Delhi Politics: तीन सवालों के जाल में फंस गए सुप्रीम कोर्ट के जज, केजरीवाल को जमानत देते हुए जवाब के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा मामला, जानिए कौन से...?

Delhi Politics: तीन सवालों के जाल में फंस गए सुप्रीम कोर्ट के जज, केजरीवाल को जमानत देते हुए जवाब के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा मामला, जानिए कौन से...?
Last Updated: 13 जुलाई 2024

दिल्ली के मुख्यम्नत्री श्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट के जज ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया। जमानत देने के साथ ही इस मामले को बड़ी पीठ को भेजते हुए जस्टिस संजीव कुमार खन्ना ने कहां कि अंतरिम जमानत के फैसले को बड़ी पीठ द्वारा संशोधित भी किया जा सकता हैं।

नई दिल्ली: मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट के जज ने शुक्रवार (१३ जुलाई) को अंतरिम जमानत दे दी हैं। कोर्ट ने जमानत के साथ ही इस मामले को परीक्षण के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया। बता दें ईडी की गिरफ्तारी और रिमांड पर लिए जाने का विरोध करते हुए केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए जज ने यह फैसला सुनाया।

जस्टिस दीपांकर कुमार दत्ता और जस्टिस संजीव कुमार खन्ना की पीठ ने कहां कि केवल पूछताछ के तौर पर ईडी को किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह पीएमएलए की धारा 19 के तहत अस्वीकार्य है। इस मामले के कुछ सवालों को सुलझाने के लिए बड़ी पीठ को भेजते हुए जस्टिस खन्ना और जस्टिस दत्ता ने कहां कि केजरीवाल की अब तक की कैद के दौरान अच्छे व्यवहार को देखते हुए अंतरिम जमानत दि गई हैं, लेकिन अंतरिम जमानत के फैसले को लेकर बड़ी पीठ में संशोधित भी किया जा सकता हैं।

बड़ी बेंच को भेजा मामला

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक Subkuz.com ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जज ने मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की जरूरत और अनिवार्यता को देखते हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में तीन सवाल खड़े किए। जस्टिस खन्ना और जस्टिस दत्ता ने ईडी से कहां कि केवल पूछताछ करने से आपको किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं मिल सकती है। यह गिरफ्तारी धारा 19 के विरुद्ध हैं।

कोर्ट ने बड़ी बेंच के समक्ष उठाए तीन सवाल

1. सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए एक्ट की धारा 19 और 45 का हवाला देते हुए ईडी के अधिकारों को लेकर सवाल खड़े किए। कोर्ट के जज ने धारा 19 के प्रावधानों को लेकर कहां कि क्या गिरफ्तारी की जरूरत और आवश्यकता को PMLA एक्ट की धारा 19 में दी गई एक शर्त के रूप में पढ़ा जाना चाहिए अथवा नहीं पढ़ा जाना चाहिए?

2. सुप्रीम कोर्ट ने कहां कि क्या केवल पूछताछ के आधार पर गिरफ्तारी हो सकती है? लेकिन सही मान्य में यह धारा 19 के तहत मान्य नहीं हैं।

3. पीएमएलए की धारा 19 में गिरफ्तारी के लिए बनाए गए नियमों की सम्पूर्ण व्याख्या करने की जरूरत है। क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता औपचारिक मापदंडों के बारे में व्याख्या करती है और यह व्यक्ति को अच्छे से ध्यान में रखती है, क्या इसे धारा 19 पीएमएलए में पढ़ा जा सकता है। इसे अदालत किस आधार पर गौर करेगी, इन सभी सवालों पर कोर्ट क्या फैसला देगी?

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