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सूर्य को जल अर्पित करने का सही तरीका: जानिए वो नियम जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत

सूर्य को जल अर्पित करने का सही तरीका: जानिए वो नियम जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत

सनातन धर्म में सूर्य को जल अर्पित करने का सही तरीका जानना बेहद जरूरी है। तांबे के लोटे में जल, अक्षत, रोली और लाल फूल डालकर, पूर्व दिशा की ओर मुख करके और ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए जल अर्पित करना चाहिए। इससे नेगेटिविटी दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा व सफलता बढ़ती है।

Surya Arghya Rules: सूर्य को जल अर्पित करना हिंदू परंपरा में शुभ माना जाता है, लेकिन सही नियम जानना बेहद जरूरी है। तांबे के लोटे में जल, अक्षत, रोली और लाल फूल डालें, पूर्व दिशा की ओर मुख करके ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें और जल को माथे पर लगाएं। यह प्रक्रिया सप्तधातु, पिंगला नाड़ी और तप्त ताम्र प्रभाव को सक्रिय कर जीवन में स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा लाती है।

सूर्य को जल अर्पित करने का समय और दिशा

सूर्य को जल अर्पित करने का सही समय सुबह 9 बजे से पहले माना गया है। इस समय सूर्य की किरणें शुद्ध और गुणकारी होती हैं। जल अर्पित करते समय मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा सूर्य की दिशा मानी जाती है और इस ओर मुख करके जल अर्पण करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह शरीर और मन में होता है।

तांबे के लोटे का महत्व

सूर्य को जल देने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही प्रयोग करना चाहिए। तांबा एक ऐसा धातु है जो सूर्य की ऊर्जा को आपके शरीर तक सीधे पहुंचाता है। तांबे के कलश में केवल जल डालना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसमें अक्षत, रोली और लाल फूल भी डालने चाहिए। ये वस्तुएं सूर्य की तरंगों को अधिक प्रभावशाली बनाती हैं और आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती हैं।

मंत्र जाप और जल का स्पर्श

सूर्य को जल देते समय ऊं सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र सुनने और उच्चारण करने से मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। जल जब कलश से गिरता है, तो इसे अपने माथे पर छूना चाहिए। ऐसा करने से शरीर और मन में नेगेटिविटी दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सूर्य को जल अर्पित करने से जागृत होने वाली शक्तियां

सूर्य को जल अर्पित करने से शरीर में तीन मुख्य शक्तियां जागृत होती हैं।

  • सप्तधातु – यह शरीर की सात धातुओं को संतुलित करता है। इसके प्रभाव से शरीर रोगों से मुक्त रहता है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  • पिंगला नाड़ी – यह नाड़ी शरीर और मन में ऊर्जा का संचार करती है। इसके सक्रिय होने से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में कठिन निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है।
  • तप्त ताम्र प्रभाव – तांबे के लोटे से जल अर्पित करने पर नकारात्मक ऊर्जा अपने अंदर समाहित होकर सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है। यह प्रक्रिया मानसिक शांति और समृद्धि को बढ़ाती है।

सही विधि से अर्पण का महत्व

सूर्य को जल अर्पित करना केवल एक रिवाज नहीं है, बल्कि यह जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बन सकता है। सही तरीके से जल अर्पित करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि आर्थिक और व्यक्तिगत जीवन में भी सुधार आता है। जिन लोगों ने इसे नियमित रूप से अपनाया है, उन्होंने जीवन में सफलता और सकारात्मक बदलाव देखे हैं।

जीवन में फायदे

सूर्य को जल अर्पित करने के नियमों का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में कई फायदे होते हैं। नकारात्मक विचार दूर होते हैं, आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ती है। इसके अलावा स्वास्थ्य बेहतर रहता है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह प्रथा जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाने का साधन भी बनती है।

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