जर्मनी में ट्रेन ड्राइवरों की ६ दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, फ़िनलैंड में भी यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल यूरोप में बढ़ते हड़ताल, भविष्य के लिए क्या है

जर्मनी में ट्रेन ड्राइवरों की ६ दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, फ़िनलैंड में भी यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल यूरोप में बढ़ते हड़ताल, भविष्य के लिए क्या है
Last Updated: 22 फरवरी 2024

 जर्मनी में ट्रेन ड्राइवरों की ६ दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, फ़िनलैंड में भी यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल यूरोप में बढ़ते हड़ताल, भविष्य के लिए क्या है इशारा ? 

लम्बे समय से दुनियां में सम्पन्नता और उच्च जीवनस्तर के लीये जाना जाने वाला यूरोप, पिछले कुछ दिनों से काफी उतार चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। कोरोना और उसके बाद शुरू हुई रशिया - यूक्रेन वॉर ने तो भारी असंतुलन पैदा किया ही, और उसके बाद मध्यपूर्व में शुरू हुई इस्राइल - पलिस्तीन ( हमास ) के संघर्ष ने पहले से ही बढ़ी हुई मुश्किलों को और बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

महंगाई में बेतहाशा बढ़ोतरी 

इन सबका असर ये हुआ की काफी कम समय में महंगाई दर काफी बढ़ गई, खासकर रोजमर्रा के चीजों पर जैसे की खानेपीने का सामान, किराया वैगरह।  साथ ही साथ ब्याज भी बढ़ गए जिससे वो लोग जिनके ऊपर लोन था उन्हें अब क़िस्त के रूप में पहले से ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही है।  subkuz.com ने लम्बे समय से जर्मनी में रह रहे कई भारतीयों से बात की है और जानने समझने की कोशिश की है, की इन सबके पीछे क्या कारन है और लोग भविष्य को लेकर क्या सोचते है.  

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जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL) ने की है घोषणा 

इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोसना, जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL) द्वारा की गई है, घोषणा  के अनुसार ये हड़ताल बुधवार तड़के ( morning ) से शुरू होकर लगभग एक सप्ताह तक चलने वाली हैं। जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL),के सदस्य ज्यादातर ट्रेन ड्राइवर हैं, लेकिन इसमें रेलवे के अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं

घोषणा  के अनुसार हड़ताल बुधवार सुबह 2 बजे से शुरू होकर सोमवार के शाम 6 बजे तक चलेगी।   जर्मनी के इतिहास में जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL) द्वारा इतनी लम्बी और राष्ट्रव्यापी हड़ताल पहले कभी नहीं देखी  गई, इसलिए भी यह हड़ताल सामान्य नहीं हैं, और इसका असर भी सामान्य नहीं होगा। 

जर्मन रेल ऑपरेटर डॉयचे बान (DB) ने शुक्रवार को वेतन और कई शर्तों पर एक नए प्रस्ताव के साथ यूनियन को बातचीत की मेज पर वापस लाने की कोशिश की थी, जिसे GDL ने अस्वीकार कर दिया था।

जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL) ने क्या कहा 

जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL) ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, की डॉयचे बान (DB) की तरफ से सुलह की इच्छा का कोई निशान नहीं दीखता, डॉयचे बान (DB) की तरफ से  पेश किया गया ये तीसरा प्रस्ताव था, उनके पास मौका था, पर हर बार वो ऐसे प्रस्ताव के साथ सामने आये जिसमें जिम्मेदारी के साथ किसी समझौते तक पहुँचने की कोई गुंजाइस नहीं थी, डॉयचे बान (DB) का रवैया इस मसले पर बहोत ही गैर जिम्मेदाराना रहा है। 

मौजूदा विवाद में ये हैं चौथी हड़ताल  

 जर्मन रेल ऑपरेटर डॉयचे बान (DB) और जर्मन ट्रेन ड्राइवर्स यूनियन (GDL) के बिच ये विवाद नया नहीं है, ये विवाद काफी दिनों से चला आ रहा है, विवाद मुख्य रूप से वेतन को लेकर है और इसी विवाद के क्रम में ये चौथी हड़ताल होगी।  

फ़िनलैंड में भी यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल 1 फरवरी को

फ़िनलैंड जहाँ की पहले कभी भी बड़े हड़ताल नहीं देखे गए, फ़िनलैंड में भी सर्विस सेक्टर के यूनियन ( PAM ) बाकि यूनियनों के साथ मिल कर राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा  की है। फ़िनलैंड में यह हड़ताल 1 फरवरी को शेडूल की गई है, जिसमें की हड़ताल के साथ साथ नैशनल स्क्वायर पर प्रदर्शन भी शामिल है। फ़िनलैंड में ये हड़ताल किसी कंपनी के खिलाफ नहीं बल्कि मौजूदा सरकार के कुछ पॉलिसियों के खिलाफ है। 

