापोस का रोल निभाया।'
उनके मुताबिक, इन फिल्मों ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों की गहरी समझ दी और यह एहसास कराया कि आजादी कितनी मेहनत और संघर्ष से मिली है।
दिव्या के लिए असल आजादी का मतलब
दिव्या कहती हैं,
'मेरे लिए आजादी का सबसे बड़ा अर्थ है अपनी संस्कृति, परंपराओं और भारतीयता का अपने अंदाज में जश्न मनाना। यह गर्व की बात है कि हम अपनी पसंद और फैसले खुद ले सकते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां ‘बाय द पीपल, फॉर द पीपल, ऑफ द पीपल’ की भावना जीवित है। हमारा संविधान हमें यह अहसास कराता है कि हम एक फ्री कंट्री के नागरिक हैं।'
भारत की विविधता – एक अनमोल तोहफा
दिव्या का मानना है कि भारत की विभिन्न भाषाएं, पहनावे, भोजन और रीति-रिवाज उनके अभिनय में गहराई लाते हैं। हर राज्य की अपनी अलग पहचान है। पंजाब और बंगाल जैसे राज्यों की सांस्कृतिक भिन्नताओं को समझना मेरे लिए एक्टिंग का अहम हिस्सा है। यह विविधता भारत की असली खूबसूरती है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की गहराई को समझाते हुए कहा,
'हमारे यहां बड़ों का सम्मान, मजबूत पारिवारिक ढांचा और एक-दूसरे से जुड़ाव हमें विशिष्ट बनाता है। चाहे भक्ति हो या शक्ति, हर जगह भारत की खुशबू महसूस होती है। यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।'
दिव्या के मुताबिक, सच्ची आजादी तभी है जब नागरिक अपनी जिम्मेदारियों को समझें। हमें सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी जिम्मेदार होना चाहिए। अपनी गली-मोहल्ले की सफाई से लेकर नियमों का पालन, यह सब हमें मजबूरी से नहीं बल्कि समझ और जागरूकता से करना चाहिए। यह ही असली स्वतंत्रता है।
गर्व से कहो – हम भारतीय हैं
अंत में दिव्या दत्ता ने देशवासियों को प्रेरित करते हुए कहा, हमें गर्व होना चाहिए कि हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक हैं। आजादी केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि यह एक ऐसी विरासत है जिसे हमें संभालकर रखना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। इसे ईमानदारी से निभाना ही हमारी सच्ची देशभक्ति है।
स्वतंत्रता दिवस के इस मौके पर दिव्या दत्ता का यह संदेश न केवल भारतीयों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के उन लोगों के लिए भी प्रेरणादायी है, जो आजादी को सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी मानते हैं।