महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने ‘लड़की बहिन’ योजना बंद होने की अफवाहों को खारिज किया। उन्होंने कहा, यह योजना महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के लिए शुरू हुई है और भविष्य में भी जारी रहेगी।
Maharashtra: महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय से ‘लड़की बहिन’ योजना को लेकर चर्चा तेज थी कि यह योजना जल्द ही बंद हो सकती है। इन अफवाहों ने योजना का लाभ लेने वाली लाखों महिलाओं के बीच चिंता पैदा कर दी थी। लेकिन शनिवार को योजना के 1 साल पूरे होने के मौके पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्पष्ट कर दिया कि यह योजना जारी रहेगी और इसे बंद करने का कोई इरादा नहीं है।
योजना की शुरुआत
‘लड़की बहिन’ योजना मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना के नाम से शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस स्कीम के तहत 21 से 65 वर्ष की उम्र की महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
शिंदे का बयान
पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे ने कहा कि जब योजना की शुरुआत हुई थी, तब विपक्ष ने इसे केवल चुनावी एजेंडा बताते हुए अफवाहें फैलाई थीं। शिंदे ने जोर देकर कहा, “यह योजना बंद नहीं होगी। शुरू से ही विपक्ष ने इसे बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन यह योजना महिलाओं को आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से बनाई गई है और यह भविष्य में भी जारी रहेगी।”
विपक्ष के आरोप और हंगामा
विधानसभा में इस योजना को लेकर विपक्ष ने कई बार सवाल उठाए हैं। इसी साल जुलाई में मंत्री अदिति तटकरे ने बताया था कि 2,289 सरकारी नौकरी करने वाली महिलाओं ने भी इस योजना का लाभ लिया, जबकि वे पात्र नहीं थीं। उनकी पहचान के बाद उन्हें योजना से बाहर कर दिया गया। इस मुद्दे पर विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा।
शिवसेना (यूबीटी) का दावा
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने आरोप लगाया था कि ‘लड़की बहिन’ योजना जल्द ही बंद कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव के दौरान महिलाओं को 2,100 रुपये देने का वादा किया गया था, लेकिन अब सिर्फ 500 रुपये दिए जा रहे हैं। राउत ने डिप्टी सीएम अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह पैसा महिलाओं का है, लेकिन सरकार इसे रोक रही है।”
‘लड़की बहिन’ योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं का कहना है कि यह आर्थिक मदद उनके घर के खर्च और बच्चों की शिक्षा में काफी सहायक है। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में महिलाएं इस राशि का इस्तेमाल दैनिक जरूरतों और छोटे-छोटे बिजनेस शुरू करने में कर रही हैं।