सर्विस सेक्टर्स की यूनियन ( PAM) ने बुधवार को कहा है की, फरवरी की शुरुआत में होटल, रेस्तरां, दुकानों, सर्विस स्टेशनों और साफ़ सफाई के साथ साथ, रियल एस्टेट कंपनिययां इस श्रृंखलाबद्ध हड़ताल से प्रभावित होने जा रही हैं।  इस श्रृंखलाबद्ध हड़ताल में PAM यूनियन में शामिल हजारों कर्मचारी भाग लेंगे।   

PAM के अधिकारियों ने बताया है की ये हड़ताल पहले से अलग होने जा रही है, इसे कई चरणों में श्रृंखलाबद्ध तरीके से किया जायेगा। पहली हड़ताल  24 घंटे तक चलेगी जो आधी रात से शुरू  होकर दूसरे दिन आधी रात तक चलेगी, पहली हड़ताल 1 फरवरी को होगी। इस हड़ताल में कर्मचारियों के बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने की उम्मीद है।  

क्या है कारण ?

वैसे तो इस समय कई कारन  हैं, बढ़ती महंगाई के साथ साथ सैलरी का उतना ना बढ़ने से कामगारों में रोष तो था ही, और सरकार ने अनएम्प्लॉयमेंट बेनिफिट यानी की बेरोजगारी भत्ते में कटौती कर दी है, जिसके कारण ये रोष काफी बढ़ गया है।

PAM की चेयर पर्सन ( Annika Rönni-Sällinen ) ने अपनी टिप्पणी में कहा की, हमारी मांगो को नजरअंदाज किया गया, बेरोजगारी भत्ते में कटौती से अधिक नौकरियाँ पैदा नहीं होंगी, बल्कि वे उन लोगों की स्थिति और आजीविका को और कमजोर कर देंगी जो पहले से ही बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। हमें अपनी बातों को सरकार तक पहुंचाने के लिए और उनमें संशोधन करने के लिए सरकार से अनुरोध करने के लिए प्रदर्शन करने और राजनीतिक हड़ताल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिखता है

Kansalaistori Square पर भी प्रदर्शन 

PAM ने 1 फरवरी को हेलसिंकी के कानसालाइस तोरी ( Kansalaistori Square )  पर होने वाले प्रदर्शन में भी भाग लेने का फैसला किया है। कानसालाइस तोरी ( Kansalaistori Square ) पर प्रदर्शन का आयोजन सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन ऑफ फिनिश ट्रेड यूनियन्स (SAK) और फिनिश कॉन्फेडरेशन ऑफ प्रोफेशनल्स (STTK) द्वारा किया जा रहा है। इन दोनों केंद्रीय संगठनों ने उन सभी नागरिकों और गैर-सरकारी संगठनों को इस प्रदर्शन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है जो सरकार की नीति और फैसले चिंतित हैं।

PAM ने कहा कि सरकार ने पहले ही बेरोजगारी सुरक्षा यानि की ( unemployment security ) और आवास भत्ते ( housing अलाउंस ) में कटौती कर दी है। और सरकार कर्मचारियों की छंटनी को आसान बनाने, हड़ताल के अधिकार को प्रतिबंधित करने और बीमार होने पर छुट्टी के पहले दिन को अवैतनिक ( unpaid leave ) बनाने की भी योजना बना रहा है। सरकार के इन सभी फैसलों से काम करनेवालों का मनोबल कमजोर होगा, उन्हें बेरोजगारी में मिलनेवाली सुरक्षा को लेकर चिंतिंत होना पड़ेगा और उनके लिविंग के स्टैण्डर्ड में गिरावट आएगी।  

किनपर होगा ज्यादा असर 

PAM के अनुसार, हड़ताल से एस ग्रुप ( S Group ) की सभी दुकानें और सर्विस स्टेशन और रेस्तरां,  केस्को ( Kesko यानि की K Group ) की सभी किराना दुकानें रेस्तरां और और सर्विस स्टेशन, लिडल ( Lidl ) और टोकमनी ( Tokmanni ) की सभी दुकानें प्रभावित होंगी। पर्यटन और होटल क्षेत्र में इसका असर स्कैंडिक होटल्स ( Scandic Hotels ), एस ग्रुप ( S Group ) और सोकोस होटल ( Sokos Hotels )  के सभी होटलों और रेस्तरां पर पड़ेगा।

डे केयर, ट्रांसपोर्ट और स्कूल भी 

इस हड़ताल से कई डे केयर्स और स्कूलों पर भी असर होगा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानी बस, ट्रेन, इन सब पर भी पर भी असर होगा, साथ साथ एयरपोर्ट भी इसकी चपेट में होगा जिससे एयर ट्रैफिक पर असर होगा.

