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IndusInd Bank: इंडसइंड बैंक में वित्तीय घोटाला? ₹595 करोड़ की गड़बड़ी आई सामने

इंडसइंड बैंक ने गुरुवार को शेयर बाजार को जानकारी दी कि उसके आंतरिक ऑडिट विभाग द्वारा माइक्रोफाइनेंस से जुड़े लेनदेन की समीक्षा के दौरान यह सामने आया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तीन तिमाहियों में 674 करोड़ रुपये की राशि गलती से ब्याज आय के रूप में दर्ज कर दी गई थी।

IndusInd Bank के शेयर पर आज निगाहें

मुंबई स्थित प्राइवेट सेक्टर बैंक, इंडसइंड बैंक के शेयर पर 16 मई 2025 को सभी की खास नजर रहेगी। इस दिन कारोबार के दौरान बैंक के शेयर पर दबाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि हाल ही में उसके आंतरिक ऑडिट विभाग ने माइक्रोफाइनेंस ट्रेड की जांच में वित्तीय वर्ष 2025 की तीन तिमाहियों में 674 करोड़ रुपये की राशि गलती से ब्याज आय के तौर पर दर्ज होने का खुलासा किया है। हालांकि, यह त्रुटि 10 जनवरी 2025 तक ठीक कर दी गई थी।

10 मई को जब बैंक ने इस मामले की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दी, तब उसके शेयरों में एक ही दिन में लगभग 27 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज हुई। यह मामला उस समय सामने आया है जब बैंक के एमडी और सीईओ सुमंत कथपालिया तथा डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो विवाद के चलते इस्तीफा दे दिया था।

इंडसइंड बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में बड़ी अनियमितता का खुलासा

बैंक के शीर्ष कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की गई है। बैंक ने बताया कि व्हिसलब्लोअर की शिकायत मिलने के बाद बोर्ड की ऑडिट कमेटी ने आंतरिक ऑडिट विभाग को ‘अन्य संपत्तियों और ‘अन्य देनदारियों में दर्ज लेनदेन की विस्तार से समीक्षा करने का निर्देश दिया था।

यह जांच बैंक के माइक्रोफाइनेंस व्यवसाय की समीक्षा के अलावा की गई थी, जिसके बारे में ऋणदाता ने 22 अप्रैल को स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी थी। बैंक ने यह भी बताया कि आंतरिक ऑडिट विभाग ने 8 मई 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें पाया गया कि ‘अन्य परिसंपत्तियों के खाते में लगभग 595 करोड़ रुपये की बिना दस्तावेज के राशि शामिल थी।

बैंक ने शेयर बाजार को दी जानकारी

इंडसइंड बैंक ने बताया कि जनवरी 2025 में ‘अन्य देनदारियां’ के खातों में समान राशि को समायोजित कर लिया गया था। बैंक ने यह भी कहा कि आंतरिक ऑडिट विभाग ने इस मामले में प्रमुख कर्मचारियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की भी जांच की है।

इसके पहले, 22 अप्रैल को बैंक ने कहा था कि खातों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया के तहत, ऑडिट विभाग कुछ महत्वपूर्ण चिंताओं की जांच करने के लिए माइक्रोफाइनेंस व्यवसाय की समीक्षा कर रहा है, जिसमें ईवाई (Ernst & Young) की भी सहायता ली जा रही है।

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