लोकसभा बनाम राज्यसभा: जानिए क्या है फर्क और किसके पास हैं ज्यादा अधिकार

राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए 4 नए सदस्य मनोनीत किए हैं। इस मौके पर जानिए राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों में क्या है अंतर, कैसे होता है चुनाव और कौन रखता है ज्यादा ताकत?

दो सदन, एक संसद

भारतीय संसद में दो सदन होते हैं — लोकसभा (जनता का सदन) और राज्यसभा (राज्यों का सदन), दोनों की भूमिका अलग-अलग होती है।

चयन प्रक्रिया में है फर्क

लोकसभा सदस्य जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं, जबकि राज्यसभा सदस्य विधानसभाओं के जरिए और कुछ राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं।

कार्यकाल और स्थायित्व

लोकसभा का कार्यकाल 5 साल का होता है जबकि राज्यसभा स्थायी सदन है, जिसमें हर 2 साल में 1/3 सदस्य रिटायर होते हैं।

किसके पास ज्यादा ताकत?

वित्तीय और नीतिगत मामलों में लोकसभा के पास ज्यादा अधिकार हैं, वहीं राज्यसभा राज्यों के हितों की रक्षा करती है।

MPs को मिलता है कितना फंड?

लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सांसदों को सालाना ₹5 करोड़ MPLADS फंड मिलता है, जिसे वे क्षेत्रीय विकास के लिए खर्च कर सकते हैं।

दोनों मिलकर बनाते हैं लोकतंत्र को मजबूत

लोकसभा जनता की आवाज है, राज्यसभा राज्यों की। दोनों मिलकर कानून बनाते हैं और लोकतंत्र को संतुलित बनाए रखते हैं।

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