परमाणु बम से भी खतरनाक हैं जैविक हथियार, जानिए क्यों दुनिया डरी है

जैविक हथियार एक ऐसी खामोश तबाही हैं, जो इंसानों को धीरे-धीरे खत्म करती हैं। सिर्फ 17 देशों के पास हैं ये हथियार—आखिर बाकी देश क्यों नहीं बना पाते? आइए जानते हैं।

परमाणु नहीं, जैविक हथियार हैं सबसे खतरनाक

इन हथियारों से शहर नहीं, पूरी आबादी पीढ़ियों तक प्रभावित होती है। इनका असर धीमा मगर विनाशकारी होता है।

पहली बार युद्ध में कब हुए इस्तेमाल?

प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी ने एंथ्रेक्स और ग्लैंडर्स बैक्टीरिया का प्रयोग किया था। ये शुरुआत थी जैविक जंग की।

इन 17 देशों के पास हैं जैविक हथियार

अमेरिका, रूस, चीन, जर्मनी जैसे देशों ने जैविक हथियार बनाए हैं, लेकिन किसी ने इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया।

कोरोना भी जैविक हथियार था?

कहा जाता है कि वुहान लैब से निकला कोरोना वायरस भी जैविक हथियार हो सकता है, पर चीन ने कभी इस पर हामी नहीं भरी।

दुनिया क्यों नहीं बनाती जैविक हथियार?

इन हथियारों पर 1972 में बनी Biological Weapons Convention के तहत प्रतिबंध है, जिसमें भारत समेत 183 देश शामिल हैं।

जैविक हथियार = खामोश नरसंहार

ये हथियार बिना बम गिराए जनसंहार कर सकते हैं। इनके खिलाफ वैश्विक प्रतिबंध मानवता को बचाने के लिए बेहद जरूरी हैं।

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