सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले के हाई-प्रोफाइल आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए अंतरिम जमानत प्रदान की है। निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले के हाई-प्रोफाइल आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए अंतरिम जमानत प्रदान की है। निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी सौम्या चौरसिया और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले की जांच में लंबा समय लग सकता है, इसलिए आरोपियों को अंतरिम राहत देना न्यायसंगत हैं।
जमानत के लिए सख्त शर्तें लागू
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जमानत के दौरान यदि किसी भी आरोपी को गवाहों को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने का दोषी पाया जाता है, तो राज्य सरकार अदालत से उनकी जमानत रद्द करने की मांग कर सकती है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सरकार को आरोपियों के आचरण की निगरानी करनी होगी और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, "हम जांच में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं चाहते, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आरोपी निष्पक्षता बनाए रखें और जांच में सहयोग करें।" अदालत ने यह भी जोड़ा कि आरोपियों को जमानत की शर्तों का पालन करना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती हैं।
क्या है छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला?
छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन से जुड़े इस कथित घोटाले में कई प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता और कारोबारी शामिल हैं। आरोप है कि कोयला खदानों से अवैध उगाही की गई और इसका उपयोग राजनीतिक व आर्थिक फायदे के लिए किया गया। इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्रांच और प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाएगा, लेकिन यदि आरोपी जांच को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, तो सरकार तुरंत उनकी जमानत रद्द करने की मांग करेगी।