राजराजा चोल से लेकर पतन तक: जानिए चोल वंश की पूरी कहानी

PM मोदी ने जिस चोल साम्राज्य की विरासत की तारीफ की, वो कभी भारत का सबसे शक्तिशाली राजवंश था। आइए जानते हैं चोलों की शुरुआत, विस्तार और फिर पतन की कहानी।

विजयालय ने रखी थी चोल साम्राज्य की नींव

9वीं सदी में विजयालय ने पल्लवों को हराकर तंजौर में चोल वंश की स्थापना की। यही से शुरू हुआ चोलों का विजय अभियान।

आदित्य और पारंतक ने बढ़ाया प्रभाव

विजयालय के बाद आदित्य प्रथम और पारंतक प्रथम ने साम्राज्य का विस्तार किया। पल्लवों और पांड्यों को हराकर दक्षिण भारत में दबदबा बढ़ाया।

राजराजा चोल ने रचा था इतिहास

राजराजा चोल प्रथम ने श्रीलंका, मालदीव तक साम्राज्य फैलाया और बृहदेश्वर मंदिर जैसे अद्भुत निर्माण करवाए।

राजेंद्र चोल ने बढ़ाया गौरव

गंगा तक अभियान चलाने वाले पहले राजा बने राजेंद्र चोल। उन्हें गंगा का विजेता भी कहा गया और उनके शासन को चोलों का स्वर्ण युग माना गया।

भव्य मंदिरों की मिली विरासत

चोल काल में तंजौर, गंगईकोंडा चोलपुरम और दारासुरम जैसे भव्य शिव मंदिरों का निर्माण हुआ, जो आज भी कला और आस्था का प्रतीक हैं।

पांड्यों के उदय से हुआ पतन

13वीं सदी में उत्तराधिकार संघर्षों और आंतरिक साजिशों के चलते चोल साम्राज्य कमजोर हुआ और पांड्य राजाओं ने इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया।

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