गुजरात की राजधानी अहमदाबाद एक बार फिर कांग्रेस के राजनीतिक पुनर्जागरण की जमीन बनने जा रही है। यहां पार्टी की एक अहम बैठक का आयोजन हो रहा है, जिसे ‘पुनरुद्धार संकल्प सत्र’ कहा जा रहा है।
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की एक अहम और रणनीतिक बैठक गुजरात के अहमदाबाद में होने जा रही है, जिसमें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के सदस्य हिस्सा लेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन के बावजूद हाल के चुनावों में लगातार मिल रही नाकामियों ने कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल कमजोर किया है।
इस बैठक का उद्देश्य न केवल पार्टी संगठन को फिर से मजबूती देना है, बल्कि कांग्रेस को नई दिशा, ऊर्जा और स्पष्ट रणनीति के साथ आगे बढ़ाने की योजना पर भी विचार करना है।
संगठन के पुनर्गठन पर विशेष फोकस
बैठक का मूल उद्देश्य पार्टी को जमीनी स्तर पर फिर से खड़ा करना और जिला इकाइयों (DCC) को सक्रिय करना है। पार्टी जानती है कि केवल केंद्रीय नेतृत्व से काम नहीं चलेगा, अब ‘बूथ से भारत’ की सोच को अपनाने की जरूरत है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, हर जिले में “युवा नेतृत्व मॉडल” लागू किया जा सकता है, जिसमें 35 वर्ष से कम आयु के नेताओं को अग्रणी भूमिका दी जाएगी।
पार्टी के भीतर ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या अहमदाबाद बैठक में वास्तविक परिवर्तन की नींव रखी जाएगी या यह भी केवल उदयपुर चिंतन शिविर की तरह कुछ वादों के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी। वरिष्ठ नेता इस बार कार्यान्वयन समयसीमा के साथ प्रस्ताव लाने की बात कर रहे हैं।
बहस के एजेंडे में यह प्रमुख मुद्दे
1. राजनीतिक प्रस्ताव: EVM, मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल
2. आर्थिक प्रस्ताव: बेरोजगारी, गिरती जीडीपी, MSP और लघु उद्योगों की बदहाली पर मंथन
3. सामाजिक प्रस्ताव: जातिगत जनगणना, आरक्षण की सीमा बढ़ाने और OBC-SC-ST प्रतिनिधित्व पर चर्चा
4. अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव: अमेरिका-भारत व्यापार संबंध, ट्रंप की टैरिफ नीति का भारत पर असर
मोदी सरकार पर तीखा प्रहार
बैठक में कांग्रेस मोदी सरकार की ‘जनविरोधी नीतियों’ को निशाना बनाएगी। UGC के नए नियम, युवाओं के लिए अवसरों की कमी और जनसंख्या आधारित परिसीमन जैसे मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाया जाएगा। कांग्रेस यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि वह अब केवल आलोचना नहीं, समाधान आधारित राजनीति की राह पर है।
राहुल गांधी की भूमिका पर फिर से मुहर
हालांकि सत्र की अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे, लेकिन चर्चाओं का केंद्र बिंदु राहुल गांधी ही रहेंगे। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों, जैसे जातीय जनगणना, युवा अधिकार, और आरक्षण पर नई सोच को इस बैठक में आधिकारिक रूप दिया जा सकता है। वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा की गैरमौजूदगी पर भी चर्चा संभव है।
बैठक में इस पर भी निर्णय लिया जाएगा कि ‘इंडिया गठबंधन’ को और जीवित रखा जाए या फिर कांग्रेस अपनी राह अलग करके राज्यवार साझेदारी की नीति अपनाए। सूत्रों की मानें तो अब गठबंधन संसद तक सीमित हो गया है और जमीनी स्तर पर इसका असर बेहद सीमित हो चुका है।