कोलकाता: भारत की सबसे बड़ी 'नेशनल लाइब्रेरी' 1839 से शुरुआत, हर साल सैंकड़ों आते हैं पर्यटन

कोलकाता: भारत की सबसे बड़ी 'नेशनल लाइब्रेरी' 1839 से शुरुआत, हर साल सैंकड़ों आते हैं पर्यटन
Last Updated: 22 मार्च 2024

कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी की शुरुआत 21 मार्च 1839 को कई गई थी। ये भारत की पहली ऐसी लाइब्रेरी है जिसमें भारतीयों को पढ़ने की इजाजत दी गई थी। इस लाइब्रेरी का मुख्य उद्देश्य बच्चों और रिसर्चर्स को पुस्तकें और हर सुविधा प्रदान करना था।

 Kolkata, नई दिल्ली: कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी भारत की पहली लाइब्रेरी है जिसमें भारतीयों को जाने और पढ़ने कीअनुमति थी। इसकी शुरुआत 21 मार्च, 1839 में की गई थी। subkuz.com को मिली जानकारी के मुताबिक, इस लाइब्रेरी का मुख्य उद्देश्य बच्चों और रिसर्चर्स को प्रसिद्ध पुस्तकों तक आसानी से पहुंचने एवं सुविधा देना था। बताया गया कि उस समय भारतियों को किसी भी पब्लिक लाइब्रेरी में जाने कीअनुमति नहीं थी। इस कारण कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी का निर्माण कलिया गया

भारत की सबसे बड़ी Library बनी

subkuz.com को मिले सूत्रों के मुताबिक, बताया गया कि यह लाइब्रेरी बनाने के कुछ समय बाद सन 1903 में भारत के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड कर्जन ने इस लाइब्रेरी को कोलकाता की इंपीरियल लाइब्रेरी और सेक्रेटेरिएट की लाइब्रेरीज के साथ मिला दिया था। इनकी एकजुटता के बाद यह भारत की प्रसिद्ध सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी बन गई थी।

लाइब्रेरी का नाम बदला: 1948

भारत सरकार ने 1948 में 'कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी' का नाम बदल कर 'नेशनल लाइब्रेरी' कर दिया था। बताया गया कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम ने वर्ष 1953 में इसे जनता या भारतीय नागरिकों के लिए खोल दिया था।

बता दें कि ये लाइब्रेरी 30 एकड़ जगह में फैली हुई है। सूत्रों के अनुसार, यहां 22 लाख से अधिक किताबें, मैनुस्क्रिप्ट्स, जर्नल्स आदि हैं। नेशनल लाइब्रेरी, कोलकाता के सबसे बड़े पर्यटक स्थलों में भी शामिल की गई है। यहां हर साल सैकड़ों पर्यटक इस लाइब्रेरी को देखने आते है।

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