सिनेमाघरों में खलनायक की जब भी बात होती है, तो अक्सर उनका चेहरा एकदम खूंखार, गुस्सैल और भयावह दिखता है, लेकिन भारतीय सिनेमा में एक ऐसा विलेन भी था जिसने बिना चिल्लाए और बिना किसी डरावनी छवि के, स्क्रीन पर अपनी मौजूदगी से दर्शकों में दहशत पैदा कर दी। वह विलेन था रघुवरन, जिनकी आवाज़ और संवादों का असर आज भी दर्शकों पर दिखता है। रजनीकांत जैसे सुपरस्टार के साथ उनकी जोड़ी ऐसी जमी, कि रजनीकांत ने शर्त तक रख दी थी कि वह किसी फिल्म में रघुवरन के बिना काम नहीं करेंगे। चलिए, जानते हैं इस विलेन की कहानी, जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अदाकारी से अमिट छाप छोड़ी।
सिल्क स्मिता के साथ दी थी अपने करियर की पहली हिट
रघुवरन का जन्म 11 दिसंबर 1958 को केरल में हुआ था। फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले उन्होंने थिएटर में अभिनय किया, लेकिन उनका असली करियर शुरू हुआ 1982 में तमिल फिल्म यरुवधन मनिथन से, जिसने उन्हें समीक्षकों से सराहना दिलाई। हालांकि, उनका करियर असली पहचान तब बना जब उन्होंने 1983 में सिल्क-सिल्क-सिल्क नामक फिल्म में नेगेटिव किरदार निभाया। इस फिल्म में उनकी भूमिका को जबर्दस्त सराहना मिली और यहीं से उन्होंने साउथ सिनेमा में खलनायक की परिभाषा बदल दी।
रजनीकांत के साथ हुआ खतरनाक जुड़ाव
रघुवरन की आवाज़ और अभिनय की खासियत यह थी कि उन्होंने कभी चिल्लाए बिना ही अपनी दमदार उपस्थिति दर्शकों में छोड़ दी। रजनीकांत जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ उनकी जोड़ी पर्दे पर खूब चली। दोनों ने शिवाजी: द बॉस, बाशा, अरुणाचलम और राजा चिन्ना रोजा जैसी सफल फिल्मों में साथ काम किया। खास बात यह थी कि रजनीकांत ने निर्माता से साफ कह दिया था कि जिस फिल्म में वह हीरो होंगे, वहां रघुवरन को विलेन के रूप में लिया जाए, वरना वह फिल्म नहीं करेंगे। रघुवरन की विलेन के रूप में इतनी जबरदस्त पहचान बन गई थी कि निर्माता उनके बिना फिल्म बनाने का सोच भी नहीं सकते थे।
हिंदी सिनेमा में भी किया था प्रभावी अभिनय
रघुवरन ने साउथ सिनेमा के अलावा बॉलीवुड में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वह 1990 में फिल्म इज्जतदार में नजर आए, जिसमें दिलीप कुमार मुख्य भूमिका में थे। इसके बाद उन्होंने शिवा, रक्षक, हिटलर, और ग्रहण जैसी फिल्मों में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। खास बात यह है कि वह एकमात्र अभिनेता थे जिन्होंने हिंदी और साउथ सिनेमा की सभी भाषाओं में काम किया।
शराब की लत ने छीनी जिंदगी
रघुवरन का करियर शिखर पर था, लेकिन उनका निजी जीवन संघर्षों से भरा था। शराब की लत ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और अधिक शराब पीने के कारण उनके दोनों अंगों ने काम करना बंद कर दिया। 19 मार्च 2008 को मात्र 39 साल की उम्र में उनका निधन हो गया, जिससे सिनेमा जगत को एक बड़ा झटका लगा।
रघुवरन का योगदान भारतीय सिनेमा में हमेशा याद किया जाएगा। उनका अभिनय, विशेष रूप से उनकी आवाज़ और डायलॉग डिलीवरी, ने उन्हें खलनायक के रूप में अमर बना दिया। रजनीकांत जैसे दिग्गज के साथ उनकी जोड़ी ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा बना दिया। आज भी उनकी यादें सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवित हैं।