मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन के लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लागू रखने की अपील की। उन्होंने मणिपुर की सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान पर चिंता जताई।
Manipur News: मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हाल ही में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक पत्र लिखकर मणिपुर में अवैध प्रवासियों की बढ़ती समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया को तेज करने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने गृह मंत्रालय द्वारा जारी 30 दिनों के भीतर अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन के निर्देशों की सराहना करते हुए इसे जारी रखने की अपील की है।
मणिपुर में अवैध प्रवासियों की समस्या
बीरेन सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मणिपुर में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या राज्य की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना के लिए खतरा बन गई है। उन्होंने बताया कि 2017 से अब तक राज्य सरकार ने विभिन्न पहचान अभियानों के माध्यम से हजारों अवैध प्रवासियों की पहचान की है। विशेष रूप से, 2023 में गठित तीन सदस्यीय कैबिनेट उप-समिति के माध्यम से 5,457 अवैध प्रवासियों की पहचान की गई है, जिनमें अधिकांश म्यांमार से हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इन अवैध प्रवासियों के कारण राज्य में नए गांवों और बस्तियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिससे वन भूमि पर अतिक्रमण और संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा, उन्होंने अवैध प्रवासियों द्वारा हथियारबंद समूहों और मादक पदार्थों के व्यापार में संलिप्तता का भी उल्लेख किया है।
गृह मंत्रालय के निर्देश और बीरेन सिंह की प्रतिक्रिया
बीरेन सिंह ने गृह मंत्रालय द्वारा जारी 30 दिनों के भीतर अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन के निर्देशों की सराहना की है। उन्होंने इसे अपने लंबे समय से चले आ रहे सपने की पूर्ति बताया है और राज्यपाल से इन निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने की अपील की है।
सुरक्षा में कटौती
पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा में हाल ही में कटौती की गई है। मणिपुर पुलिस द्वारा जारी आदेश के अनुसार, उनके सुरक्षा दस्ते से 17 पुलिस कर्मियों को हटा लिया गया है। अब उनके साथ केवल छह सुरक्षा कर्मी रहेंगे, जिनमें तीन सहायक उप-निरीक्षक, एक हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल शामिल हैं। यह निर्णय उनके 9 फरवरी 2025 को इस्तीफे और 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद लिया गया है।