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क्या है पुणे जमीन घोटाला? बिना रुपये दिए कंपनी को जमीन सौंपने का दावा, जानिए पूरा मामला

क्या है पुणे जमीन घोटाला? बिना रुपये दिए कंपनी को जमीन सौंपने का दावा, जानिए पूरा मामला

पुणे के मुंधवा में 40 एकड़ सरकारी जमीन के कथित सौदे पर विवाद बढ़ गया है। जांच में सामने आया कि जमीन 300 करोड़ में बेची दिखाई गई, लेकिन भुगतान नहीं हुआ। भूमि डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे की कंपनी से जुड़े होने पर राजनीतिक आरोप तेज हैं।

Maharashtra: पुणे में जमीन घोटाले की जांच इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मुद्दा बनी हुई है। यह मामला पुणे के मुंधवा इलाके की सरकारी जमीन से जुड़ा है। पुलिस जांच में अब जो तथ्य सामने आए हैं, उनके बाद यह सवाल उठ रहा है कि आखिर बिना एक भी रुपया दिए जमीन का सौदा कैसे हो गया।

40 एकड़ जमीन का मामला

मुंधवा की 40 एकड़ सरकारी जमीन फिलहाल Botanical Survey of India के पास लीज पर है। इसी जमीन को लेकर अमेडिया कंपनी और शीतल तेजवानी के बीच सौदा किया गया बताया गया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि सौदा होने के बाद आरोपी तहसीलदार सूर्यकांत येवले ने जून महीने में Botanical Survey of India को नोटिस जारी किया था।

नोटिस में क्या लिखा था?

तहसीलदार ने Botanical Survey of India को भेजे गए नोटिस में कहा था कि पावर ऑफ अटॉर्नी धारक शीतल तेजवानी ने यह जमीन अमेडिया कंपनी को बेच दी है। इसलिए अमेडिया एलएलपी इस जमीन का फिजिकल पजेशन चाहती है और इसीलिए Botanical Survey of India को जमीन खाली करनी चाहिए।

जांच शुरू कैसे हुई?

नोटिस मिलने के बाद Botanical Survey of India ने इस मामले की शिकायत पुणे कलेक्टर कार्यालय से की। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने Botanical Survey of India को जमीन खाली करने से मना कर दिया और कहा कि इस पूरे मामले की जांच एसडीएम करेंगे। इसी के बाद इस जमीन सौदे की जांच शुरू हुई।

300 करोड़ का सौदा, पर भुगतान नहीं हुआ

पुलिस जांच में सामने आया है कि यह जमीन शीतल तेजवानी और अमेडिया कंपनी के बीच 300 करोड़ रुपये में बेची गई दिखायी गई थी। लेकिन जांच में यह भी पता चला कि अमेडिया कंपनी की ओर से शीतल तेजवानी को एक भी रुपया भुगतान नहीं किया गया था। यानी सौदा सिर्फ कागजों में हुआ था, धन का लेनदेन नहीं हुआ।

सौदे का राजनीतिक कनेक्शन

यह जमीन डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी अमेडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को बेची गई थी। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह सरकारी जमीन थी और सौदे के दौरान स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी। विपक्ष का यह भी कहना है कि जमीन की वास्तविक कीमत 1,800 करोड़ रुपये है, लेकिन इसे 300 करोड़ में बेच दिया गया।

अजित पवार इस मामले पर सफाई दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यह सौदा बाद में रद्द कर दिया गया। साथ ही उनका कहना था कि पार्थ पवार को यह पता नहीं था कि जमीन सरकारी है।

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