निफ्टी बैंक के मंथली और तीन माह कॉन्ट्रैक्ट महीने के आखिरी बुधवार को एक्सपायर होते हैं, जबकि फिन निफ्टी, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट और निफ्टी नेक्स्ट 50 अनुबंध क्रमशः मंगलवार, सोमवार और शुक्रवार को एक्सपायर होते हैं।
Share Market: भारत में फ्यूचर एंड ऑप्शन (एफएंडओ) ट्रेडिंग करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 4 एफएंडओ कॉन्ट्रैक्ट्स के मंथली एक्सपायरी डे में बदलाव की घोषणा की है। अब ये सभी कॉन्ट्रैक्ट्स गुरुवार को एक्सपायर होंगे। 1 जनवरी 2025 से यह नया नियम लागू होगा।
बदलाव के तहत प्रभावित होने वाले कॉन्ट्रैक्ट्स
इस बदलाव के तहत निफ्टी बैंक, फिननिफ्टी, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट और निफ्टी नेक्स्ट 50 के मंथली एक्सपायरी डे गुरुवार को होंगे। वर्तमान में निफ्टी बैंक के मंथली और तीन माह कॉन्ट्रैक्ट महीने के आखिरी बुधवार को एक्सपायर होते हैं, जबकि फिन निफ्टी, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट और निफ्टी नेक्स्ट 50 अनुबंध क्रमशः मंगलवार, सोमवार और शुक्रवार को एक्सपायर होते हैं।
निफ्टी 50 के कॉन्ट्रैक्ट पर कोई असर नहीं - नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने यह भी स्पष्ट किया कि निफ्टी 50 के कॉन्ट्रैक्ट (वीकली, मंथली, तीन माह और छह माह) के एक्सपायरी डे में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। ये कॉन्ट्रैक्ट्स वर्तमान की तरह ही गुरुवार को समाप्त होंगे।
सेंसेक्स और बैंकेक्स के एक्सपायरी डे में भी बदलाव - बीएसई ने भी सेंसेक्स, बैंकेक्स और सेंसेक्स 50 के मंथली एक्सपायरी डे में बदलाव की घोषणा की है। इन तीनों कॉन्ट्रैक्ट्स के मंथली एक्सपायरी अब हर महीने के मंगलवार को होंगे, जो 1 जनवरी 2025 से लागू होगा।
सेंसेक्स के वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स में भी बदलाव- सेंसेक्स के वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स अब शुक्रवार की बजाय मंगलवार को समाप्त होंगे, इस बदलाव के साथ बाजार में नया उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
सेबी के निर्देशों के तहत किए गए बदलाव - यह बदलाव पूंजी बाजार नियामक सेबी के निर्देशों के बाद किया गया है। सेबी ने इंडेक्स डेरिवेटिव्स को मजबूत करने के लिए नए उपायों की घोषणा की थी, जिनके तहत वीकली एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट को एक-बेंचमार्क बनाने की सलाह दी गई थी।
नए फ्रेमवर्क के तहत एनएसई और बीएसई ने निफ्टी और सेंसेक्स को छोड़कर सभी इंडेक्स डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स के वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बंद कर दिए हैं।
नए बदलाव से निवेशकों को फायदा
इन बदलावों से व्यापारियों और निवेशकों को विभिन्न कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी के समय पर अधिक स्पष्टता मिलेगी, जिससे वे बेहतर योजना बना सकेंगे और बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप अपने निर्णय ले सकेंगे।