UP में मंत्री पुत्र को VIP प्रोटोकॉल देने पर विवाद। सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद CM योगी की नाराजगी से निजी सचिव आनंद कुमार को पद से हटाया गया।
UP: उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को VIP प्रोटोकॉल देने का मामला अचानक सुर्खियों में आ गया। दरअसल, 14 अगस्त को मंत्री के निजी सचिव आनंद कुमार की ओर से जालौन के डीएम और एसपी को एक आधिकारिक पत्र जारी हुआ था, जिसमें कहा गया था कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान अभिषेक सिंह को VIP प्रोटोकॉल उपलब्ध कराया जाए।
इस पत्र में सुरक्षा से लेकर उनके साथ चलने वाले वाहनों और निजी स्टाफ तक की पूरी डिटेल थी। लेकिन जैसे ही यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, मामला गर्मा गया और विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
सोशल मीडिया पर बवाल और विपक्ष के सवाल
पत्र वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार की कथनी और करनी पर सवाल खड़े कर दिए। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया और आरोप लगाया कि जब सरकार खुद VIP संस्कृति खत्म करने की बात करती है तो फिर मंत्री के बेटे को VIP प्रोटोकॉल क्यों दिया गया। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कहा कि जनता को बुनियादी सुविधाएं समय पर नहीं मिलतीं, लेकिन मंत्री पुत्रों को सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर VIP ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। लोगों ने इसे प्रशासनिक सिस्टम की दोहरी नीति करार दिया और मांग की कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने जताई नाराजगी
शुक्रवार की शाम जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पहले से तय बैठक थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले पर नाराजगी जाहिर की और साफ कहा कि बिना उचित कारण किसी भी मंत्री के परिजन को VIP प्रोटोकॉल नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि भविष्य में ऐसे मामलों से सरकार की छवि को नुकसान नहीं होना चाहिए। नतीजतन, मंत्री के निजी सचिव आनंद कुमार, जिन्होंने यह विवादित पत्र जारी किया था, उन्हें उनके पद से हटा दिया गया।
बीजेपी नेतृत्व की प्रतिक्रिया
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे मामले पर बीजेपी नेतृत्व भी नाखुश था। पार्टी चाहती है कि जनता के बीच यह संदेश साफ जाए कि सरकार VIP संस्कृति को बढ़ावा नहीं देती। कई वरिष्ठ नेताओं ने माना कि यह घटना सरकार की छवि पर असर डाल सकती है, खासकर तब जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद VIP संस्कृति खत्म करने की बात करते रहे हैं। इसलिए, निजी सचिव को हटाने का फैसला न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी जरूरी था।
सरकारी दफ्तर की सफाई
जब इस विवाद पर मंत्री के दफ्तर से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर स्वीकार किया कि पत्र वाकई में उनके निजी सचिव की ओर से जारी किया गया था। हालांकि, यह भी साफ किया गया कि मंत्री स्वयं इस प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे। दफ्तर की इस सफाई से यह स्पष्ट हुआ कि प्रशासनिक स्तर पर गलती हुई, लेकिन मंत्री ने इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।