ईवीएम के मुद्दे पर कांग्रेस को विपक्षी पार्टियों का समर्थन नहीं मिल रहा है। टीएमसी ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी है तो इसे चुनाव आयोग के सामने साबित करें कि इसे कैसे हैक किया जा सकता है। भाजपा ने भी इस पर कांग्रेस पर हमला बोला है। टीएमसी ने अपनी स्थिति स्पष्ट की।
Politics News: विपक्षी दलों में ईवीएम के मुद्दे पर स्पष्ट विभाजन देखने को मिल रहा है। कुछ दल, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, ईवीएम पर बार-बार सवाल उठाते हैं। वहीं, आईएनडीआई गठबंधन में शामिल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस मुद्दे पर असहमत है। टीएमसी के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इन आरोपों को अव्यवस्थित बयान करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोप लगाने वालों को चुनाव आयोग को एक डेमो दिखाना चाहिए और यह साबित करना चाहिए कि ईवीएम को कैसे हैक किया जा सकता है।
अभिषेक बनर्जी का बयान
टीएमसी के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इन आरोपों को अव्यवस्थित बयान करार दिया। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वालों को चुनाव आयोग को एक डेमो दिखाना चाहिए और यह साबित करना चाहिए कि ईवीएम को कैसे हैक किया जा सकता है।
चुनाव आयोग को डेमो दिखाने की मांग
अभिषेक ने कहा, "अगर ईवीएम पर सवाल उठाने वालों के पास कुछ है, तो उन्हें चुनाव आयोग को डेमो दिखाना चाहिए। अगर ईवीएम का रैंडमाइजेशन सही तरीके से काम करता है और बूथ पर काम करने वाले लोग मॉक पोल और काउंटिंग के दौरान जांच करते हैं, तो इस आरोप में कोई दम नहीं है।"
कांग्रेस के ईवीएम पर संदेह
कांग्रेस ने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हारने के बाद ईवीएम पर संदेह जताया था। पार्टी ने महाराष्ट्र में चुनावी प्रक्रिया पर संदेह जताया और चुनाव आयोग से भी मुलाकात की थी।
देवेंद्र फडणवीस का कटाक्ष
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी को ईवीएम में खामियां तभी नजर आती हैं जब वे चुनाव हार जाते हैं। उन्होंने कहा, "जब भी कांग्रेस चुनाव हारती है, तो वे आत्मनिरीक्षण के बजाय किसी और को दोष देती हैं।"
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस को कम से कम तब तो इसका एहसास होना चाहिए, जब भारतीय जनता पार्टी के लोग ऐसा कहते हैं। ममता बनर्जी, शरद पवार और अखिलेश यादव भी इसी तरह की असहमति व्यक्त कर चुके हैं।