गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद महालक्ष्मी व्रत किया जाता है, जो आमतौर पर 14 दिनों तक चलता है। इस व्रत के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और उन्हें प्रिय वस्तुओं का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
धार्मिक न्यूज़: सनातन धर्म में मां लक्ष्मी की पूजा का अत्यधिक महत्व है। हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत का आरंभ होता है। इस व्रत का समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इस समय के दौरान भक्तगण सुख-समृद्धि की वृद्धि के लिए व्रत करते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानें महालक्ष्मी व्रत की तिथियां, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि के बारे में।
महालक्ष्मी व्रत 2024 की तारीख और शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर (महालक्ष्मी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त) को रात 11 बजकर 11 मिनट से प्रारंभ होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर होगा। इस प्रकार, महालक्ष्मी व्रत का शुभारंभ 11 सितंबर से होगा। इसके अतिरिक्त, आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर को पड़ रही है, जिस दिन व्रत का समापन किया जाएगा।
महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
* सुबह जल्दी उठें: व्रत के दिन जल्दी उठें और स्नान करके पवित्रता प्राप्त करें।
* मंदिर की सफाई: अपने घर के मंदिर की सफाई करें और उसे अच्छे से सजाएँ।
* प्रतिमा की स्थापना: चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
* पंचामृत से स्नान: मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी) से स्नान कराएं।
* पूजा सामग्री अर्पित करें: लाल सूत, सुपारी, नारियल, चंदन, पुष्प, अक्षत (चिउड़े), फल, और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
* सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं: मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं जैसे कि बिन्दी, काजल, बिछुआ, और अन्य वस्त्र।
* दीपक जलाकर आरती करें: दीपक जलाएं और मां लक्ष्मी की आरती करें।
* मां लक्ष्मी चालीसा का पाठ: मां लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जप करें।
* भोग अर्पित करें: फल, मिठाई, कुट्टू के आटे के पकौड़े और साबूदाने की खीर का भोग अर्पित करें।
महालक्ष्मी व्रत की पूजा सामग्री
पूजा की सामग्री में कपूर, घी, दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, सुपारी, साबुत नारियल, कलश और 16 श्रृंगार की वस्तुएं जैसे इत्र, पायल, बिछिया, अंगूठी, गजरा, कान की बाली या झुमके, शादी का जोड़ा, मेहंदी, मांगटीका, काजल, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बाजूबंद, कमरबंद, सिंदूर और बिंदी शामिल हैं।
मां लक्ष्मी जी का मंत्र
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
धिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