नेपाल में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने नए सिरे से विवाद खड़ा कर दिया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई गोलीबारी में 19 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद ‘Gen-Z समूह’ ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और तत्कालीन गृह मंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी की मांग की है।
काठमांडू: ‘जेन जेड’ समूह ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और तत्कालीन गृह मंत्री रमेश लेखक की गिरफ्तारी की मांग की, जिन पर आठ सितंबर को सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई गोलीबारी में कथित भूमिका होने का आरोप है। इस घटना में 19 लोग मारे गए थे। समूह के सलाहकार डॉ. निकोलस बुशल ने काठमांडू में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि ओली, लेखक और काठमांडू के मुख्य जिला अधिकारी छवि रिजाल को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए, क्योंकि वे नया बानेश्वर में हुई गोलीबारी के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे।
बांग्लादेश में आठ सितंबर की घटना और मौतें
आठ सितंबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। नया बानेश्वर क्षेत्र में हुई गोलीबारी में 19 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे ‘Gen-Z समूह’ ने आरोप लगाया कि यह गोलीबारी सीधे तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली, गृह मंत्री रमेश लेखक और काठमांडू के मुख्य जिला अधिकारी छवि रिजाल की जिम्मेदारी थी। समूह के सलाहकार डॉ. निकोलस बुशल ने प्रेस वार्ता में कहा कि तीनों नेताओं को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
Gen-Z समूह ने सिर्फ गिरफ्तारी तक ही बात सीमित नहीं रखी। उन्होंने 1990 के बाद से सभी शीर्ष नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों की संपत्ति की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय आयोग गठित करने की मांग भी रखी। कार्यकर्ताओं ने काठमांडू स्थित मैतीघर मंडला में धरना देकर ओली और लेखक की गिरफ्तारी की मांग दोहराई।
ओली का जवाब: 'मैंने आदेश नहीं दिया'
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शुक्रवार को इस आरोप से इंकार किया कि उन्होंने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। उनका कहना है कि प्रदर्शनकारियों पर स्वचालित हथियारों से गोलियां चलाई गईं, जबकि ऐसी बंदूकें पुलिस के पास नहीं थीं। ओली ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. 8 और 9 सितंबर को नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान हालात काफी बिगड़ गए।
72 लोगों की मौत हुई, जिनमें तीन पुलिसकर्मी भी शामिल थे। प्रदर्शनों का कारण था कथित भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया साइट्स पर लगाया गया प्रतिबंध।प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने जनता की आवाज दबाने के लिए गोलीबारी का सहारा लिया।
'घुसपैठियों ने भड़काई हिंसा' – ओली
प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अपने पहले सार्वजनिक बयान में ओली ने दावा किया कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में घुसपैठियों ने हिंसा फैलाई। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश कभी नहीं दिया। ओली ने संविधान दिवस के मौके पर जारी संदेश में कहा कि शांतिपूर्ण विरोध को बाहरी ताकतों ने हिंसक रूप देने की कोशिश की।
विवाद की जड़ में सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध भी है। ओली की पूर्ववर्ती सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 26 सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगाया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत ने शनिवार को साफ किया कि अदालत ने प्रतिबंध लगाने का आदेश नहीं दिया था।