PPF, EPF या NPS: रिटायरमेंट प्लान चुनने में कंफ्यूजन? जानिए कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर
नई दिल्ली। रिटायरमेंट के बाद आर्थिक रूप से सुरक्षित और स्वतंत्र जीवन जीने के लिए पहले से सही फाइनेंशियल प्लानिंग करना बेहद जरूरी है। इसके लिए भारत सरकार की ओर से कई सेविंग स्कीम्स चलाई जाती हैं, जिनमें पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) प्रमुख हैं। हालांकि, इन योजनाओं के बीच कौन सा विकल्प बेहतर है, यह समझना कई बार मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपकी सुविधा के लिए यहां इन तीनों स्कीम्स का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत है, ताकि आप अपनी जरूरत और प्रोफाइल के अनुसार सही निर्णय ले सकें।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक लॉन्ग टर्म सेविंग स्कीम है, जिसे विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए डिजाइन किया गया है, जो सुरक्षित और टैक्स-फ्री रिटर्न की तलाश में हैं। इसमें सालाना न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश किया जा सकता है।
मुख्य विशेषताएं:
- 15 साल का लॉक-इन पीरियड, जिसे 5-5 साल के ब्लॉक में आगे बढ़ाया जा सकता है।
- वर्तमान ब्याज दर 7.1% प्रति वर्ष, जिसे सरकार हर तिमाही निर्धारित करती है।
- निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट।
- ब्याज और परिपक्वता राशि पूरी तरह टैक्स-फ्री।
कमियां:
- लंबा लॉक-इन पीरियड।
- रिटर्न महंगाई दर को मात नहीं दे पाता।
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा संचालित EPF योजना मुख्य रूप से संगठित क्षेत्र के वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए है। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है, जो बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12% होता है।
मुख्य विशेषताएं:
- वर्तमान ब्याज दर 8.25%।
- योगदान पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट।
- 2.5 लाख रुपये तक का वार्षिक योगदान टैक्स-फ्री।
- रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पूरी राशि टैक्स-फ्री।
- आंशिक निकासी की सुविधा उपलब्ध।
कमियां:
- 2.5 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक योगदान पर टैक्स लागू।
- केवल वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
NPS एक मार्केट-लिंक्ड रिटायरमेंट स्कीम है, जिसमें निवेशक अपनी पसंद के अनुसार इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। इसमें रिटर्न निश्चित नहीं होते क्योंकि यह बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।
मुख्य विशेषताएं:
- निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं।
- औसतन 8-10% का रिटर्न।
- धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये और धारा 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये तक की टैक्स छूट।
- रिटायरमेंट के समय कॉर्पस का 60% हिस्सा टैक्स-फ्री, शेष 40% से एन्युटी खरीदना अनिवार्य।
- निवेशक अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार निवेश विकल्प चुन सकते हैं।
कमियां:
- रिटर्न पूरी तरह बाजार पर निर्भर।
- रिटायरमेंट पर एन्युटी लेना अनिवार्य।
अगर आप रिस्क-फ्री और टैक्स-फ्री रिटर्न चाहते हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं, तो PPF एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। वहीं, वेतनभोगी कर्मचारी के लिए EPF एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें नियोक्ता का भी योगदान होता है और ब्याज दर PPF से अधिक है। दूसरी ओर, अगर आप उच्च रिटर्न के साथ-साथ मार्केट रिस्क लेने के लिए तैयार हैं, तो NPS आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।