'लैंड फॉर जॉब' मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर शिकंजा कसता जा रहा है। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
Land For Job Money Laundering Case: भारत में राजनैतिक और व्यावसायिक घोटालों के बीच एक बार फिर ‘लैंड फॉर जॉब’ मामला सुर्खियों में है। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लिया है। यह मामला विशेष रूप से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी व्यवसायी अमित कात्याल से जुड़ा हुआ है।
कोर्ट ने तीन आरोपियों को जारी किया समन
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस केस में लाल बाबू चौधरी, मुस्तकीम अंसारी और राजेन्द्र सिंह को आरोपी मानते हुए समन जारी किया है। आदेश के अनुसार, तीनों को 13 अक्टूबर 2025 को अदालत के समक्ष पेश होना अनिवार्य होगा। साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अब ‘लैंड फॉर जॉब’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की सुनवाई डे-टू-डे आधार पर की जाएगी, ताकि मुकदमे को तेजी से निपटाया जा सके।
कोर्ट ने ईडी को यह निर्देश भी दिया कि वह लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी की कॉपी अदालत में प्रस्तुत करे, ताकि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी बनी रहे।
हाईकोर्ट में लालू प्रसाद यादव की दलील
इससे पहले 8 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान लालू यादव के वकील ने दलील दी कि सीबीआई भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) एक्ट के तहत अनिवार्य मंजूरी लिए बिना एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती थी। वकील का कहना था कि उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे और पीसी एक्ट की धारा 17ए के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए मंजूरी अनिवार्य थी।
2004–2009 का विवाद
‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले का मूल प्रकरण 2004 से 2009 के बीच का है। आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे में नौकरियां देने के बदले कुछ लोगों से सस्ती दर पर जमीन खरीदी। सीबीआई और ईडी ने इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और अन्य संबंधितों पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
जांच एजेंसियों का कहना है कि यह सौदेबाजी किसी वैध प्रक्रिया के तहत नहीं हुई थी और इसमें सरकारी नियमों का उल्लंघन हुआ। ‘लैंड फॉर जॉब’ मामला न केवल अधिकारियों और व्यावसायियों के बीच घोटाले की तरफ ध्यान खींचता है, बल्कि इसका राजनीतिक महत्व भी है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्य इसमें सीधे जुड़े होने के कारण यह मामला लगातार सुर्खियों में रहता है।