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ITR 2025: टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी, अब ITR रिफंड में नहीं होगी देरी?

ITR 2025: टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी, अब ITR रिफंड में नहीं होगी देरी?

Income Tax: ऑटोमेशन और प्रोसेस सुधार के चलते इनकम टैक्स रिफंड का औसत समय घटकर अब सिर्फ 10 दिन

इनकम टैक्स रिटर्न भरने के बाद टैक्सपेयर्स की सबसे आम चिंता होती है कि रिफंड कब आएगा। आयकर विभाग की ओर से हाल के कुछ सालों में टेक्नोलॉजी और प्रोसेस को काफी हद तक ऑटोमेट किया गया है। इसी का असर है कि अब रिफंड जारी होने में लगने वाला औसत समय घटकर 10 दिन पर आ गया है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह समय औसतन 10 दिन है, लेकिन हर केस में रिफंड मिलने में समय अलग-अलग हो सकता है।

समय सीमा बढ़ने का रिफंड पर क्या असर

असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को 15 सितंबर तक बढ़ा दिया गया है। इस वजह से कई लोग सोच रहे हैं कि क्या इससे उनके रिफंड मिलने में भी देरी होगी। लेकिन आयकर विभाग का कहना है कि समय सीमा बढ़ाने का रिफंड के समय से कोई सीधा संबंध नहीं है। अगर टैक्सपेयर्स ने सही तरीके से और समय पर रिटर्न फाइल किया है, तो उन्हें जल्द रिफंड मिल सकता है।

कानून में क्या है रिफंड का समय तय

आयकर कानून के अनुसार, अगर मामला सामान्य है, तो फाइलिंग के कुछ दिनों के भीतर ही रिफंड मिल सकता है। लेकिन अगर मामला जटिल है या किसी तरह की जांच जरूरी है, तो विभाग असेसमेंट ईयर खत्म होने के 9 महीने बाद तक रिफंड जारी कर सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई टैक्सपेयर असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए रिटर्न भर रहा है, तो उसे रिफंड मिलने की आखिरी सीमा दिसंबर 2026 हो सकती है।

रिफंड में देरी की आम वजहें

  1. ई-वेरिफिकेशन नहीं करना: बहुत सारे टैक्सपेयर्स रिटर्न तो भर देते हैं, लेकिन उसे ई-वेरिफाई करना भूल जाते हैं। बिना ई-वेरिफिकेशन के आयकर विभाग रिटर्न को प्रोसेस नहीं करता और रिफंड नहीं जारी करता।
  2. PAN और आधार लिंक न होना: अगर आपका पैन कार्ड आपके आधार नंबर से लिंक नहीं है, तो सिस्टम आपकी रिटर्न को प्रोसेस करने में रुकावट डाल सकता है। इससे रिफंड में देरी होना तय है।
  3. TDS की जानकारी में गड़बड़ी: अगर आपके फॉर्म 26AS या AIS में दी गई TDS की जानकारी, रिटर्न में दी गई डिटेल्स से मेल नहीं खाती, तो सिस्टम उस रिटर्न को रोक देता है। इससे रिफंड अटक सकता है।
  4. गलत बैंक डिटेल्स देना: रिफंड सीधे आपके बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाता है। अगर आपने रिटर्न में गलत अकाउंट नंबर या IFSC कोड दिया है, तो ट्रांजैक्शन फेल हो सकता है।
  5. विभाग के नोटिस को नजरअंदाज करना: कभी-कभी विभाग की तरफ से मेल या नोटिस के जरिए कुछ जानकारी मांगी जाती है। अगर टैक्सपेयर समय पर उसका जवाब नहीं देता, तो रिफंड रोका जा सकता है या देरी हो सकती है।

तेजी से रिफंड पाने के लिए जरूरी बातें

रिफंड में देरी से बचने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है। जैसे कि 

  • पैन और आधार लिंक हों
  • सभी आय और टैक्स डिटेल्स सही हों
  • बैंक की जानकारी अपडेट और सही हो
  • ई-वेरिफिकेशन समय पर पूरा किया जाए

ई-वेरिफिकेशन के लिए आजकल आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग, डीमैट अकाउंट या ई-वेरिफिकेशन कोड जैसे कई विकल्प उपलब्ध हैं। यह प्रक्रिया रिटर्न भरने के तुरंत बाद की जानी चाहिए।

ऑटोमेशन से रिफंड में आ रही है तेजी

पिछले कुछ सालों में आयकर विभाग ने ITR प्रोसेसिंग के लिए सिस्टम में बड़े बदलाव किए हैं। अब लगभग पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है। इससे न केवल विभाग का काम आसान हुआ है, बल्कि टैक्सपेयर्स को भी कम समय में रिफंड मिल पा रहा है।

नए सिस्टम में दस्तावेजों की मैनुअल जांच की जरूरत बहुत कम हो गई है। कई मामलों में रिफंड फाइलिंग के 5 से 7 दिनों के भीतर ही खाते में आ जाता है। हालांकि यह तभी संभव है जब सभी डिटेल्स सही हों और प्रोसेसिंग में कोई बाधा न हो।

छोटी गलतियों से बचना जरूरी

अक्सर देखा गया है कि लोग जल्दीबाज़ी में रिटर्न भरते हैं और उसमें जरूरी डिटेल्स को सही से जांच नहीं करते। जैसे  गलत बैंक खाता भरना, पुराने ईमेल या मोबाइल नंबर देना, गलत इनकम रिपोर्ट करना या टीडीएस की जानकारी न मिलाना।

ये छोटी-छोटी गलतियां ही आगे चलकर बड़ी परेशानी बन सकती हैं और रिफंड में महीनों की देरी हो सकती है।

इसलिए ITR भरते समय सभी डिटेल्स ध्यान से भरनी चाहिए और रिटर्न सबमिट करने के बाद एक बार फिर उसे पढ़कर जरूर जांच लेना चाहिए कि कहीं कुछ छूट या गलती तो नहीं हुई।

रिफंड की स्थिति ऑनलाइन कैसे देखें

आप अपने रिफंड की स्थिति आयकर विभाग की वेबसाइट या NSDL की वेबसाइट पर जाकर आसानी से देख सकते हैं। इसके लिए बस पैन नंबर और असेसमेंट ईयर की जानकारी भरनी होती है। वहां से आपको पता चल जाता है कि आपका रिटर्न प्रोसेस हुआ है या नहीं, और रिफंड की स्थिति क्या है।

अगर रिफंड जारी हो चुका है, तो उसी वेबसाइट पर पेमेंट की तारीख, बैंक डिटेल और ट्रांजैक्शन आईडी भी मिल जाती है। इससे टैक्सपेयर्स को क्लियर जानकारी मिल जाती है और कोई भ्रम नहीं रहता।

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