एक दिन पहले ईद, मस्जिद में नमाज पढ़ती महिलाएं; देश की पहली मस्जिद की कहानी
अगले दिन उनके माता-पिता, भाई और बाराती अपने गांव लौट गए, लेकिन हैरिस यहीं बस गए, क्योंकि यहां का रिवाज ही ऐसा है। यहां बेटी विदा नहीं होती है।
वह पत्नी के घर पर रहता है। बच्चे पिता की जगह मां का सरनेम लगाते हैं। आम मुस्लिम रवायतों की तरह यहां निकाह के वक्त ‘कबूल है’ नहीं बोला जाता।
केरल के त्रिशूर से करीब 40 किमी. और कोच्चि से 35 किमी दूर कोडंगलूर के मेथला गांव में चेरामन मस्जिद है।