2024 का वर्ष कई ऐतिहासिक घटनाओं और चर्चाओं का गवाह बना। इन घटनाओं ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गहरी छाप छोड़ी।
मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। ईरान ने सीरिया के दमिश्क में अपने वाणिज्य दूतावास पर हमले का बदला लेने के लिए कई बार इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसका इजरायल ने लक्षित हमलों से जवाब दिया।
अप्रैल-जून 2024 में आयोजित लोकसभा चुनावों में एनडीए ने 292 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
अक्टूबर 2024 में भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद ने तीव्र रूप ले लिया। दोनों देशों ने अपने-अपने राजनयिकों को निष्कासित किया, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ गई।
भारत में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में गर्मागर्मी पैदा की। सरकार और विपक्ष के बीच 1975-77 के इस विवादित अध्याय को लेकर तीखी बहस हुई।
जुलाई 2024 में केरल के वायनाड जिले में भयंकर भूस्खलन ने सैकड़ों जानें लीं। बादल फटने की वजह से हुए इस हादसे ने प्राकृतिक आपदाओं की गंभीरता और जलवायु परिवर्तन के खतरों को उजागर किया।
अगस्त 2024 में कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने देश को झकझोर दिया। इस जघन्य अपराध के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ कर दिया गया। हसीना ने भारत में शरण ली, जबकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले बढ़ गए।
नवंबर 2024 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को हराकर एक बार फिर सत्ता में वापसी की। इसके साथ ही रिपब्लिकन पार्टी ने कांग्रेस के दोनों सदनों में भी बहुमत हासिल किया।
दिसंबर 2024 में सीरिया के विद्रोही गुटों ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता को खत्म कर दिया। असद ने रूस में शरण ली, और विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम ने देश की कमान संभाल ली।
17 नवंबर 2024 को मोदी सरकार ने संसद में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल पेश किया। विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया, लेकिन यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया।