दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद हुए विशेष चुनाव में ली जे-म्युंग ने राष्ट्रपति पद जीता। मार्शल लॉ और महाभियोग के बाद यह चुनाव हुआ, जिसमें ली ने किम मून-सू को हराया।
South Korea: दक्षिण कोरिया में हुए ऐतिहासिक राष्ट्रपति चुनाव में ली जे-म्युंग ने जीत हासिल की है। अब उनके सामने देश को आर्थिक मंदी, राजनीतिक अस्थिरता और उत्तर कोरिया से बढ़ते तनाव जैसी गंभीर चुनौतियों से उबारने की जिम्मेदारी है।
दक्षिण कोरिया को मिली नई राजनीतिक दिशा
साउथ कोरिया ने एक नई राजनीतिक शुरुआत की है। देश में हुए अचानक राष्ट्रपति चुनाव में 61 वर्षीय उदारवादी नेता और पूर्व मानवाधिकार वकील ली जे-म्युंग ने निर्णायक जीत हासिल की है।
यह चुनाव एक असफल सैन्य शासन के बाद कराया गया, जिसने पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल की सत्ता को महज तीन साल में खत्म कर दिया था।
रिकॉर्ड मतदान और स्पष्ट जनादेश
नेशनल इलेक्शन कमीशन के अनुसार, करीब 3.5 करोड़ लोगों ने वोट डाले, जिनमें से ली जे-म्युंग को 49.42% वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू को 41.15% वोट प्राप्त हुए। यह 1997 के बाद सबसे ज्यादा मतदान वाला राष्ट्रपति चुनाव रहा।
लोकतंत्र की रक्षा होगी पहली प्राथमिकता
ली जे-म्युंग ने चुनाव परिणाम आने के बाद कहा, "मेरा पहला काम होगा यह सुनिश्चित करना कि कभी भी दोबारा देश में सैन्य तख्तापलट न हो।"
उन्होंने संसद के बाहर जनता को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा करना और हथियारों के बल पर सत्ता पलटने की किसी भी कोशिश को नाकाम करना उनका प्रमुख उद्देश्य होगा।
राष्ट्रपति पद की औपचारिक घोषणा और शपथ
राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने ली जे-म्युंग को आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उन्होंने कमांडर इन चीफ के रूप में कार्यभार भी संभाल लिया है।
गंभीर आर्थिक चुनौतियां
ली जे-म्युंग को सत्ता संभालते ही आर्थिक मोर्चे पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। अमेरिका द्वारा ऑटो और स्टील जैसे क्षेत्रों पर लगाए गए आयात शुल्क से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।
वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक CSIS (Center for Strategic and International Studies) के अनुसार, ली को तुरंत अमेरिका के साथ व्यापारिक संतुलन के लिए नीतियां बनानी होंगी।
अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाना
अमेरिका ने इस चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष करार दिया है और दक्षिण कोरिया के साथ अपने गठबंधन को बनाए रखने की बात कही है। हालांकि, अमेरिका ने यह भी कहा है कि उसे चीन के वैश्विक लोकतंत्रों में बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता है।
ली जे-म्युंग ने कहा है कि वे अमेरिका और चीन दोनों के साथ संतुलन बनाकर चलने की नीति अपनाएंगे, ताकि दक्षिण कोरिया की विदेश नीति मज़बूत और स्थिर रह सके।
उत्तर कोरिया से बढ़ते तनाव
नई सरकार के सामने एक और बड़ी चुनौती उत्तर कोरिया से बढ़ता सैन्य तनाव है। ली जे-म्युंग ने स्पष्ट किया है कि वे संघर्ष नहीं चाहते, लेकिन दक्षिण कोरिया की सुरक्षा से कोई समझौता भी नहीं करेंगे। उन्होंने डिप्लोमैटिक एप्रोच को प्राथमिकता देने की बात कही है।
सैन्य शासन से असंतोष अब भी मौजूद
हालांकि, देश का एक वर्ग अभी भी हालिया सैन्य शासन और यून सुक योल सरकार की नीतियों से नाराज़ है। इसलिए ली जे-म्युंग को राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए न सिर्फ नीतिगत रूप से मजबूत निर्णय, बल्कि विश्वास बहाली की रणनीति भी अपनानी होगी।