प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत की आवाज बुलंद करने जा रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के सफल समापन के बाद यह उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा होगी। इस बार उनका गंतव्य है कनाडा, जहां वे जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय मंच की ओर रुख कर रहे हैं। यह विदेश यात्रा इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि वह G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे हैं, जहां आतंकवाद के मुद्दे पर एक बार फिर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर कर सकते हैं। इस शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी को कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने व्यक्तिगत रूप से फोन कर आमंत्रित किया, जिसे मोदी ने स्वीकार कर लिया है।
पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मंच से बड़ा हमला संभव
इस सम्मेलन में पीएम मोदी एक बार फिर आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे। सूत्रों के अनुसार, वे भरे मंच से पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीतियों की पोल खोल सकते हैं। खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जिसमें पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को भारत ने करारा जवाब दिया, पीएम मोदी उस संदर्भ में वैश्विक समुदाय को भारत की सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और कनाडा के रिश्ते पहले की तुलना में नाजुक मोड़ पर हैं। हालांकि, दोनों देशों की सरकारें इन संबंधों को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में नया अध्याय
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया के जरिए पीएम कार्नी को चुनाव जीतने की बधाई दी और G7 सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रण देने पर धन्यवाद दिया। मोदी ने लिखा, "भारत और कनाडा, दोनों जीवंत लोकतंत्र हैं और साझा मूल्यों व परस्पर सम्मान के साथ काम करते रहेंगे।" गौरतलब है कि दोनों देश अब फिर से उच्चायुक्तों की नियुक्ति और राजनयिक स्तर पर संवाद को बहाल करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के कारण दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। ट्रूडो ने दावा किया था कि भारत की एजेंसियों का खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में हाथ है। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कनाडा से साक्ष्य की मांग की थी, जो आज तक प्रस्तुत नहीं किए गए।
सुरक्षा को लेकर भारत गंभीर
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि पीएम मोदी की यात्रा के दौरान कनाडा को उनकी सुरक्षा का विशेष ख्याल रखना होगा। सिख अलगाववादी समूह पीएम मोदी के दौरे का विरोध कर रहे हैं और पीएम कार्नी पर दबाव बना रहे थे कि उन्हें आमंत्रित न किया जाए। ऐसे में भारत चाहता है कि कनाडा इस यात्रा के दौरान सख्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करे और देशविरोधी तत्वों पर कार्रवाई करे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से भी होगी मुलाकात
जी-7 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी होने की संभावना है। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात फरवरी में वाशिंगटन में हुई थी। पाकिस्तान को लेकर भारत और अमेरिका की चिंताएं समान हैं और दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसे में यह मुलाकात रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
भारत की भूमिका अहम
हालांकि भारत G7 का सदस्य नहीं है, फिर भी उसे पिछले कई वर्षों से इस सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता रहा है। यह भारत की बढ़ती वैश्विक साख और रणनीतिक महत्व को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद, वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता जैसे अहम मुद्दों पर भारत की राय रखेंगे।
इस दौरे के माध्यम से भारत अपनी वैश्विक छवि को और मज़बूत करना चाहता है। साथ ही, यह यात्रा एक कूटनीतिक संकेत भी होगी कि भारत अब सिर्फ क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलन बनाने वाला देश बन चुका है।