कंस्ट्रक्शन यूनियन भी होगा शामिल 

शुक्रवार को अलग से, फिनिश कंस्ट्रक्शन ट्रेड यूनियन ने कहा है, कि वह भी 1-2 फरवरी को होनेवाले राजनीतिक हड़ताल में शामिल होगा। कंस्ट्रक्शन ट्रेड यूनियन के घोषणा के बाद ये साफ़ हो गया है की, राजधानी क्षेत्र में चल रहे आवास और दूसरे तरह के निर्माण स्थलों पर लगभग 50 प्रतिशत काम प्रभावित होगा। 

और भी यूनियन के शामिल होने की उम्मीद 

अगले कुछ दिनों में पेपरवर्कर्स यूनियन, और ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन एकेटी ( AKT )  की तरफ से भी इसी तरह की घोषणाएं होने की उम्मीद है।जिस तरह से एक के बाद एक यूनियंस इस महा हड़ताल में शामिल हो रही हैं, इससे ये तो तय है की इस हड़ताल का असर व्यापक होने जा रहा है। इन सबसे होनेवाले प्रभाव के असर से बचने के लिए पहले से तैयारी  कर लेना आवश्यक है। 

subkuz.com  ने इस मसले पर मेंबर ऑफ़ वांता सिटी मुन्सिपलिटी कॉन्सिल ( Member of Vantaa city municipality council ) और उद्योगपति  Mr Manav Phull मानव फूल जी से विस्तार बातचीत की ये हैं उनके विचार, 

 Phull Manav - Vantaan Kokoomus

हम और फ़िनलैंड किस दिशा में जा रहे हैं ? 

इस समय जो दुनियां के हालत हैं, पहले कोरोना, फिर रशिया - यूक्रेन संघर्ष जिसमे हमारी यानि की फ़िनलैंड की सुरक्षा चिंता को भी बढ़ाया, और फिर मध्य-पूर्व में संघर्ष, इन सबने सिर्फ फ़िनलैंड ही नहीं बल्कि दुनियां के हर कोने में मुश्किलें पैदा कर दी है, पर हम बात कर रहें हैं फ़िनलैंड की, तो मैं ये कहूंगा की फ़िनलैंड सरकार बहोत ही अच्छे फैसले ले रही है, हम बिलकुल सही दिशा में जा रहे हैं। 

हम कैसे सही दिशा में हैं, जरा हमारे पाठकों को विस्तार में समझाइये 

हम ऐसे सही दिशा में हैं, फ़िनलैंड दुनियां के सबसे अच्छे लिविंग स्टैंडर्ड, अच्छी सोशल सेक्युरिटी, आवास सुरक्षा, अनएम्प्लोय्मेंट सुरक्षा और भी बहोत कुछ है जो हमारे फ़िनलैंड में अच्छा है और ये सब आगे भी अच्छा रहे, हमारे बच्चों के लिए भी यही सुरक्षा हो, अगर हमें उस भविष्य की ओर देखना है, उसे सुरक्षित करना है, जब हम इसे इस नजर से देखते हैं तो हमें अपने आप ये दिखने और समझ आने लगता है की आज सरकार जो भी फैसले ले रही है, वो हमारे और हमारे बच्चों के लिए अच्छे फैसले साबित होनेवाले हैं। आज मुश्किल दौर है तो बचत तो करनी होगी कल के लिए, सबको जिम्मेवारी थोड़ी थोड़ी उठानी चाहिए। 

PAM का कहना है की इस तरह की कटौतियों से और रोजगार पैदा नहीं होनेवाला, बल्कि उन वर्करों पर जो पहले से ही बेरोजगार हैं और बुरा प्रभाव पड़ेगा। आप इसे कैसे देखते हैं ?

कुछ हद तक ये बात सही है की शायद इन कटौतियों से नए रोजगार या नौकरियां पैदा नहीं होंगे, PAM अगर ये कह रही है की कटौतियों से रोजगार नहीं पैदा होंगे तो ये बात सही ही है, सरकार भी ऐसा तो नहीं कह रही है की इन कटौतियों से नए रोजगार पैदा होंगे, पर इसे ऐसे समझिये, जैसे की पहले दिन के साइरसलोमा ( sairausloma ) को अपने जिम्मेवारी पर रखने यानी की पे लेस बनाने से, उन छोटे छोटे कंपनियों को फायदा होगा, जिससे उनकी वेलबीइंग अच्छी होगी, और जब कंपनियों की वेलबीइंग अच्छी होगी तो अपने आप नौकरियां बढ़ेगी 

 कोंगुरसी यानि की दिवालियापन में कमी आएगी, छटनी में कमी आएगी, और नौकरियों का नहीं जाना भी नौकरी पैदा होने के जैसा ही है, मेरे हिसाब से समय के साथ कंपनियों की हालत में सुधार के साथ साथ नए नौकरियां भी पैदा होंगी। 

जैसा की 1 फ़रवरी को लार्ज लेवल पर हड़ताल और प्रदर्शन प्रस्तावित है, ऐसा फ़िनलैंड में शायद पहली बार हो रहा है, करीब सभी यूनियन इस हड़ताल में शामिल हो रही हैं, इसका ये भी मतलब है की ये जनता यही मानकर चल रही है की सरकार के फैसले गलत हैं और उसे बदलना होगा,अगर जनता ना मानी तो क्या सरकार क्या करेगी ?

 

इसपर सरकार का आगे रुख क्या होगा ये तो मैं नहीं जनता पर इतना कहूंगा की ये फैसले सरकार ने जनता के लिए उनके भविष्य के लिए ही लिए हैं, अगर जनता अपना विरोध और तेज करेगी तो आखिर में शायद सरकार को फैसले पलटने ही पड़ें, क्यों की जनता ही असली सरकार है। 

 

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