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योगी आदित्यनाथ का 53वां जन्मदिन: संत से सत्ता तक, एक तपस्वी राजनीतिज्ञ की अनूठी यात्रा

योगी आदित्यनाथ का 53वां जन्मदिन: संत से सत्ता तक, एक तपस्वी राजनीतिज्ञ की अनूठी यात्रा

birयोगी आदित्यनाथ ने अजय बिष्ट से महंत बनने और फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर धर्म, राजनीति और समाज सेवा के समन्वय से तय किया है।

Birthday: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 5 जून को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। जन्म से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक उनका सफर कई संघर्षों, उतार-चढ़ाव और मजबूत राजनीतिक पकड़ से भरा रहा है। महज 26 वर्ष की उम्र में लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले योगी आदित्यनाथ ने अपने जीवन में कई मोड़ देखे और आज वे उत्तर प्रदेश के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। गढ़वाली राजपूत परिवार से निकलकर गोरक्षपीठ के महंत बनने और फिर यूपी के मुख्यमंत्री तक पहुंचने की उनकी कहानी राजनीति की दुनिया में एक मिसाल है।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ। उनका परिवार गढ़वाली राजपूत परिवार था। उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट और माता सावित्री देवी हैं। सात भाई-बहनों में वे पांचवें स्थान पर हैं। योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद श्रीनगर के गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी किया। इसके बाद 1993 में एमएससी की पढ़ाई के दौरान वे गोरखपुर आए।

अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बनने का सफर

1994 में गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा लेकर अजय सिंह बिष्ट ने अपना नाम योगी आदित्यनाथ रखा। इस दीक्षा ने उनके जीवन का मोड़ बदल दिया। महंत अवैद्यनाथ के मार्गदर्शन में वे राजनीति और धार्मिक क्षेत्र दोनों में सक्रिय हुए। 1996 के लोकसभा चुनाव में महंत अवैद्यनाथ का चुनाव प्रचार करने के बाद 1998 में उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया गया। इसी साल वे पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और राजनीति में अपनी पैठ बनाई।

गोरखनाथ मंदिर से मिली राजनीतिक ताकत

गोरखनाथ मंदिर के महंत बनने के बाद योगी आदित्यनाथ को धार्मिक और सामाजिक कार्यों की बड़ी जिम्मेदारी मिली। उन्होंने मंदिर से जुड़े स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और अन्य सामाजिक संस्थानों का सफल प्रबंधन किया। इस दौरान उनकी लोकप्रियता और प्रभाव दोनों बढ़े। वे एक मजबूत धार्मिक नेता के रूप में उभरे और लोगों के दिलों में खास जगह बनाई।

विवादों और आलोचनाओं के बीच मजबूती

योगी आदित्यनाथ का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा है। 1999 में हुए पचरुखिया कांड के बाद वे चर्चा में आए। उनपर कई बार धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिक भाषण देने के आरोप लगे। गोरखपुर में हुए दंगों के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन इन सब बातों ने उनके राजनीतिक सफर को नहीं रोका। उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती दी और हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाया।

बीजेपी के भीतर उनका बढ़ता कद

2007 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के भीतर अपने विरोधाभासी और बगावती तेवर भी दिखाए। उन्होंने पार्टी के नेतृत्व पर सवाल उठाए और हिंदू युवा वाहिनी से अपने प्रत्याशियों को उतारने की धमकी भी दी। हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अंततः उनके राजनीतिक महत्व को समझा और उन्हें बीजेपी के अंदर एक मजबूत नेता के रूप में स्वीकार किया।

सांसद के तौर पर लगातार पांच बार जीत

योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक मजबूती साबित की है। 1998 से लेकर 2014 तक वे हर चुनाव में सफल रहे। उनकी सक्रियता, साफ और तेज बोलने की शैली ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। गोरखपुर और पूरे उत्तर प्रदेश में उनकी मजबूत पकड़ ने उन्हें एक बड़ा नेता बना दिया, जो प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्यमंत्री पद तक का सफर

योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री बनने का सफर बहुत खास रहा। 2017 में जब उन्हें पहली बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, तब वे गोरखनाथ मंदिर के महंत भी थे और राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्रियों में से एक बन गए। उनके नेतृत्व में यूपी में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ, विकास कार्यों में तेजी आई और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए। साथ ही, उन्होंने हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को भी मजबूती से आगे बढ़ाया। 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने यह साबित किया कि जनता में उनकी पकड़ मजबूत है और उनका नेतृत्व स्थिर और भरोसेमंद है।

समाज सेवा और हिंदुत्व की मजबूत पहचान

गोरखपुर में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने गोरक्षपीठ को न सिर्फ एक धार्मिक संस्था, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बना दिया। उन्होंने गुरु गोरखनाथ अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, गौशालाओं और जनता दरबार के माध्यम से सीधे आमजन से संवाद कायम किया।

धर्मांतरण और घर वापसी जैसे मुद्दों पर उन्होंने सख्त रुख अपनाया। वे हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठनों के माध्यम से सामाजिक चेतना का प्रसार करते रहे। हालांकि उनके इन तेवरों को लेकर कई बार आलोचनाएं भी हुईं, लेकिन वे कभी भी अपने रास्ते से नहीं डिगे।

सामाजिक और राजनीतिक उपलब्धियां

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कई बड़े सामाजिक और राजनीतिक बदलाव देखे हैं। उन्होंने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुलिस सुधार और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। अवैध खनन पर रोक लगाकर पर्यावरण की सुरक्षा की और सरकारी राजस्व को भी बढ़ाया। मंदिरों और धार्मिक स्थलों का विकास कर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया। साथ ही योग और अध्यात्म को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए। उनके कार्यकाल में यूपी में सड़कों, अस्पतालों, स्कूलों और निवेश के क्षेत्र में बड़े काम हुए हैं, जिससे राज्य की छवि बदली है और विकास की रफ्तार तेज हुई

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