Tajikistan Hijab Ban: ताजिकिस्तान सरकार का बड़ा फैसला, महिलाओं के बुर्का और हिजाब पर लगाई रोक, पुरुषों के दाढ़ी बढ़ाने पर पुलिस का एक्शन

Tajikistan Hijab Ban: ताजिकिस्तान सरकार का बड़ा फैसला, महिलाओं के बुर्का और हिजाब पर लगाई रोक, पुरुषों के दाढ़ी बढ़ाने पर पुलिस का एक्शन
Last Updated: 13 सितंबर 2024

ताजिकिस्तान की सरकार ने कट्टरपंथ के खिलाफ एक सख्त अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत, हिजाब पहनने और दाढ़ी बढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही, बच्चों को सार्वजनिक रूप से धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है। यदि किसी बच्चे ने विदेश में धार्मिक शिक्षा प्राप्त की है, तो उनके माता-पिता को सजा का सामना करना पड़ेगा। सरकार मस्जिदों को बंद करने की कार्रवाई भी कर रही है।

Tajikstan: मुस्लिम बहुल देश ताजिकिस्तान ने अपने देश में हिजाब और अन्य धार्मिक कपड़ों के पहनने पर रोक लगा दी है। पिछले 30 वर्षों से ताजिकिस्तान की सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति इमोमाली रहमान का मानना है कि धार्मिक पहचान देश के विकास में रुकावट डालती है। इस वर्ष जून में सरकार ने इस कानून को लागू किया था, लेकिन अब इसके कार्यान्वयन को कड़ाई से शुरू कर दिया गया है।

राष्ट्रपति अपने देश में पश्चिमी जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। ताजिकिस्तान सरकार का कहना है कि इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य अपने राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना है। उनका मानना है कि इससे अंधविश्वास और उग्रवाद से लड़ने में सहायता मिलेगी।

मुस्लिम पहचान को धर्मनिरपेक्षता के लिए बताया खतरा

2020 की जनगणना के अनुसार, ताजिकिस्तान की 96 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। फिर भी, वहां की सरकार इस्लामी जीवनशैली और मुस्लिम पहचान को धर्मनिरपेक्षता के लिए एक खतरा मानती है। 1994 से सत्ता में काबिज इमोमाली रहमान ने दाढ़ी बढ़ाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इन नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ता है।

पुरूषों के दाढ़ी रखने पर बैन

ताजिकिस्तान ने 2007 से स्कूलों और 2009 से सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन अब देश में कोई भी महिला कहीं भी हिजाब या कपड़ों से अपना सिर नहीं ढक सकती। इस देश में दाढ़ी रखने के खिलाफ कोई आधिकारिक कानून नहीं है। इसके बावजूद, लोगों की दाढ़ी जबरदस्ती काट दी जाती है।

उल्लंघन करने पर लगेगा जुर्माना

टीआरटी वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने प्रबंधित कपड़ा पहन रखा है, तो उसे भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। आम नागरिकों पर 64,772 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, वहीं कंपनियों को 2.93 लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। सरकारी अधिकारियों के लिए यह जुर्माना चार लाख से लेकर 4,28,325 रुपये तक हो सकता है।

विदेश में धार्मिक शिक्षा लेने पर सजा

ताजिकिस्तान में अगर माता-पिता अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा के लिए विदेश भेजते हैं, तो उन्हें दंडित किया जा सकता है। इसके अलावा, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना अनुमति के मस्जिदों में जाने की अनुमति नहीं है। यहां ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा जैसे त्योहारों के अवसर पर बच्चों के उत्सवों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

काले कपड़ों की बिक्री पर रोक

ताजिकिस्तान एक सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है। हालांकि, यहां हिजाब और दाढ़ी रखना विदेशी संस्कृति के रूप में देखा जाता है। दो साल पहले, ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में काले कपड़ों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया था। तुर्की की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को शुक्रवार की नमाज में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। 2015 में, ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की राज्य समिति ने 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों के हज यात्रा पर जाने पर भी रोक लगाई थी।

ताजिकिस्तान के लिए कट्टरपंथ बनी सबसे बड़ी चुनौती

ताजिकिस्तान सरकार कट्टरपंथ को अपनी सबसे बड़ी समस्या मानती है। उनका मानना है कि विभिन्न उपायों के जरिए कट्टरवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूती मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में ताजिक नागरिकों ने इस्लामिक स्टेट (आईएसआई) से जुड़ने की घटनाएं बढ़ी हैं। इसी वर्ष मार्च में मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर हुए आतंकी हमले में एक ताजिक नागरिक की संलिप्तता के प्रमाण मिले थे, जिसमें 140 से अधिक लोगों की जान गई थी।

दिल में ईश्वर के प्रति प्रेम की सलाह

ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमामलि रहमान ने कहा है कि उनका लक्ष्य ताजिकिस्तान को एक लोकतांत्रिक, संप्रभु, कानून-आधारित और धर्मनिरपेक्ष देश बनाना है। उन्होंने जनता को अपने दिल में ईश्वर के प्रति प्रेम विकसित करने की सलाह दी है।

मस्जिदों को किया गया बंद

2017 में ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की समिति ने यह जानकारी दी थी कि पिछले एक वर्ष में देश में 1,938 मस्जिदों को बंद किया गया। इसके साथ ही, कई मस्जिदों को चाय की दुकानों और चिकित्सा केंद्रों में बदलने का कार्य किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, 2014 में 200, 2015 में 1,000 और 2018 में आईएसआईएस में शामिल होने के इरादे से सीरिया और इराक जाने वाले ताजिक नागरिकों की संख्या लगभग 1,000 थी।

 

 

 

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