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Aanjjan Srivastav Birthday: आम आदमी के किरदार से दिलों पर राज करने वाले अभिनेता की कहानी

Aanjjan Srivastav Birthday: आम आदमी के किरदार से दिलों पर राज करने वाले अभिनेता की कहानी

मनोरंजन की दुनिया में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो सितारों की तरह नहीं, बल्कि चिर परिचित पड़ोसियों की तरह लगते हैं—अपनापन, सच्चाई और सादगी का प्रतीक। ऐसे ही कलाकार हैं अंजन श्रीवास्तव, जिनकी अदाकारी ने उन्हें आम आदमी के रूप में असाधारण पहचान दिलाई। थिएटर से लेकर टेलीविजन और सिनेमा तक, उन्होंने अपने हर किरदार में वास्तविक जीवन की झलक दिखाई। 

2 जून 2025 को यह अभिनेता अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खास मौके पर आइए जानते हैं उनके उस सफर के बारे में जिसने उन्हें एक 'कॉमन मैन' से एक 'लिविंग लीजेंड' बना दिया।

कोलकाता की गलियों से मुंबई के मंच तक

अंजन श्रीवास्तव का जन्म 2 जून, 1948 को कोलकाता में हुआ। वे एक पारंपरिक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने थिएटर की दुनिया में कदम रखा। हालांकि, पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते उन्होंने बैंक की नौकरी भी की, लेकिन उनका मन अभिनय में ही रमता था। 1967 में उन्होंने ‘नील दर्पण’, ‘कायाकल्प’ और ‘अनवर’ जैसे बंगाली नाटकों में काम किया। 

यही नहीं, उनका थिएटर प्रेम उन्हें मुंबई खींच लाया, जहां 1976 से उन्होंने थिएटर को अपना पूर्णकालिक करियर बना लिया। 'इप्टा' जैसे प्रतिष्ठित थिएटर ग्रुप से जुड़कर उन्होंने समाज के विविध पहलुओं पर आधारित नाटकों में भाग लिया।

'वागले की दुनिया' से बना घर-घर का चेहरा

1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित ‘वागले की दुनिया’ ने अंजन श्रीवास्तव को पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया। इस धारावाहिक में उन्होंने श्री वागले नामक एक साधारण, ईमानदार सेल्स क्लर्क का किरदार निभाया था, जो रोजमर्रा की परेशानियों से जूझता है लेकिन कभी नैतिकता नहीं छोड़ता। यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि 'कॉमन मैन' शब्द उनके नाम का पर्याय बन गया। 

2021 में शुरू हुए नए संस्करण ‘वागले की दुनिया – नई पीढ़ी, नए किस्से’ में उन्होंने एक बार फिर उसी किरदार के साथ वापसी की और आज की पीढ़ी के साथ भी जुड़ाव बना लिया।

‘नुक्कड़’ और ‘भारत एक खोज’ जैसे यादगार धारावाहिक

1986 में आए धारावाहिक ‘नुक्कड़’ में उन्होंने मनोहर दामले का किरदार निभाया, जो एक सरकारी कर्मचारी होते हैं। उनका किरदार भले ही मामूली था, लेकिन उन्होंने उसमें जो यथार्थता दिखाई, वह लोगों के दिलों में बस गई। इसके बाद उन्होंने ‘भारत एक खोज’ में भी अभिनय किया, जो पं. नेहरू की किताब पर आधारित था।

फिल्मों में भी निभाया खास किरदार

अंजन श्रीवास्तव को सिर्फ टेलीविजन तक सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने सैकड़ों फिल्मों में भी अभिनय किया है, और खास बात ये है कि ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने सामान्य जीवन जीने वाले पात्रों को निभाया। चाहे वह ‘सलाम बॉम्बे’ में रेलवे क्लर्क हों या ‘चक दे इंडिया’ में हॉकी संघ के अधिकारी मिस्टर त्रिपाठी, उन्होंने हर किरदार में सच्चाई और संवेदनशीलता का समावेश किया।

‘कभी हां कभी ना’ (1994) में उन्होंने शाहरुख खान के सख्त लेकिन भावुक पिता की भूमिका निभाई, तो वहीं ‘संजू’ में उन्होंने एक राजनीतिक नेता के रूप में गंभीर भूमिका निभाई। ‘दिलवाले’, ‘पुकार’, ‘नो एंट्री’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘फिरंगी’ और हालिया फिल्म ‘सैम बहादुर’ में भी वे अपने बहुआयामी अभिनय के लिए सराहे गए।

एक कलाकार, जिसकी सादगी ही उसकी पहचान बनी

अंजन श्रीवास्तव का करियर इस बात का प्रमाण है कि दर्शकों से जुड़ने के लिए भव्यता या ग्लैमर की जरूरत नहीं होती। उनका स्वाभाविक अभिनय, सहज संवाद अदायगी और गहराई से भरे किरदारों ने उन्हें एक असाधारण कलाकार बना दिया है। वे उन दुर्लभ अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने कभी स्टारडम की चाह नहीं की, बल्कि हर किरदार को निभाकर उसमें जान डाल दी।

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