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बांग्लादेश की राजनीति में हलचल: मोहम्मद यूनुस दे सकते हैं इस्तीफा? जानिए क्या है वजह

बांग्लादेश इन दिनों एक बार फिर से राजनीतिक संकट के मुहाने पर खड़ा नजर आ रहा है। देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के संभावित इस्तीफे की खबरें सामने आने के बाद सियासी हलकों में हलचल मच गई है। 

ढाका: मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलें ऐसे समय पर सामने आ रही हैं जब बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। अंतरिम सरकार अब तक आगामी संसदीय चुनावों को लेकर कोई स्पष्ट रोडमैप पेश करने में नाकाम रही है, जिससे जनभावनाओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान का बयान विशेष रूप से अहम माना जा रहा है।

अस्थिर सियासत और बिगड़ता संतुलन

प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस, जिन्हें छात्रों के नेतृत्व वाले जनांदोलन के बाद सत्ता में लाया गया था, अब खुद को असहाय और अकेला महसूस कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, उन्हें ऐसा लगने लगा है कि वे राजनीतिक दलों के बीच किसी सहमति के अभाव में सुचारु रूप से शासन नहीं चला सकते। बीबीसी बांग्ला को दिए बयान में नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख एनहिद इस्लाम ने दावा किया कि यूनुस इस्तीफे पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

एनहिद इस्लाम ने यूनुस से मुलाकात के बाद कहा, सर (यूनुस) ने साफ कहा कि इस माहौल में वे काम नहीं कर सकते। जब तक सभी राजनीतिक दल किसी एकमत पर नहीं पहुंचते, वे खुद को असहाय महसूस करते रहेंगे।

सेना के बढ़ते दबाव की आहट

इस पूरे मामले में एक अहम मोड़ उस समय आया जब बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने सार्वजनिक रूप से दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि केवल एक निर्वाचित सरकार ही देश के भविष्य से संबंधित अहम निर्णय लेने के लिए वैध मानी जाएगी। यह बयान न केवल अंतरिम सरकार की वैधता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि सेना अब यूनुस सरकार के प्रति उतनी प्रतिबद्ध नहीं रह गई है।

यूनुस सरकार, जो कभी सेना के समर्थन से सत्ता में आई थी, अब उसी सैन्य प्रतिष्ठान से दूरी महसूस कर रही है। वर्ष 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए छात्रों के विद्रोह में सेना ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई नहीं की थी, और हसीना को भारत सुरक्षित भेजने में सहयोग भी दिया था। इसके बाद सेना ने यूनुस को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपने में भूमिका निभाई थी। लेकिन अब वही सेना सरकार से चुनाव की समयसीमा और पारदर्शिता की मांग कर रही है।

एनसीपी की भूमिका और अंदरूनी संकट

यूनुस की सरकार को समर्थन देने वाली छात्र आंदोलन से निकली एनसीपी भी अब असमंजस में दिख रही है। एनसीपी नेता इस्लाम ने कहा, अगर राजनीतिक दलों को यूनुस पर भरोसा नहीं है, तो वे क्यों इस पद पर बने रहें? जब उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा है, तो उनका इस्तीफा देना तर्कसंगत कदम हो सकता है।

हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि यूनुस ने उन्हें देश की सुरक्षा और जनाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहने को कहा है। बांग्लादेश के बड़े राजनीतिक दलों, जैसे अवामी लीग और बीएनपी, ने अब तक यूनुस की स्थिति पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। यह चुप्पी खुद में एक बड़ा संकेत हो सकती है कि वे या तो नए चुनाव की प्रतीक्षा में हैं या कोई वैकल्पिक योजना बना रहे हैं। यूनुस के बिना राजनीतिक सहमति बनाए रखना संभव नहीं है, लेकिन उनके साथ भी सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

 

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