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भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली, घरेलू निवेशकों की मजबूत पकड़

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली, घरेलू निवेशकों की मजबूत पकड़

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दौर जारी है। शुक्रवार को ही विदेशी निवेशकों ने 6,450 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। इस साल की शुरुआत से अब तक कुल 1.21 लाख करोड़ रुपये के शेयर बिक चुके हैं। हालांकि, घरेलू निवेशकों ने इस दौरान 2.75 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं, जिससे बाजार को सहारा मिला है। वहीं, सेंसेक्स और निफ्टी में भी गिरावट देखी गई।

एक दिन में 6,450 करोड़ रुपये की बिकवाली

30 मई को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार से 6,450 करोड़ रुपये के शेयर निकाले। दूसरी तरफ, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 9,095 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार को थोड़ा संबल मिला। कारोबार के दौरान घरेलू निवेशकों ने 20,673 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 11,577 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसी तरह, विदेशी निवेशकों ने 44,434 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 50,884 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले।

अब तक की बिकवाली का आंकड़ा

2024 की शुरुआत से अब तक विदेशी निवेशकों ने 1,21,414 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। इसके मुकाबले, घरेलू निवेशकों ने 2,75,264 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं, जिससे बाजार में स्थिरता बनी रही।

बाजार की चाल कमजोर

पिछले शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी का माहौल रहा। निफ्टी 50 इंडेक्स 0.3 प्रतिशत गिरकर 24,751 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स में 0.22 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी हल्की कमजोरी रही। निफ्टी मिडकैप 100 और स्मॉलकैप 100 दोनों में 0.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई। मेटल, आईटी और ऑटो सेक्टर में बिकवाली का दबाव दिखा।

घरेलू निवेशकों का भरोसा कायम

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि घरेलू निवेशकों की खरीदारी बाजार को सपोर्ट कर रही है। भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है। हाल ही में आए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट 7.4 प्रतिशत रही, जो 6.7 प्रतिशत के अनुमान से बेहतर है। पूरे वित्त वर्ष 2025 में GDP ग्रोथ 6.5 प्रतिशत दर्ज की गई।

वैश्विक बाजार का असर

खेमका ने बताया कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास को लेकर चिंता बनी हुई है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो अनुमानित 0.3 प्रतिशत से बेहतर है। इससे अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व की नीतियों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। अगले हफ्ते रेपो रेट में कटौती की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे सरकारी बैंकों के शेयरों में हलचल देखने को मिल सकती है। साथ ही, ऑटो सेक्टर में मासिक बिक्री और वॉल्यूम डेटा के आधार पर भी हलचल बनी रह सकती है।

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