मैं शकुंतलम नहीं करना चाहती थी:

क्योंकि मेरे जहन में द फैमिली मैन में निभाए गए अपने किरदार का गहरा असर था- सामंथा रुथ प्रभु

- शकुंतलम के लिए हां क्यों कहा?

जो इसके डायरेक्टर हैं गुण शेखर गारू वो ये फिल्म लेकर आए थे मेरे पास। हालांकि उस वक्त मैं इस तरह की फिल्म के लिए तैयार नहीं थी। वह इसलिए कि मैं उन दिनों ‘ द फैमिली मैन ’ की राजी के एक्शन मोड में थी। कई रिएलिस्टिक मोड की फिल्में कर रही थीं। तो मैंने पहले

राजी से शकुंतला में कैसे खुद को ट्रांसफॉर्म किया?

मुझे किरदार के बॉडी लैंग्वेज पर काम करना पड़ा। वह इसलिए कि शकुंतलम का मतलब ही ग्रेस, पॉज और नजाकत के साथ बातें करने वाली शख्स है। असल में जबकि वह सब मुझ में है ही नहीं। थोड़ी टॉम बॉयिश हूं। तो मुझे गुण शेखर गारू ने उस बॉडी लैंग्वेज की ट्रेनिंग दिलवाई। बा

मायटोसिस से जूझते हुए कमबैक करना कितना मुश्किल था?

सच कहूं तो अब भी उससे जूझ रही हूं। हर इंसान की अपनी तकलीफें हैं। वो अपने तरीके से उन्हें हैंडल करता है। हालांकि वैसे जुझारू लोगों पर योद्धा होने का ठप्पा लगा दिया जाता है । जबकि ऐसा नहीं होता है। ऐसे कई दिन होते हैं, जहां मैं भी रोना चाहती हूं। गिवअप क

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