मध्य प्रदेश के कुबेरेश्वर धाम में दो दिन में चार श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। मंगलवार को भगदड़ और बुधवार को चक्कर आने व गिरने से दो-दो श्रद्धालु काल के गाल में समा गए।
MP News: सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच एक बार फिर दुखद हादसा हुआ है। कांवड़ यात्रा के दौरान दो श्रद्धालुओं की मौत की खबर सामने आई है। बीते मंगलवार को भी भगदड़ में दो महिलाओं की जान चली गई थी। इस तरह दो दिन में कुल चार श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिससे श्रद्धालुओं और प्रशासन के बीच चिंता का माहौल है।
कैसे हुआ हादसा
ताजा घटना में एक श्रद्धालु की मौत कुबेरेश्वर धाम परिसर में चक्कर खाकर गिरने से हुई। वहीं, दूसरा श्रद्धालु एक होटल के बाहर खड़ा था, जहां वह अचानक जमीन पर गिर पड़ा। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
मृतकों की पहचान
जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की पहचान चतुर सिंह (50 वर्ष) निवासी पंचवेल, गुजरात और ईश्वर सिंह (65 वर्ष) निवासी रोहतक, हरियाणा के रूप में हुई है। दोनों ही कांवड़ यात्रा में भाग लेने के लिए कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे।
शवों को मोर्चरी में रखा गया
घटना के बाद दोनों श्रद्धालुओं के शवों को जिला अस्पताल, सीहोर की मोर्चरी में सुरक्षित रखा गया है। प्रशासन द्वारा परिजनों से संपर्क किया जा रहा है और पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
मंगलवार को भी हुई थी दो महिलाओं की मौत
इससे पहले 5 अगस्त को कुबेरेश्वर धाम में भगदड़ के दौरान दो महिलाओं की मौत हुई थी। इनमें से एक महिला का नाम जसवंती बेन (56 वर्ष), निवासी ओमनगर, राजकोट, गुजरात है। दूसरी महिला संगीता गुप्ता (48 वर्ष), निवासी फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश की थी। दोनों श्रद्धालु भी धार्मिक यात्रा के उद्देश्य से वहां पहुंची थीं।
भारी भीड़ बनी परेशानी
कुबेरश्वर धाम में लगातार बढ़ रही भीड़ और अव्यवस्थित व्यवस्थाएं इन हादसों का कारण बन रही हैं। बीते कुछ वर्षों में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा व अन्य धार्मिक आयोजनों के चलते यहां भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इस बार भी कांवड़ यात्रा और सावन के धार्मिक महत्व के चलते लाखों की भीड़ उमड़ रही है।
स्थानीय प्रशासन की तैयारी पर सवाल
लगातार हो रही मौतों के बाद स्थानीय प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठने लगे हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा, मेडिकल सुविधा और ट्रैफिक नियंत्रण जैसे जरूरी प्रबंधों में कमी देखने को मिल रही है। कई स्थानों पर श्रद्धालु घंटों धूप में खड़े रहने को मजबूर हैं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ रही है।
धार्मिक आयोजनों में व्यवस्थाओं की जरूरत
यह स्पष्ट होता जा रहा है कि धार्मिक आयोजनों के दौरान प्रशासनिक और संगठनात्मक तैयारी मजबूत करना अब अनिवार्य हो चुका है। लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक रूट, मेडिकल इमरजेंसी पॉइंट्स और जल आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं का दायरा बढ़ाना होगा।