दाल बाटी चूरमा: युद्ध से थाली तक का शाही सफर

क्या आपने कभी सोचा है कि राजस्थान की शान 'दाल बाटी चूरमा' की शुरुआत युद्ध के मैदान से हुई थी?

जब युद्ध ने जन्म दिया बाटी को

8वीं सदी में बप्पा रावल की सेना को ज़रूरत थी ऐसे खाने की, जो झटपट बने और लंबे समय तक चले

रेत की आग में पकी थी पहली बाटी

तपती रेत में दबाए गए आटे के गोले युद्ध के बाद बनते थे कठोर, कुरकुरी बाटी।

जब बाटी से मिला दाल का साथ

दाल ने बाटी को दिया स्वाद और प्रोटीन, बना दिया परफेक्ट जोड़ी

एक गलती से बना चूरमा

जब बाटी गलती से दाल में गिरकर नरम हुई और उसमें डले घी-गुड़

रणभूमि से रसोई तक

शांति के समय में बाटी अब रेत से तंदूर और ओवन तक पहुंच गई, और स्वाद में हुई और निखर।

आज भी राज है ये व्यंजन

शादियों, त्योहारों और मेहमानों की थाली में दाल बाटी चूरमा है गर्व से परोसा जाने वाला व्यंजन।

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