दूल्हा बारात लेकर आता है, लेकिन बेटी विदा नहीं होती:

एक दिन पहले ईद, मस्जिद में नमाज पढ़ती महिलाएं; देश की पहली मस्जिद की कहानी

मोहम्मद हैरिस 10 साल पहले बारात लेकर केरल के कुन्नूर आए थे

अगले दिन उनके माता-पिता, भाई और बाराती अपने गांव लौट गए, लेकिन हैरिस यहीं बस गए, क्योंकि यहां का रिवाज ही ऐसा है। यहां बेटी विदा नहीं होती है।

निकाह के बाद लड़के को अपना घर छोड़ना पड़ता है।

वह पत्नी के घर पर रहता है। बच्चे पिता की जगह मां का सरनेम लगाते हैं। आम मुस्लिम रवायतों की तरह यहां निकाह के वक्त ‘कबूल है’ नहीं बोला जाता।

इसी मस्जिद और इसके जरिए भारत में फैले इस्लाम की…

केरल के त्रिशूर से करीब 40 किमी. और कोच्चि से 35 किमी दूर कोडंगलूर के मेथला गांव में चेरामन मस्जिद है।

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