झारखंड विधानसभा में जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 17 फरवरी 2024 को सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया था, लेकिन एक साल बीतने के बावजूद अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई हैं।
रांची: झारखंड में जातीय जनगणना को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। प्रदेश सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जातीय सर्वेक्षण प्रक्रियाधीन है और इसे अगले वित्तीय वर्ष में पूरा किया जाएगा। विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने इस मुद्दे को उठाया, जिसके जवाब में मंत्री दीपक बिरुआ ने सरकार की मंशा स्पष्ट की।
सरकार ने कहा – प्रक्रियाधीन है जातीय सर्वेक्षण
झारखंड में जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सवाल किया कि सरकार इस दिशा में कब तक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि 17 फरवरी 2024 को सरकार ने जातीय गणना कराने का निर्णय लिया था, लेकिन एक साल बीतने के बावजूद अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। इसके जवाब में मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा, "प्रदेश में जाति गणना प्रक्रियाधीन है। इसे अगले वित्तीय वर्ष में पूरा किया जाएगा।" हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि सर्वेक्षण किस एजेंसी से कराया जाएगा।
झारखंड विधानसभा के स्पीकर ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि जातीय सर्वेक्षण का समय इस तरह निर्धारित किया जाए कि यह धान रोपाई और कटाई के दौरान किसानों को परेशान न करे। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार सर्वेक्षण की योजना बनाने में हर पहलू पर विचार कर रही हैं।
16 मई से पहले होंगे नगर निकाय चुनाव
नगर निकाय चुनाव को लेकर भी बड़ा अपडेट सामने आया है। मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि 16 मई से पहले झारखंड में नगर निकाय चुनाव कराए जाएंगे। मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया कि प्रदेश के 21 जिलों में ट्रिपल टेस्ट पूरा हो चुका है। उन्होंने आगे कहा कि ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा और जरूरत पड़ने पर इसके लिए अतिरिक्त समय भी लिया जा सकता है। भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा ने ओबीसी आरक्षण को 27% से घटाकर 14% कर दिया, जबकि तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा 69% तक हैं।
जातीय गणना से क्या होंगे फायदे?
झारखंड में जातीय जनगणना को लेकर लंबे समय से मांग उठ रही है। इसके जरिए सरकार को यह पता चलेगा कि प्रदेश में विभिन्न जातियों की संख्या कितनी है और किस वर्ग को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने की आवश्यकता है। बिहार सरकार पहले ही जातीय गणना करवा चुकी है और झारखंड सरकार पर भी इसे जल्द पूरा करने का दबाव हैं।