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जबलपुर ट्रैफिक विवाद: चेकिंग के दौरान प्रभात साहू और पुलिसकर्मी में हंगामा, हवलदार निलंबित

जबलपुर ट्रैफिक विवाद: चेकिंग के दौरान प्रभात साहू और पुलिसकर्मी में हंगामा, हवलदार निलंबित

जबलपुर में 18 सितंबर को ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पूर्व महापौर प्रभात साहू और पुलिसकर्मी के बीच विवाद सड़क पर हंगामे में बदल गया। दबाव बढ़ने पर ट्रैफिक हवलदार को निलंबित कर दिया गया।

जबलपुर: शहर के बलदेवबाग इलाके में 18 सितंबर की रात ट्रैफिक चेकिंग के दौरान पूर्व महापौर और बीजेपी नगर अध्यक्ष प्रभात साहू तथा पुलिसकर्मी के बीच हुए विवाद ने हंगामे का रूप ले लिया। घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल बन गया और बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए। बढ़ते दबाव के बाद पुलिस प्रशासन ने ट्रैफिक हवलदार को निलंबित कर दिया।

रूटीन चेकिंग पर प्रभात साहू और पुलिस में विवाद

जानकारी के अनुसार, 18 सितंबर की रात प्रभात साहू अपने समर्थकों के साथ बलदेवबाग से गुजर रहे थे। ट्रैफिक पुलिस ने उनकी गाड़ी रोककर रूटीन चेकिंग की। इसी दौरान प्रभात साहू और पुलिसकर्मी के बीच कहासुनी शुरू हो गई। दोनों पक्षों की बातचीत जल्दी ही धक्का-मुक्की और तनावपूर्ण स्थिति में बदल गई।

मौके पर मौजूद लोग और स्थानीय राहगीरों ने बताया कि प्रभात साहू अपने समर्थकों के साथ सड़क पर धरने पर बैठ गए। हंगामा बढ़ते ही इलाके में नारेबाजी शुरू हो गई और पुलिस प्रशासन को भी स्थिति संभालने में मुश्किलें आने लगीं।

सांसद और विधायक घटनास्थल पर पहुंचे

जैसे-जैसे विवाद बढ़ा, बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता घटनास्थल पर पहुंचे। सांसद आशीष दुबे, विधायक अभिलाष पांडे और पूर्व मंत्री शरद जैन समेत सैकड़ों कार्यकर्ता पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। समर्थकों ने हवलदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सड़क जाम कर दिया।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हंगामा कई घंटों तक चला। पुलिस प्रशासन ने वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन दबाव इतना बढ़ गया कि प्रशासन को तत्काल कदम उठाना पड़ा।

विवाद के बाद ट्रैफिक हवलदार निलंबित

विरोध और दबाव को देखते हुए एसपी ने विवादित ट्रैफिक हवलदार को निलंबित कर दिया। इस निर्णय के बाद मामला शांत हुआ। हालांकि इस घटना ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस कर्मी अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, लेकिन राजनीतिक दबाव और स्थानीय नेतागिरी के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया। नागरिकों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं में भी इस फैसले को लेकर विवाद छिड़ा है।

प्रशासन और नागरिकों की प्रतिक्रियाएँ

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उनका प्रयास था कि कानून व्यवस्था बनी रहे और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। वहीं नागरिकों का कहना है कि पुलिसकर्मी को अपनी ड्यूटी के दौरान राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण परेशान नहीं होना चाहिए।

स्थानीय व्यापारियों और राहगीरों ने भी कहा कि सड़क पर इस तरह का हंगामा शहर के सामान्य जीवन को प्रभावित करता है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि भविष्य में ऐसे मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई हो।

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