ऑपरेशन सिंदूर के सफल संचालन ने भारत के डिफेंस टेक क्षेत्र में नए निवेश और विकास के रास्ते खोले हैं। घरेलू ड्रोन और डिफेंस टेक स्टार्टअप्स को सरकार की नीतियों और बड़े ऑर्डर्स से बड़ी सफलता मिल रही है। 2024 में इस सेक्टर में 1.6 अरब डॉलर की वेंचर कैपिटल फंडिंग हुई, और इस साल यह और बढ़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र भविष्य में भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डिफेंस टेक सेक्टर में ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रक्षा रणनीति और तकनीकी क्षमताओं को नई दिशा दी है। इस ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए ड्रोन और मिसाइलों के विकास में घरेलू कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इन तकनीकों को विकसित करने में कई स्टार्टअप्स ने सेंसर, रडार और अन्य उन्नत तकनीकी उपकरणों पर काम किया। ऑपरेशन के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने इन तकनीकों के लिए बड़े ऑर्डर जारी किए हैं, जिससे डिफेंस टेक स्टार्टअप्स को व्यापक आर्थिक लाभ मिलने लगा है।
वेंचर कैपिटल निवेश में वृद्धि
डिफेंस टेक सेक्टर में निवेश के मामले में 2024 भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इस साल भारतीय डिफेंस टेक स्टार्टअप्स ने 1.6 अरब डॉलर की वेंचर कैपिटल फंडिंग जुटाई। खास बात यह है कि इस वर्ष यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। हैदराबाद स्थित जेबू जैसे स्टार्टअप्स को ब्लूहिल.वीसी ने हाल ही में एक मिलियन डॉलर का निवेश किया है, जो ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसी तरह, यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स ने अंडरवाटर ड्रोन बनाने वाली कंपनी आईरोव में निवेश किया है।
सरकारी पहलें और उनके प्रभाव
डिफेंस टेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। सबसे महत्वपूर्ण पहल है आईडीईएक्स (Innovation for Defence Excellence) कार्यक्रम, जो डिफेंस सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स को जोड़कर 25 करोड़ रुपये तक की ग्रांट प्रदान करता है। साथ ही, रक्षा मंत्रालय ने 200 करोड़ रुपये तक के टेंडर में ग्लोबल टेंडर एन्क्वायरी को खत्म कर दिया है, जिससे स्थानीय सोर्सिंग और सप्लाई चेन को मजबूती मिली है। इन नीतियों से घरेलू कंपनियों के लिए अवसर बढ़े हैं और देश में डिफेंस टेक्नोलॉजी के विकास को गति मिली है।
डिफेंस टेक में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि डिफेंस टेक और युद्ध मशीनरी की आयात पर निर्भरता को कम करना आवश्यक है। इसके लिए घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करना होगा। भारत सरकार ने हाल ही में प्राइवेट कंपनियों को फाइटर जेट निर्माण जैसे बड़े प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया है। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक और तकनीकी विकास भी होगा।
वैश्विक बाजार में भारतीय डिफेंस टेक की संभावनाएं
वैश्विक डिफेंस टेक मार्केट का आकार वर्तमान में 620 अरब डॉलर से अधिक है और यह 2030 तक 900 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। भारतीय स्टार्टअप्स यदि घरेलू बाजार में अपनी तकनीकी क्षमता साबित कर पाएंगे, तो उन्हें वैश्विक स्तर पर भी भारी अवसर मिलेंगे। यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स के अनुसार, भारतीय उत्पाद गुणवत्ता और किफायती दाम के कारण विदेशों में भी आकर्षक साबित होंगे।