चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया को अधिक सुगम और प्रभावी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब प्रत्येक पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता ही पंजीकृत किए जाएंगे।
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया को अधिक सुगम और प्रभावी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब प्रत्येक पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता ही पंजीकृत किए जाएंगे। पहले यह संख्या 1500 थी। इस फैसले के चलते देशभर में लाखों नए पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, जिससे मतदान प्रक्रिया अधिक व्यवस्थित होगी, लेकिन साथ ही चुनावी खर्च में भारी वृद्धि भी होगी।
बिहार चुनाव से पहले लागू होगा नया नियम
चुनाव आयोग ने यह बदलाव बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लागू करने की योजना बनाई है। वर्तमान में देशभर में लगभग 10.23 लाख पोलिंग बूथ हैं, लेकिन नए नियम लागू होने के बाद यह संख्या 3 लाख से अधिक बढ़ सकती है। इस बदलाव के चलते EVM और VVPAT मशीनों की मांग भी बढ़ेगी। भारत सरकार लंबे समय से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) की योजना बना रही हैं।
चुनाव आयोग अब इस नीति के तहत EVM और VVPAT की जरूरतों का फिर से आकलन करेगा। पहले 2029 में संभावित एक साथ चुनाव के लिए 7,950 करोड़ रुपये के बजट का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब यह आंकड़ा और बढ़ सकता हैं।
वोटिंग के दौरान लंबी कतारों से मिलेगी राहत
चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की भीड़ कम होगी और लोगों को घंटों कतार में खड़े रहने की परेशानी नहीं होगी। आयोग ने यह निर्णय मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया है ताकि वे आसानी से और जल्दी अपना वोट डाल सकें। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि हर मतदाता के लिए पोलिंग बूथ अधिकतम 2 किलोमीटर की दूरी के भीतर होगा। इससे खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं को लाभ मिलेगा, जो अब तक दूरस्थ बूथों तक पहुंचने में असुविधा का सामना कर रहे थे।
इस फैसले के बाद चुनाव आयोग अब कानून मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहा है। संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने चुनाव आयोग से पूछा है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए किन-किन कानूनी बदलावों की जरूरत होगी। आयोग जल्द ही इस पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
क्या 2034 तक होंगे एक साथ चुनाव?
2023 में चुनाव आयोग ने अनुमान लगाया था कि 2034 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। लेकिन नए पोलिंग बूथ नियमों के लागू होने के बाद इन अनुमानों में बदलाव संभव है। चुनाव के दौरान पोलिंग बूथों पर लंबी कतारें और अव्यवस्था एक बड़ी समस्या रही है। कई बार मतदान समय बढ़ाना पड़ता था। अब, नए नियमों से यह समस्या काफी हद तक दूर होगी और मतदाता बिना किसी परेशानी के अपना वोट डाल सकेंगे।
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी होगा
कोरोना महामारी के दौरान पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की संख्या घटाकर 1000-1200 कर दी गई थी, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इसे फिर से 1500 कर दिया गया था। अब चुनाव आयोग ने इसे फिर से 1200 करने का निर्णय लिया है, जिससे मतदान केंद्रों पर भीड़ कम होगी और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।
इस फैसले से न सिर्फ मतदाताओं को बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि चुनाव प्रक्रिया भी अधिक पारदर्शी होगी। मतदाता आसानी से अपने बूथ तक पहुंच सकेंगे और भीड़-भाड़ की स्थिति कम होगी। हालांकि, इससे चुनावी खर्च में बढ़ोतरी होगी, लेकिन चुनाव आयोग का मानना है कि यह बदलाव लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए जरूरी हैं।