किरण राव की फिल्म "लापता लेडीज" को लेकर उनके ऑस्कर में जाने का सपना सच हो गया है। इस फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों से सराहना मिली, खासकर किरण राव के निर्देशन और क्राफ्ट की काफी तारीफ की गई थी। अब, फिल्म को ऑस्कर में भेजे जाने की पुष्टि हुई है, जो कि किरण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैं।
एंटरटेनमेंट डेस्क: फिल्म "लापता लेडीज" को ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में चुना जाना वाकई गर्व की बात है। किरण राव की यह दूसरी डायरेक्टोरियल फिल्म, जिसे आमिर खान प्रोडक्शन्स के तहत बनाया गया है, उनके लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। इस फिल्म ने उन्हें 13 साल बाद निर्देशन की दुनिया में वापस लाया और उनके क्राफ्ट की काफी सराहना की गई हैं।
फिल्म का ऑस्कर में चुना जाना किरण राव और पूरी टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत सपने को साकार करता है, बल्कि भारतीय सिनेमा के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यदि यह फिल्म ऑस्कर में जीत दर्ज करती है, तो यह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक और गौरवशाली पल होगा।
"लापता लेडीज" ने कई फिल्मों को छोड़ा पीछे
"लापता लेडीज" को ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में चुनना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, विशेषकर जब यह फिल्म पितृसत्ता पर हल्के-फुल्के व्यंग्य के साथ एक गंभीर संदेश देती है। यह फिल्म 29 फिल्मों की एक कठिन सूची में से चुनी गई है, जिसमें बॉलीवुड की हिट फिल्म "एनिमल", मलयालम फिल्म "आट्टम", और कान्स विजेता "ऑल वी इमेजिन इज लाइट" जैसी सशक्त फिल्में शामिल थीं। असमिया निर्देशक जाह्नु बरुआ की अध्यक्षता वाली 13 सदस्यीय चयन समिति ने सर्वसम्मति से आमिर खान और किरण राव द्वारा निर्मित इस फिल्म को चुना।
इस फिल्म ने तमिल, तेलुगु और हिंदी सिनेमा की कई मजबूत फिल्मों, जैसे कि "महाराजा", "कल्कि 2898 एडी", और "हनु-मान", को पीछे छोड़ते हुए अपनी जगह बनाई। इससे साफ जाहिर होता है कि "लापता लेडीज" की कथा, व्यंग्य और सामाजिक मुद्दों की प्रस्तुति ने न केवल दर्शकों, बल्कि चयन समिति को भी प्रभावित किया है। फिल्म का पितृसत्ता पर व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण और किरण राव का निर्देशन इस फिल्म को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह ऑस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व कैसे करती हैं।
ऐसी थी फिल्म की कहानी
फिल्म "लापता लेडीज" एक मजेदार कॉमेडी ड्रामा है जो उन दो महिलाओं की कहानी पर आधारित है जो शादी के बाद लापता हो जाती हैं। फिल्म की शुरुआत सूरजमुखी गांव में रहने वाले दीपक (स्पर्श श्रीवास्तव) से होती है, जो अपनी नई पत्नी फूल (नितांशी गोयल) को पहली बार ससुराल ले जाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, एक हादसे के कारण फूल ट्रेन में छूट जाती है, और दीपक गलती से किसी और महिला (प्रतिभा रांटा) को लेकर घर आ जाता है। इसके बाद उनकी जिंदगी में कई हास्यास्पद और अनपेक्षित घटनाएँ घटती हैं, जो दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर देती हैं, जबकि किरदारों के लिए स्थिति गंभीर होती है।
फिल्म में हलके-फुल्के व्यंग्य और सामाजिक मुद्दों को जोड़कर इसे एक मनोरंजक और विचारशील कहानी में ढाला गया है, जो दर्शकों को न केवल हंसाएगी बल्कि सोचने पर भी मजबूर करेगी। किरण राव के निर्देशन में यह फिल्म परिवार के साथ देखने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं।