बद्रीनाथ धाम सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम है।
उत्तराखंड के चमोली में स्थित यह धाम भगवान विष्णु को समर्पित है और चार धामों में शामिल है।
जब विष्णु तपस्या में लीन थे, लक्ष्मी ने उन्हें कड़ी धूप से बचाने के लिए बेरी के पेड़ का रूप लिया। इसी ‘बदरी’ शब्द से बना ‘बद्रीनाथ’।
बद्रीनाथ मंदिर के पास स्थित तप्त कुंड एक गर्म जल स्रोत है, जिसे भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है।
8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने अलकनंदा नदी से मूर्ति निकालकर बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना की।
नर-नारायण, कश्यप, कपिल और नारद जैसे महान ऋषियों ने यहीं तप किया था।
बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई 2025 को भक्तों के लिए खुलेंगे – आस्था का पर्व फिर से लौटेगा।