Technology News: "कैसे हुई ऑनलाइन सर्च इंजन Google की शुरुआत”?, कौन हैं लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन? जानिए स्पेलिंग मिस्टेक से कैसे पड़ा था गूगल नाम?

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Last Updated: 18 सितंबर 2024

आज के दिन 26 साल पहले, 4 सितंबर 1998 को गूगल की नींव एक गैराज से रखी गई थी। गूगल को लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने स्थापित किया था। आज गूगल सर्च इंजन दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सर्च इंजन है और सर्च मार्केट पर लगभग 92% हिस्सेदारी रखता है। गूगल ने अपनी स्थापना के बाद से तकनीकी दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया हैं।

टेक्नोलॉजी डेस्क: 4 सितंबर 2024 को गूगल अपने 26 साल पूरे कर रहा है। गूगल की स्थापना 4 सितंबर 1998 को लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन द्वारा की गई थी, और इसमें सन माइक्रोसिस्टम्स के सह-संस्थापक एंडी बेचटोल्शेम ने 100,000 डॉलर का निवेश किया था। गूगल ने आज तक दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सर्च इंजन बनकर, सर्च मार्केट पर लगभग 92% हिस्सेदारी हासिल की हैं।

कौन हैं लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन?

लैरी पेज का जन्म 26 मार्च, 1973 को ईस्ट लैंसिंग, मिशिगन, अमेरिका में हुआ था। वे एक प्रमुख अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और उद्यमी हैं, जिन्हें गूगल के सह-संस्थापक के रूप में जाना जाता है। सर्गेई ब्रिन का जन्म 21 अगस्त, 1973 को मास्को, रूस में हुआ था। वे भी एक अमेरिकी व्यवसायी और कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं और गूगल के सह-संस्थापक हैं। लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने मिलकर गूगल की स्थापना की और ऑनलाइन सर्च इंजन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया।

* साल 1995 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो पीएचडी छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने एक सर्च इंजन प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। इस प्रोजेक्ट का नाम "बैकरब" था।

* साल 1997 में इस प्रोजेक्ट का नाम बदलकर "गूगल" रख दिया गया, जो गणितीय शब्द "गूगोल" पर आधारित है, जिसका मतलब होता है 1 के बाद 100 जीरो।

* साल 1998 में पेज और ब्रिन ने कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क में एक गैराज में आधिकारिक तौर पर गूगल की स्थापना की। यह गैराज गूगल के प्रारंभिक दिनों में एक महत्वपूर्ण स्थान रहा और आज यह गूगल की सफलता की शुरुआत का प्रतीक हैं।

स्पेलिंग मिस्टेक से कैसा पड़ा गूगल नाम?

गूगल का नाम वास्तव में एक स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से पड़ा था। गूगल का नाम पहले "गूगोल" रखा गया था, जो गणितीय शब्द 1 के बाद 100 जीरो के लिए प्रयोग होता है। लेकिन एक टाइपिंग गलती की वजह से नाम "गूगल" हो गया, और यह नाम फिर से बदलने की कोई आवश्यकता महसूस नहीं की गई। गूगल ने 29 अप्रैल, 2004 को अपनी आरंभिक सार्वजनिक शेयर पेशकश (IPO) के लिए आवेदन किया और अगस्त 2004 में कंपनी सार्वजनिक हो गई।

आज गूगल केवल एक सर्च इंजन तक सीमित नहीं है। इसके प्लेटफॉर्म्स में जीमेल या ईमेल सेवा, फोटोज, मीट, ड्राइव, जेमिनी, डॉक्स, शीट्स, कैलेंडर, चैट्स, कॉन्टैक्ट्स भी शामिल हैं. गूगल का यह विविध प्लेटफॉर्म्स का पोर्टफोलियो इसे एक व्यापक डिजिटल इकोसिस्टम बनाता है, जो यूजर्स की कई जरूरतों को पूरा करता हैं।

गूगल ने 2015 में बदला कंपनी का नाम

गूगल ने 2015 में अपनी कंपनी का नाम बदलकर अल्फाबेट कर दिया था। इस परिवर्तन का उद्देश्य गूगल की विभिन्न सेवाओं और अधिग्रहणों को एक प्रौद्योगिकी समूह के रूप में एकजुट करना था और एंटीट्रस्ट उल्लंघनों से बचने के लिए एक स्पष्ट संरचना स्थापित करना था। इस कदम के बाद, गूगल अल्फाबेट की सहायक कंपनी के रूप में कार्य करने लगा। अल्फाबेट ने गूगल को एक प्रमुख इंटरनेट और टेक्नोलॉजी कंपनी के रूप में बनाए रखते हुए, गूगल के अन्य व्यवसायों और परियोजनाओं को अलग-अलग शाखाओं के रूप में प्रबंधित करने की सुविधा प्रदान की। इस संरचना ने अल्फाबेट को अपने विविध व्यापारिक क्षेत्रों में बेहतर प्रबंधन और निरीक्षण की अनुमति दी।

कौन हैं गूगल के CEO?

सुंदर पिचाई, जो भारतीय मूल के हैं और तमिलनाडु के मदुरै में जन्मे हैं, ने गूगल को 2004 में जॉइन किया था। उन्होंने 24 अक्टूबर 2015 को गूगल के सीईओ का पदभार संभाला और 3 दिसंबर 2019 से अल्फाबेट इंक के सीईओ के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।

* सुंदर पिचाई (Sundar Pichai)

जन्म: 10 जून 1972, मदुरै, तमिलनाडु, भारत

* शिक्षा ( Education)

बी.टेक (मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग) - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर

एम.एस. (मैटेरियल्स साइंस और इंजीनियरिंग) - स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी

एमबीए - व्हार्टन स्कूल, पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय

* गूगल में करियर

सुंदर पिचाई ने 2004 में गूगल को जॉइन किया और पहले Google Toolbar और Google Chrome के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2015 में उन्हें गूगल के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया।

3 दिसंबर 2019 को, गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक के सीईओ के रूप में भी नियुक्त किए गए, जिससे वह दोनों कंपनियों के प्रमुख बन गए।

 

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