नई दिल्ली: शेयर बाजार में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के प्रति निवेशकों की रुचि लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) भी निवेशकों के लिए एक अहम संकेत बन गया है, जिससे वे अंदाजा लगा सकते हैं कि किसी आईपीओ की लिस्टिंग प्राइस कैसी हो सकती है। हालांकि, यह अनऑफिशियल डेटा होता है और बाजार की परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है।
क्या है IPO और GMP का कनेक्शन?
IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफर के जरिए कोई भी कंपनी पहली बार अपने शेयरों को सार्वजनिक रूप से निवेशकों को बेचती है। यह उन कंपनियों के लिए एक बड़ा मौका होता है, जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए तैयार होती हैं। वहीं, GMP (Grey Market Premium) अनऑफिशियल और अनरेगुलेटेड मार्केट में किसी आईपीओ की संभावित लिस्टिंग प्राइस का संकेत देता है।
GMP कैसे करता है काम?
ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) उस अतिरिक्त कीमत को दर्शाता है, जिस पर आईपीओ लिस्ट होने से पहले ही शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कंपनी का आईपीओ 500 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर लॉन्च हुआ है और GMP 100 रुपये चल रहा है, तो इसका मतलब है कि शेयर की संभावित लिस्टिंग 600 रुपये पर हो सकती है। हालांकि, लिस्टिंग के बाद बाजार की वास्तविक स्थिति के अनुसार कीमत में उतार-चढ़ाव संभव है।
कैसे करें GMP की गणना?
GMP की गणना का एक आसान तरीका है:
GMP = ग्रे मार्केट प्रीमियम × शेयरों की संख्या
आईपीओ के GMP को ट्रैक करने के लिए कोई आधिकारिक स्रोत नहीं है। यह आंकड़ा आमतौर पर शेयर बाजार के विशेषज्ञों, ब्रोकर्स और निवेशकों के बीच ट्रेडिंग गतिविधियों के आधार पर निकलकर आता है। इसलिए, किसी भी आईपीओ में निवेश से पहले GMP के साथ-साथ कंपनी की वित्तीय स्थिति और बाज़ार के रुझानों का विश्लेषण करना जरूरी है।
Disclaimer:
GMP सिर्फ एक अनुमान होता है और यह किसी आईपीओ की लिस्टिंग प्राइस की गारंटी नहीं देता। निवेशकों को केवल GMP के आधार पर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। किसी भी निर्णय से पहले वित्तीय सलाहकार की राय लेना उचित होगा।