Prem Nath's Birth Anniversary: प्रेमनाथ की पहचान केवल फिल्मों तक सीमित नहीं थी। उन्होंने कभी साहित्य का आनंद लिया तो कभी राजनीति में अपनी धाक जमाई। आज प्रेमनाथ के जन्मदिन पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ विशेष बातें...
प्रेमनाथ का नाम हिंदी सिनेमा में एक बेहतरीन अभिनेता के रूप में लिया जाता है। 250 से ज्यादा फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाने वाले प्रेमनाथ ने 'जॉनी मेरा नाम', 'धर्मात्मा', 'बरसात', 'कालीचरण', 'प्राण जाए पर वचन न जाए', 'बॉबी' और 'लोफर' जैसी शानदार फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी। उनका अभिनय सिनेमा प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिन्दा रहेगा। लेकिन प्रेमनाथ की पहचान सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं थी। उन्होंने साहित्य में भी रुचि ली और राजनीति में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। उनके व्यक्तित्व का इतना असर था कि फिल्म इंडस्ट्री की सबसे खूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला भी उनके प्यार में दीवानी हो गई थीं।आज प्रेमनाथ का जन्मदिवस है, और इस खास मौके पर हम उनकी जिंदगी के कुछ अनमोल पहलुओं को याद कर रहे हैं।
आर्मी छोड़ मायानगरी भागे प्रेमनाथ
प्रेमनाथ का जन्म 21 नवंबर 1926 को पेशावर में हुआ था। उनका पूरा नाम प्रेम नाथ मल्होत्रा था। विभाजन के बाद, उनका परिवार भारत के जबलपुर, मध्य प्रदेश में बस गया। प्रेमनाथ को बचपन से ही अभिनय का शौक था और वे फिल्मों की दुनिया में अपने करियर की तलाश में थे। उनके पिता एक पुलिस अफसर थे और वे चाहते थे कि उनका बेटा भी देश की सेवा करे। इस कारण उन्होंने प्रेमनाथ को आर्मी में भर्ती करवा दिया। पिता की इच्छा के अनुसार प्रेमनाथ ने आर्मी की ट्रेनिंग तो शुरू की, लेकिन उनका दिल हमेशा अभिनय की दुनिया में ही धड़कता रहा। इस स्थिति में, उन्होंने एक शक्ल बनाई और अपने पिता को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बंदूक खरीदने के लिए 100 रुपये की मांग की। पिता ने पैसे भेज दिए और प्रेमनाथ इन पैसों के साथ मुंबई चले गए। वे पृथ्वीराज कपूर के बड़े प्रशंसक थे और उन्हें बार-बार पत्र लिखकर अभिनय का अवसर देने का आग्रह करते रहते थे।
ऐसे मिला फिल्मों में काम
मुंबई पहुंचने के बाद, प्रेम नाथ ने पृथ्वीराज कपूर से मुलाकात की और उनसे निवेदन किया कि उन्हें अपने चेलों में शामिल करें। इसके साथ ही, उन्होंने पृथ्वी थिएटर में काम पाने की भी इच्छा जताई। पृथ्वीराज कपूर ने उन्हें थिएटर में शामिल कर लिया, जहाँ उनकी दोस्ती राज कपूर से हुई, और यह दोस्ती समय के साथ काफी मजबूत हो गई। हालांकि प्रेम नाथ का सपना फिल्मों में हीरो बनने का था, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो पाया। इसके बजाय, उन्होंने इंडस्ट्री में एक खलनायक के रूप में पहचान बनाई। दरअसल, हिंदी सिनेमा की पहली रंगीन फिल्मों में से एक 'अजित' से प्रेम नाथ ने बॉलीवुड में कदम रखा। हालांकि इस फिल्म ने विशेष प्रदर्शन नहीं किया, फिर भी प्रेम नाथ ने अपने अभिनय के बल पर दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद, प्रेम नाथ ने 'आग' और 'बरसात' जैसी फिल्मों में राज कपूर के साथ काम किया, जिसने उन्हें सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
फिल्म के सेट पर मिली मोहब्बत
1953 में फिल्म 'औरत' की शूटिंग के दौरान प्रेमनाथ को अभिनेत्री बीना राय से प्यार हुआ, और उन्होंने उनसे शादी कर ली। जहां बीना सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ रही थीं, वहीं प्रेमनाथ बतौर हीरो खुद को सफल नहीं बना पाए। कुछ समय बाद, उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लिया और संन्यासियों की तरह जीवन बिताने लगे। हालाँकि, कुछ वर्षों बाद उन्होंने वापसी की और खलनायक के रूप में शानदार पहचान बनाई। नकारात्मक किरदारों को निभाकर प्रेमनाथ इतने प्रसिद्ध हो गए कि उन्हें हीरो से भी ज्यादा फीस मिलने लगी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपना प्रोडक्शन हाउस भी खोला, जहाँ उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण किया।
अभिनय के साथ किया फिल्म निर्माण
प्रेमनाथ को पर्दे के पीछे के काम की गहरी समझ थी, इसी कारण उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर प्रोडक्शन कंपनी पीएन फिल्म्स की स्थापना की। इस बैनर तले कई फिल्में रिलीज हुईं, लेकिन अधिकतर सफल साबित नहीं हो पाईं। इसके बाद उन्होंने अपना ध्यान पूरी तरह से अभिनय के करियर की ओर लगाया। वर्ष 1975 में आई फिल्म 'धर्मात्मा' में उनकी भूमिका ने काफी प्रसिद्धि हासिल की। उन्होंने अपने फिल्म करियर में काली चरण, सन्यासी, सगाई, शोर, बादल, धर्म-कर्म, लोफर, धन-दौलत और बेमान जैसी करीब 250 से अधिक फिल्मों में काम किया। लेकिन 80 के दशक में उनके स्वास्थ्य में गिरावट के कारण उन्होंने फिल्मों से संन्यास लेने का फैसला किया। इसी कारण वर्ष 1985 में आई फिल्म 'हम दोनों' उनके फिल्मी करियर की अंतिम फिल्म बनी।
राजनीति में भी आजमाया हाथ
प्रेम नाथ ने 1969 में आई अमेरिकन फिल्म "केंनरे" में भी काम किया था। इसके साथ ही, उन्होंने 1967 से 1969 तक अमेरिकन टीवी शो 'माया' में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, उन्होंने अपनी स्वतंत्र पार्टी का गठन किया और इसके प्रचार-प्रसार के लिए देशभर में यात्रा की, जहां उन्होंने अपनी पार्टी के हित में कई भाषण भी दिए। हालांकि, राजनीति के इस छल- कपट ने उन्हें ज्यादा दिन तक नहीं बांध पाया और कुछ ही वर्षों में उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बना ली। 3 नवंबर 1992 को उनका निधन हो गया। भले ही आज प्रेम नाथ हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके अभिनय की अमिट छाप हमेशा लोगों के दिलों में बनी रहेगी।